अधिनियम का मसौदा तैयार करेगी विशेष समिति
केंद्र सरकार ने गठित की दो समितियां
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।

केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार सरकार ने गंगा
को अविरल और निर्मल बनाने की पीएम नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘नमामि
गंगे’ परियोजना को राज्यों के परामर्श से गंगा अधिनियम यानि एक ठोस कानून
बनाने हेतु पिछले सप्ताह ही राष्ट्रीय गंगा नदी प्राधिकरण की बैठक के दौरान
राज्यों के परामर्श से एक समग्र गंगा अधिनियम बनाने पर सहमति बनी थी।
केंद्र व राज्यों की इस सहमति के आधार पर मंत्रालय ने पूर्व न्यायाधीश
न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के नेतृत्व में गंगा अधिनियम का प्रारूप तैयार
करने के लिये निर्णय लिया है। इसी कानूनी के जरिये भविष्य में गंगा संरक्षण
के कार्य को कार्यान्वित किया जायेगा। वहीं नदियों के डी-सिलटिंग हेतु
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ माधव चिताले की अध्यक्षता में एक समिति का
गठन करने का भी फैसला लिया गया है, जिसमें जल संसाधन सचिव और पर्यावरण एवं
वन मंत्रालय सचिव सदस्य के रूप में शामिल होंगे। यह समिति उत्तराखंड के
भीमगोड़ा से लेकर पश्चिमी बंगाल के फरक्का तक डी-सिलटिंग के कार्य से
संबंधित दिशानिर्देश एवं अन्य संस्तुतियां सरकार को देगी।वहीं विश्व की
उत्तम जल शोधन प्रौद्योगिकी के आधार पर गैर चिन्हित नालों की सफाई के लिये
छोटी छोटी परियोजनायें शुरू की जायेंगी।
मंत्रालय
के अनुसार गंगा नदी पर स्थित करीब 118 शहरों से प्रतिदिन निकलने वाले
363.6 करोड़ लीटर अवशिष्ट और 764 उद्योगों के हानिकारक प्रदूषकों के कारण
नदी की धारा को निर्मल बनाना चुनौती बनकर सामने आया है। वहीं गंगा के दायरे
में 508 प्राथमिक उद्योगों से वास्तविक प्रवाह की निगरानी के लिए स्टेशन
स्थापित किये जायेंगे, जबकि गंदगी फैलाने वाले 150 उद्योगों को बंद करने का
नोटिस दे दिया गया है। जबकि गंगा नदी के तटों और उसके पानी के ऊपरी सतह की
सफाई का काम पांच स्थानों पर शुरू कर दिया गया है गंगा के किनारे 20 अन्य
स्थानों पर भी इसे शुरू किया जायेगा। परियोजना को कानूनी दायरे में लाने के
बाद इन क्षेत्रों में उद्योगों से गंगा में आने वाले प्रवाह के समीप
आधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त ऐसे यंत्र लगाना जरूरी हो जाएगा और 15 मिनट से
ज्यादा प्रदूषण फैलने पर उक्त उद्योग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की
प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। गंगा में प्रदूषण पर निगरानी रखने के लिए ‘गंगा
कार्य बल’ के गठन के कार्य में पूर्व सैनिकों एवं अन्य लोगों को शामिल किया
जा रहा है। ये गंगा नदी के 100 मीटर के दायरे में किसी तरह के प्रदूषण पर
नजर रखेंगे और रोकने का कार्य करेंगे ।
11July-2016
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें