गुरुवार, 28 जुलाई 2016

कैबिनेट ने दी जीएसटी को मंजूरी

राज्‍यों और कांग्रेस की अहम मांगें मानी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक में कुछ प्रमुख बदलावों को बुधवार को मंजूरी दे दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गये। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया जायेगा कि जीएसटी लागू होने पर केंद्र और राज्यों के बीच विवाद की सूरत में जीएसटी परिषद में मामला जायेगा और वही फैसला करेगी। इस परिषद में केंद्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे।
विधेयक में एक प्रतिशत अंतर-राज्यीय कर को समाप्त कर सरकार ने विपक्षी दल कांग्रेस की तीन में से एक प्रमुख मांग को मान लिया है। कांग्रेस के विरोध की वजह से ही जीएसटी विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है। बहरहाल कांग्रेस की दो अन्य प्रमुख मांगों पर कोई पहल नहीं हुई है। कांग्रेस की मांग है कि जीएसटी की अधिकतम दर का संविधान में उल्लेख किया जाये और कर विवाद का निपटारा सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश की अध्यक्षता वाली संस्था करे।
मंत्रिमंडल ने जिन संशोधन को मंजूर किया है, उसके मुताबिक केंद्र सरकार राज्यों को संविधान के तहत पहले पांच साल तक राजस्व में यदि नुकसान होता है तो उसकी भरपाई की गारंटी होगी। कहा जा रहा है कि जीएसटी दर का उल्लेख जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक के बाद आने वाले जीएसटी के दो अन्य विधेयकों में किया जा सकता है।


इस सप्ताह नहीं आएगा बिल
जीएसटी विधेयक इन ताजा बदलावों के साथ राज्यसभा में इस सप्ताह नहीं तो अगले सप्ताह अवश्य चर्चा के लिये पेश किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जिन संशोधनों को मंजूरी दी है वे जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का हिस्सा होंगे। हालांकि, इससे पहले विधेयक को लोकसभा पिछले साल मई में मंजूरी दे चुकी है। राज्यसभा में संशोधन के साथ विधेयक के पारित होने के बाद संशोधित विधेयक को फिर से लोकसभा में पारित कराने के लिये भेजना होगा।
राज्यों को
पांच साल तक राजस्व क्षतिपूर्ति की व्यवस्था
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के साथ बैठक में जीएसटी विधेयक में राज्यों को शुरुआती पांच साल तक राजस्व क्षतिपूर्ति की व्यवस्था को शामिल करने का आश्वासन दिया था।  विधेयक में दी गई मौजूदा व्यवस्था में राज्यों को पहले तीन साल तक 100 प्रतिशत, चौथे साल 75 प्रतिशत और पांचवें साल 50 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया था। राज्यसभा की प्रवर समिति ने हालांकि पूरे पांच साल तक 100 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई की सिफारिश की थी। जीएसटी विधेयक में किये गये इन बदलावों पर राज्यों की सहमति होने और विधेयक में इन संशोधनों पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार को लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की उम्मीद है। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक को संसद के चालू मानसून सत्र में ही पारित करा लिया जायेगा।
क्या कहते हैं राज्य
जीएसटी पर बनी राज्यों के वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा का कहना है कि जीएसटी के रेवेन्यू न्यूट्रल रेट को संविधान में नहीं रखा जा सकता है। सभी राज्य इस पर एकमत हैं। रेट को या तो नियमावली में या जीएसटी ऐक्ट में रखा जा सकता है। जबकि केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि कोई राज्य नहीं चाहता है कि जीएसटी रेट को संविधान में रख दिया जाए। यहां तक कि कांग्रेस शासित राज्य भी इसके पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य विवादों के हल के लिए संविधान के तहत एक इकाई बनाने के विरोध में हैं और वे जीएसटी काउंसिल के पक्ष में हैं, जो किसी भी विवाद को हल करने का तरीका बनाए। पिछले सप्ताह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उससे पहले वह कांग्रेस पार्टी के नेताओं से मुलाकात कर चुके वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष कांग्रेस ने जीएसटी की कुल दर 18 प्रतिशत होने की बात कही थी, वहीं विनिर्माण करने वाले राज्यों को मुआवजा देने के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त कर खत्म करने की मांग की गई।
28July-2016

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