रविवार, 31 जुलाई 2016

राज्यसभा के नए सांसदों ने सीखी संसदीय प्रणाली!

सभापति अंसारी ने संसद की बैठकों में कमी चिंता पर जताई चिंता
नव निर्वाचित सांसदों के बोध कार्यक्रम शुरू
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
राज्यसभा में पहली बार मनोनीत व नव निर्वाचित होकर आये सांसदों को सभापति हामिद अंसारी तथा अन्य वरिष्ठ सांसदों ने संसदीय प्रणाली और नियमों के अलावा आचरण संबन्धी परिपाटियों की जानकारी देते हुए उन्हें संसदीय पाठ पढ़ाया।
राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में नव निर्वाचित और मनोनीत होकर उच्च सदन के नये सांसदों को संसदीय प्रणाली और अन्य नियम संबन्धी प्रशिक्षण देने की परंपरा के तहत उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था का जिम्मा संभालते आ रहे संसद के ब्यूरो आॅफ पार्लियामेंट्री स्टडीज एवं टेªनिंग डिपार्टमेंट ने शनिवार को यहां संसदीय सौंध में दो दिवसीय बोध कार्यक्रम यानि ओरियंटेशन प्रोग्राम शुरू किया,  जिसका उद्घाटन उप राष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति मो. हामिद अंसारी ने किया। राज्यसभा के इन नये सांसदों को संसदीय पाठ पढ़ाते हुए सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने संसद की बैठकों की संख्या घटने पर चिन्ता जताते हुए इस बात पर बल दिया कि सदन में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा, विधायी तथा अन्य कामकाज में आई एक चैथाई कमी से निपटाने के लिये समय प्रबंधन जरूरी है। उनका कहना है कि पहले एक साल में 110 दिन तक संसद की कार्यवाही चलती थी जो अब घटकर लगभग 70 दिन हो गई है। उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे पर उत्तेजना में सदस्यों का सदन के बीच में आना उचित नहीं है। अंसारी ने शून्यकाल या प्रश्नोत्तर  काल के दौरान सदस्य या सदस्यों के सदन के बीच में आने से कामकाज बाधित होने को नियमों के विपरीत बताया। पूरक प्रश्नों के लिये भी तैयारी की जरूरत है ताकि मंत्री जो उत्तर देते हैं और उनसे जो नई बात सामने आती हैं, उस पर त्वरित पूरक प्रश्न पूछे जायें।
मात्र 28 माननीय गंभीर
इस बोध कार्यक्रम के आमंत्रिम किये गये 64 सदस्यों में से केवल 28 नये राज्यसभा सांसद ही संसदीय प्रणाली की सीख के लिये गंभीर नजर आये, जिन्हें सभापति अंसारी के अलावा उप सभापति पीजे कुरियन के साथ पूर्व सांसद निलाकत्पल बसु ने भारतीय राजनीति में संसदीय नियमों की भ्ूमिका, पी राजीव ने प्रश्नकाल के महत्व और टीएमसी सांसद सुखेन्‍दु शेखर राय ने लोक महत्व के मुद्दो को संसद में उठाने का ज्ञान को नये सांसदो के साथ साझा किया।
संसदीय मर्यादा बनाने की कवायद
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों की माने तो संसद के भीतर पिछले कई सत्रों में तार-तार होती रही संसदीय गरिमा के मद्देनजर नए सांसदों को सभी कायदे-कानूनों का ज्ञान कराना जरूरी हो जाता है। लिहाजा प्रशिक्षण के रूप में नए सांसदों को संसदीय प्रणाली के तहत संविधान विशेषज्ञों के अलावा सभापति, उप सभापति, राज्यसभा महासचिव और वरिष्ठतम सांसदों द्वारा संसदीय परंपराओं और नियम कायदों की जानकारी दी जाती है। इसमें नए सांसदों को प्रभावशाली जनप्रतिनिध बनाने की कवायद होती है तो वहीं सदन के भीतर उनका आचरण कैसा होना चाहिए, संसदीय भाषाओं में एक सांसद का कैसा व्यवहार होना चाहिए जैसी जानकारी तो दी ही जाती है, वहीं सदन में किसी मुद्दे को किस नियम और कैसे उठाया जाना है, प्रश्नकाल, वाद-विवाद में हिस्सा लेने के नियमों की जानकारी भी उन्हें दी जाती है।
संसदीय परिपाटी का एजेंडा
बोध कार्यक्रम के तहत इन दो दिनों में राज्यसभा के इन नये सदस्यों को भारतीय राजनीति में लोकसभा या राज्यसभा की भूमिका, सदस्यों के योगदान, कर्तव्य और दायित्व के साथ संसदीय परिपाटी व प्रक्रिया, शिष्टाचार, आचार संहिता और विशेषाधिकार आदि नियमों की जानकारी देने के अलावा सांसद की भूमिका और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के लिए योगदान, सदस्य की सुविधाएं और विशेषाधिकार का एक अवलोकन, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीएलएडीएस), कानून बनाने की प्रक्रिया, समिति प्रणाली, राजनीति में आचार संहिता जैसे विषयों के बारे में भी ज्ञान दिया जा रहा है। वहीं नए सदस्यों को यह भी अवगत कराया जाएगा कि प्रश्नकाल, शून्यकाल, चर्चा या वाद-विवाद, विधेयकों, संसदीय समितियों, सांसद निधि और उसके विभिन्न योजनाओं में उपयोग, सदस्यों को दी जाने वाली सुख-सुविधाओं की क्या प्रक्रिया है और सदन में सदस्यों की क्या भूमिका होनी चाहिए।

31July-2016

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