शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

अंग्रेजी हकूमत की इस परंपरा को बदलेगी सरकार!

जनवरी से दिसंबर कलेंडर को वित्तीय वर्ष करने की तैयारी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पूर्ववर्ती अटल सरकार की तर्ज पर मोदी सरकार ने भी अंगे्रजी हकूमत की वित्त्तीय लेखा जोखा व्यवस्था को बदलने की तैयारी शुरू कर दी है। इस तैयारी में अंग्रेजों के जमाने से चल रही वित्तीय वर्ष को अप्रैल से मार्च के बजाए जनवरी से दिसंबर कलेंडर करने पर विचार शुरू कर दिया है।
भाजपा की राजग सरकार ने जहां अंग्रेजी हुकूमत के कई अनेकों कानूनों को बदलने का सिलसिला चालाया हुआ है, उसी तरह से अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही अप्रैल से मार्च वाली वित्तीय लेखा-जोखा की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करने की कवायद तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय की बजट डिवीजन की ओर से पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार शंकर आचार्य की अध्यक्षता में गठित की गई एक चार सदस्यीय समिति को नए वित्त वर्ष की व्यावहारिकता का अध्ययन करके रिपोर्ट देने को कहा है। इस समिति में में पूर्व कैबिनेट सचिव के एम. चंद्रशेखर, तमिलनाडु के पूर्व वित्त सचिव पीवी राजारमन और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीनियर फेलो डा. राजीव कुमार को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। सूत्रों के अनुसार यह समिति अपनी रिपोर्ट इस साल के अंत तक सरकार को सौंप देगी। समिति इस व्यवहारिकता का भी अध्ययन करेगी कि नया वित्त वर्ष किस तारीख से शुरू किया जा सकता है और इससे वित्तीय वर्ष की नई व्यवस्था पर कितना सकारात्मक और कितना नकरात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है पर विचार भी शामिल है। विगत में वित्त वर्ष में बदलाव के लिए हुए प्रयासों का अध्ययन भी करेगी।
क्या है मौजूदा व्यवस्था
सरकार की अंग्रेजी के जमाने से चल रहे वित्त वर्ष को बदलने की तैयारी करने से पहले अभी तक एक अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक वित्तीय वर्ष माना जाता है, जिसके लिये संसद में फरवरी माह में आम बजट पेश करने की परिपाटी है। यदि समिति की रिपोर्ट के बाद सरकार अंग्रेजी हकूमत की इस परंपरा को बदलने में कामयाब रही तो वित्तीय वर्ष जनवरी से दिसंबर कलेंडर के तहत शुरू हो जायेगा और संसद का बजट सत्र नवंबर यानि शीतकालीन सत्र के स्थान पर करने की परिपाटी बदलनी होगी।
अटल सरकार ने बदला था समय 
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने पहली बार संसद में शाम पांच बजे बजट पेश करने वाली परंपरा को बदला था, जो आजादी के बाद से अंग्रेजो की परंपरा के अनुसार सरकार अपना बजट फरवरी की अंतिम तारीख को शाम साढ़े पांज बजे पेश करती थी। लेकिन वर्ष 2000 में वाजपेयी सरकार ने इस परंपरा को समाप्त कर प्रात: 11 बजे संसद में बजट पेश करना शुरू किया। ऐसे ही तर्क के साथ सरकार वित्त वर्ष में बदलाव करने की तैयारी कर रही है।
समिति इन पर भी करेगी अध्ययन
सूत्रों के अनुसार समिति केंद्र और राज्य सरकारों की प्राप्तियों और व्यय के सटीक आकलन की दृष्टि से वित्त वर्ष की उपयोगिता, विभिन्न कृषि फसलों के अंतराल, कार्यकारी सत्र (वर्किंग सीजन) और कारोबार पर इसके प्रभावों के बारे में विचार विमर्श करेगी। समिति सरकार को यह रिपोर्ट भी देगी कि वित्तीय वर्ष में बदलाव कब से किया जाए। हालांकि पहले एक विकल्प यह भी सुझाया गया था कि वित्त वर्ष अप्रैल में शुरू होने के बजाय मानसून के बाद शुरू होना चाहिए, ताकि सड़क सहित विभिन्न योजनाओं के निर्माण कार्य में रुकावट न आए।
08July-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें