शनिवार, 30 जुलाई 2016

बंदगाहों की ‘सागरमाला’ को अब लगेंगे पंख

तट व भूमि आवंटन नीति की मंजूरी से घटेंगे यातायात खर्च
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में समुद्री कारोबार को प्रोत्साहन करने की दिशा में प्रमुख बंदरगाहों के आधुनिक विकास के लिये कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं लागू की गई है। बंदरगाहों को सड़क संपर्क मार्ग से जोड़ने की दिशा सागरमाला कार्यक्रम में तेजी लाने के लिये सरकार ने प्रमुख बंदरगाहों पर तट और संबद्ध भूमि आवंटित करने के लिये बनाई गई नीति को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बंदरगाह पर निर्भर उद्योगों को प्रमुख बंदरगाहों पर तट और संबद्ध भूमि आवंटित करने के लिए नीति को मंजूरी देने से कैप्टिव फैसिलिटी आवंटित करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और एकरूपता आ सकेगी। इससे प्रमुख बंदरगाहों पर क्षमताओं को अधिकतम दोहन सुनिश्चित होगा और मेजर पोर्ट अथॉरिटी के राजस्व में वृद्धि होगी। केंद्र सरकार सागरमाला कार्यक्रम के जरिये बंदरगाह आधारित विकास को प्राथमिकता देकर समुद्री कारोबार को आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका में लाना चाहती है। सागरमाला कार्यक्रम में तेजी लाने की दिशा में ही प्रमुख बंदरगाहों पर भूमि और तटों का अधिकतम उपयोगिता सुनिश्चित करना बेहद महत्त्वपूर्ण है। इस नीति का उद्देश्य कैप्टिव फैसिलिटी आवंटित करने की प्रक्रिया में एकरूपता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। उद्योगों द्वारा समर्पित बंदरगाह फैसिलिटी के विकास और परिचालन सुनिश्चित करते हुए यह नीति प्रमुख बंदरगाहों के लिए दीर्धावधि आधार पर कारोबार सृजित करने में मदद करेगी। इस प्रकार यह बंदरगाह आधारित विकास के उद्देश्यों को पूरा करने में उत्प्रेरक की भूमिका निभाएगी।
दायरे में नई परिसंपत्तियां
मंत्रालय के अनुसार देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों पर लागू होने वाली इस नीति के दायरे में नई परिसंपत्तियों के सृजन के साथ खाली बर्थ जैसे वर्तमान परिसंपत्तियों की बेहतर उपयोगिता को देखते हुए शामिल किया गया है। इस नीति के तहत प्रमुख बंदरगाहों पर अपनी डेडिकेटेड फैसिलिटी स्थापित करने के लिए बंदरगाह पर निर्भर उद्योगों (पीडीआई) को 30 वर्षों के लिए रियायत दी जाएगी, ताकि आयात और निर्यात के लिए वस्तुओं के भंडारण में उन्हें मदद मिल सके। यही नहीं इसके जरिये कुछ शर्तों के साथ रियायत अवधि में विस्तार भी दिया जा सकेगा, जिसमें रियायत अनुबंध के अनुरूप परिसंपत्तियों की उपयोगिता सुनिश्चित होने पर विस्तार की मंजूरी मिलना आसान होगा।
खर्च घटाएगा सागरमाला
सरकार के सागरमाला कार्यक्रम का एक प्रमुख मकसद है कि समुद्री कारोबार में कैंटरो से आने वाले सामान के यातायात के खर्चों को कम किया जाए। इस कार्यक्रम से अनुमान लगाया जा रहा है कि सड़क या रेल द्वारा माल लानेझ्रले-जाने की अपेक्षाकृत समुद्र या अन्य जल मार्गों के जरिये सामान लाने-ले-जाने में प्रति टन खर्च में 60 से 80 प्रतिशत की कमी आ सकती है। भारत में कई उत्पादन और मांग केंद्र समुद्र और नदी किनारे स्थित हैं। इसके बावजूद जलमार्ग के जरिये सामान का आवागमन कम होता है।
30July-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें