सोमवार, 25 जुलाई 2016

ऐसे कैसे सिरे चढ़ेगा ‘आदर्श गांव’ मिशन

डेढ़ दर्जन कैबिनेट मंत्रियों ने गोद नहीं लिये गांव
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार द्वारा गांवों के आधुनिकीकरण के लिये शुरू की गई ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ यानि के दूसरे चरण में डेढ़ दर्जन केंद्रीय मंत्री अब तक एक भ्‍ाी गांव गोद नहीं ले पाये हैं, जबकि इसके लिये छह माह पहले ही मियाद खत्म हो चुकी है।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से अपने पहले भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ का ऐलान किया था, जिसका दूसरा चरण शुरू हो चुका है और सांसदों को गांव का चयन कर गोद लेने के लिये गत जनवरी के अंत तक का समय दिया गया था। ग्रामीण विकास मंत्रालय के ताज आंकड़ों पर गौर करें तो इस दूसरे चरण में पीएम मोदी के अलावा केवल आठ कैबिनेट मंत्रियों सुषमा स्वराज, रामविलास पासवान, जेपी नड्डा, अशोक गजपति राजू, चौधरी बीरेंद्र सिंह, थावर चंद गहलोत, स्मृति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर ने ही ने ही गांव गोद लिए हैं। जबकि इस योजना के दूसरे चरण में अभी तक 18 कैबिनेट मंत्रियों का अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक-एक गांव गोद लेने का इंतजार है। हालांकि एसएजीवाई के तहत सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को गांव गोद लेने की बात कही गई है, ताकि इन गांवों को आधुनिक गांव में बदला जा सके और इन क्षेत्रों में भौतिक और संस्थागत अवसंरचना विकसित करने की जिम्मेदारी ली जा सके। मंत्रालय के अनुसार पहले चरण में 795 सांसदों में से 701 ने गांवों को गोद लिया था, जबकि दूसरे चरण में प्रतिक्रिया कमजोर रही और केवल 102 सांसदों ने ही गोद लेने के लिए एक-एक गांव का चयन किया है। 
क्या आदर्श ग्राम योजना
इस योजना के तहत लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 242 सांसदों सहित सभी 785 सांसदों को वर्ष 2019 तक तीन-तीन गांव विकसित करने हैं। एसएजीवाई के तहत सभी राजनीतिक दलों के सांसदों को गांव गोद लेने की बात कही गई है, ताकि इन गांवों को आधुनिक गांव में बदला जा सके और इन क्षेत्रों में भौतिक और संस्थागत अवसंरचना विकसित करने की जिम्मेदारी ली जा सके। एसएजीवाई के तहत अलग से किसी बजटीय आवंटन का प्रावधान नहीं है, लेकिन सांसदों से कहा गया कि वे अपने चुने गए गांवों के लिए धन की व्यवस्था ग्रामीण आवास के वास्ते इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी जारी 21 योजनाओं को किए जाने वाले आवंटन के माध्यम से करें। हालांकि सांसदों ने योजना के लिए अलग से धन न होने की शिकायत की है। एसएजीवाई का उद्देश्य मूलत: चयनित गांवों में सभी तबकों के जीवन स्तर और जीवन गुणवत्ता में सुधार करने का है।
क्या था पीएम का मकसद
प्रधानमंत्री ने शहरों की तर्ज पर गांवों के विकास के लिए इस योजना की शुरूआत की। इस योजना के तहत सांसदों को एक गांव गोद लेकर उसका विकास करना था। प्रधानमंत्री की इस योजना से गांववाले काफी खुश थे कि अब उनके गांव का जल्द विकास होगा लेकिन यह खुशी उनकी अब लगभग खत्म सी हो गई है। क्योंकि इन आदर्श गांवों का विकास मात्र दिखावा साबित हो रहा है।
कंपनियों को सौंपने की योजना
सूत्रों की माने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गांव गोद लेने की इस आदर्श ग्राम योजना में सांसदों की दिलचस्पी खत्म होती नजर आ रही है। ऐसे में सरकार अब इस योजना को बरकरार रखने के लिये कॉर्पाेरेट फंडिंग की तलाश में हैं। सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास मंत्रालय इस सिलसिले में  रीजनल कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यानि सीएसआर कॉन्क्लेव का आयोजन करके इसके लिये आगे कदम बढ़ा रहा है। सूत्रों के अनुसार ऐसे आयोजन मुंबई के बाद सरकार लखनऊ, गुजरात, चंडीगढ़ और अन्य रीजनल सेंटरों में किये जा सकते हैं। इस योजना में सरकार को रीजनल कॉन्क्लेव से सांसदों और जिला प्रशासन को उन कॉपोर्रेट खिलाडियों से जुड़ने में मदद मिलेगी, जो गांव में निवेश करना चाहते हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्यों में 340 ऐसे प्रोजेक्ट्स की पहचान की है, जिन्हें फंडिंग की जरूरत है। 
25July-2016


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