शनिवार, 23 जुलाई 2016

संसद की मंजूरी के मुहाने पर जीएसटी विधेयक!

राज्यसभा: अगले सप्ताह होगी पांच घंटे की चर्चा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी विधेयक को चर्चा के लिये इस उम्मीद के साथ अगले हफ्ते राज्यसभा की कार्यसूची में शामिल किया है कि ज्यादातर दलों की सहमति के बीच इस विधेयक को संसद की मंजूरी मिल जायेगी। हालांकि सरकार ने कांग्रेस का साथ लेने के लिये उनके सुझावों पर विचार करने का मन बनाया है, जिसके लिये जीएसटी के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिये केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी ली जा सकती है।
संसद के मानसून सत्र की पहले सप्ताह की कार्यवाही पूरी होने से पहले राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति ने जीएसटी को आगामी सोमवार से शुरू होने वाले सप्ताह की कार्यावली में शामिल किया है। उच्च सदन में जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिये पांच घंटे का समय निर्धारित किया गया है। जीएसटी पर राज्यों और ज्यादातर विपक्षी दलों के समर्थन के साथ ही कांग्रेस के तेवरों में देखी जा रही नरमी को देखते हुए संभावना है कि उच्च सदन में इस बार संविधान (122वां संशोधन) के रूप में जीएसटी विधेयक पारित हो जायेगा। हालांकि सरकार पहले ही कह चुकी है कि कांग्रेस को वह अलग-थलग करने के मूड में नहीं है, जिसके कारण सरकार ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा करके उनके मन को भी टटोला है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस जीएसटी में जिन प्रावधानों को बदलने का सुझाव देती आ रही है उसके लिये सरकार की रणनीति में भी नरमी देखी गई है। गौरतलब है कि यह विधेयक पिछले साल ही लोकसभा में पारित हो चुका है। राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति में शामिल सभी दलों के सदस्यों में भी इस विधेयक को लेकर आई नरमी को देखते हुए माना जा रहा है कि जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक पर सार्थक चर्चा होगी और इसे पारित करा लिया जायेगा।
आंशिक संशोधन की संभावना
सूत्रों की माने तो सरकार ने ऐसे संकेत दिये हैं कि वह कांग्रेस के सुझावों के आधार पर जीएसटी के प्रावधानों में थोड़ा-बहुत संशोधन करके कांग्रेस को समर्थन कर सकती है। हालांकि जीएसटी की 18 फीसदी दर को संविधान का हिस्सा बनाने की अपनी मांग को कांग्रेस छोड़ने का संकेत दे चुकी है। जबकि उत्पादक राज्यों को एक फीसदी का अतिरिक्त कर को खत्म करने की सरकार पहले ही मान चुकी है। जबकि जीएसटी की दर की अधिकतम सीमा 20 प्रतिशत तय करने के सुझाव में कुछ संशोधन की संभावना जताई जा रही है। संविधान संशोधन में शामिल कराना चाहती है। कांग्रेस की मांग में राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे के विवादों को सुलझाने के लिए बनने वाली परिषद के अधिकारों में भी कांग्रेस के सुझाव पर सरकार विचार कर रही है। ऐसी स्थिति में उच्च सदन में चर्चा कराने से पहले कुछ आंशिक संशोधन की मंजूरी हेतु जीएसटी फिर केंद्रीय कैबिनेट में जा सकता है।
जटिल होगी कानूनी प्रक्रिया
राज्यसभा में पारित होने के बावजूद जीएसटी कानून को लागू कराने की राह इतनी आसान नहीं है जितनी मानी जा रही है। मसलन संविधान संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण जीएसटी विधेयक को उच्च सदन की मंजूरी के बाद कम से कम 15 राज्यों के विधानसभाओं से भी मंजूरी हासिल करनी होगी। यह भी तय है कि यदि राज्यसभा या राज्य विधानसभाओं में चर्चाओं के दौरान कोई संशोधन पारित किये जाते हैं तो फिर से इस विधेयक को संसद की मंजूरी लेनी होगी। अन्यथा राज्यों की मंजूरी के बाद ही इसे राष्ट्रपति की मुहर लगवाकर कानून लागू किया जा सकेगा। दरअसल संविधान संशोधन के बाद केंद्र सरकार को दो कानून बनाने होंगे, जबकि सभी राज्य सरकारो को अपने-अपने स्तर पर राज्य कर व सेवा कर के लिए कानून बनाना होगा।
23July-2016

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