गुरुवार, 21 जुलाई 2016

माया को दलित हितैषी तमगा जाने का डर!

कांग्रेस को पहले बोलने से बौखलाई बसपा सुप्रीमो
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा में गुजरात में दलित उत्पीड़न के मामले पर बसपा से पहले कांग्रेस को बोलने की अनुमति देने पर बसपा प्रमुख मायावती द्वारा संसद नियम की व्यवस्था पर सवाल उठाने के पीछे यूपी चुनाव की सियासत सामने आती नजर आ रही है। मसलन दलित हितैषी का तमगा लिये बसपा सुप्रीमो को अपने परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी का डर सताने लगा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों में बसपा के अलावा भाजपा, कांग्रेस और सत्तारूढ़ दल सपा जातीय समीकरण की सियासी रणनीति बनाने में जुटे हुए है। भाजपा द्वारा यूपी ईकाई की बागडौर केशव मौर्य को दिये जाने से बसपा को पहले ही दलित वोट बैंक में सेंधमारी की आशंका घर कर रही है। दरअसल बसपा पर लगे दलित हितैषी तमगे को बचाये रखने के इरादे से ही संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन बसपा सुप्रीमो ने गुजरात में दलित उत्पीड़न का मुद्दा उच्च सदन में उठाया था। इसके बाद गुजरात में इस मुद्दे पर तूल पकड़ने का सियासी फायदा अन्य दल भी उठाने की तैयारी में जुट गये। मायावती सरकार के खिलाफ दलित मुद्दे पर कांग्रेस से पहले बोलने की अनुमति न मिलने पर बौखलाने पर राजनीतिकारों का मानना है कि दलितों, पिछड़ो और अन्य कमजोर तबकों के जातीय समीकरण साधने में जुटे अन्य दलों की रणनीति से बसपा को अपने दलित वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है।
दलित मुद्दे पर गंभीर सियासत
दरअसल बसपा सुप्रीमो मायावती ने उच्च सदन में यूपी भाजपा नेता की टिप्पणी के जवाब के बहाने राज्यसभा में यह कहकर भी बसपा को एक मात्र दलित हितैषी का प्रमाण देने का प्रयास किया कि उन्होंने कांशीराम के बताए रास्ते पर चलते हुए अपना पूरा जीवन दलितों के उत्थान के लिये लगा दिया। लेकिन बुधवार को उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जैसे ही तृणमूल कांग्रेस के तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने गुजरात में दलितों के कथित उत्पीड़न का मुद्दा उठाया और इस पर चर्चा की मांग की। और फिर प्रमुख विपक्षी दल के नेता गुलाम नबी आजाद ने तपाक से इस मुद्दे को लपकते हुए उप सभापति से अपनी बात कहने के लिये अनुमति ले ली। तो बसपा सुप्रीमो का बौखलाना स्वाभाविक था, जिस कारण भला दलितों की राजनीति करके राष्टÑीय दल की सुप्रीमो तक पहुंची मायावती कैसे चूक करती। तभी तो मायावती ने ऐतराज के लहजे में पीठ से इस मुद्दे पर गुलामनबी आजाद से पहले अपनी बात कहने की अनुमति मांगने का प्रयास किया।
सदन की व्यवस्था पर सवाल
राज्यसभा में शायद कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद से पहले बोलने की अनुमति न मिलने पर मायावती संसदीय नियम की व्यवस्था का सवाल खड़े करती नजर आई। हालांकि सदन की व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली मायावती पर सरकार और अन्य दलों ने सवाल दागते हुए यह जानने का प्रयास किया कि बसपा प्रमख ने किस नियम के तहत यह व्यवस्था का सवाल उठाया। खैर कुछ भी हो कांग्रेस व बसपा की पहले बोलने की इस होड़ का फायदा तृणमूल कांग्रेस, बीजद, कांग्रेस और जदयू आदि दलों के के सदस्यों ने गुजरात में दलित मुद्दे का भुनाने के लिये ऐसा हंगामा कर ऐसा सियासी फायदा उठाया कि उच्च सदन में कोई कामकाज ही नहीं हो सका।
21July-2016

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