बुधवार, 27 जुलाई 2016

राज्यों की सहमति से आपस में जुड़ेगी नदियां!

तय होगी नदियों के ‘अतिरिक्ता जल’ की परिभाषा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
अटल सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नदियों को आपस में जोड़ने’ की परियोजना को आगे बढ़ा रही मोदी सरकार राज्यों की सहमति बनाने की कवायद में जुटी है। इसी मकसद से राज्यों के साथ बाधक बन रहे विवाद खत्म करने के लिये सरकार जल्द ही नदियों के ‘अतिरिक्ता जल’ की परिभाषा तय करेगी।
केंद्रीय जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने ऐसे संकेत यहां मंगलवार को यहां नई दिल्ली में नदी जोड़ो परियोजना से संबंधित विशेष समिति की हुई बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिये है। सुश्री भारती ने स्पष्ट रूप से सभी राज्यों की सहमति से नदियों के ‘अतिरिक्ता जल’ की परिभाषा अंतिम रूप देने की जरूरत को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए देश की कृषि योग्य भूमि, सिंचाई के लिए उपलब्ध, भूमि, गैर सिंचित भूमि, कृषि पैदावार और उस पैदावार के लिए बाजार आदि सभी तथ्यों का आकलन किया जाएगा है। ऐसी सभी जानकारी जुटाने के बाद उनका मंत्रालय सभी राज्यों के साथ व्यापक विमर्श करने के बाद इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लेगा, ताकि इस विवाद को समाप्त करके नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं में तेजी लाई जा सके।
राज्यों ने भी दिये सुझाव
नदी जोड़ो परियोजना से संबंधित विशेष समिति की बैठक में बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने नेपाल से राज्य में प्रवेश करने वाली नदियों में आने वाली बाढ़ का मुद्दा उठाया और बिहार में नदी जोड़ो परियोजना का तेजी से अमल करने पर बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि दो लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सिंचित करने वाली परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के जल संसाधन राज्य मंत्री सुरेन्दर सिंह पटेल ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत बताया।
केन-बेतवा में है अड़चन
मंत्रालय के अनुसार नदी जोड़ो परियोजना को आगे बढ़ाने में सबसे पहले केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने वाली परियोजना लगभग तैयार है, लेकिन पर्यावरण मंत्रालय की वन्यजीव समिति इसमें अभी तक रोड़ा बनी हुई है। इस समिति से खुद केद्रीय मंत्री उमा भारती भी खफा हैं। केंन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के पूरा होने का इंतजार मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारे भी कर रही हैं, क्योंकि इसके पूरा होने से दोनों राज्यों में बुंदेलखंड के लोगों की सूखे और बाढ़ जैसी समस्या का समाधान हो जायेगा। मसलन इस परियोजना से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा, जिन्हें पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी।
क्या है सरकार का तर्क
जल संसाधन मंत्री उमा भारती का कहना है कि पिछले काफी समय से इस परियोजना को वन्यजीव समिति की मंजूरी नहीं मिल पाई है जबकि मंत्रालय ने हर एक बिन्दु को स्पष्ट कर दिया है, उस क्षेत्र में सार्वजनिक सुनवाई पूरी हो चुकी है। नदी जोड़ो परियोजना नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है और इसे पूरा किया जायेगा। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से जुड़े बांध की ऊंचाई कम करने के बारे में एक सवाल के जवाब में उमा ने कहा कि ऊंचाई के विषय पर कोई समझौता नहीं होगा।
विशेषज्ञों के साथ जल मंथन
केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने इन सभी जानकारी जुट जाने के बाद एक जल मंथन का भी आयोजन करने पर जोर दिया, जिसमें जल से संबंधित सभी विशेषज्ञ की राय को साझा किया जाएगा। सुश्री भारती ने नदी जोड़ो परियोजनाओं पर तेजी से काम किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय जल विकास प्राधिकरण से उम्मीद करती हैं कि वह तेजी से काम करे और विलंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए समयबद्ध तरीके से काम करे।
27July-2016


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