शनिवार, 16 जुलाई 2016

जीएसटी पर कांग्रेस का भी साथ लेगी मोदी सरकार!

मानसून सत्र के एजेंडे में पहली प्राथमिकता में जीएसटी
जेटली व अनंत कुमार ने शुरू किया मुलाकात का दौर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक सरकार के एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता में हैं। सरकार इस विधेयक को सर्वसम्मिति से पारित कराना चाहती है। यही कारण है कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर कांगे्रेस को अलग-थलग करने के पक्ष में नहीं है। इसी इरादे से सरकार ने आम सहमति बनाने के लिये कांग्रेस से बातचीत का दौर शुरू कर दिया है।
राज्यसभा में सत्तारूढ़ राजग सबसे बड़ा गठबंधन होने और अन्य कई दलों के समर्थन के ऐलान से मोदी सरकार 18 जुलाई यानि आगामी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक को पारित कराने के प्रति आश्वस्त है, लेकिन सरकार कांग्रेस के साथ भी आमसहमति बनाने के पक्ष में है। इसी इरादे के तहत वित्त मंत्री अरुण जेटली और नये संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार जीएसटी कानून में कांग्रेस की ओर से सुझाए गये बदलाव को लेकर उच्च सदन में प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। इन मुद्दों पर शुक्रवार को दोनों मंत्रियों की कांग्रेस के इन शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात भी हुई। गौरतलब है कि लोकसभा में जीएसटी प्रस्तावों को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के कारण अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाने वाला यह महत्वपूर्ण विधेयक राज्य सभा में अटका हुआ है। अब सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक को पारित कराने के इरादे से मोदी सरकार ने सभी रणनीतियों को सकारात्मक नजरिये से अपनाने का निर्णय लिया है, जिसमें वह सभी दलों के अलावा राज्यों की सरकारों को भी आम सहमति के लिए साधने की तैयारी में है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अंतर-राज्यीय परिषद की बैठक में दो दर्जन मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करने का मकसद भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बहरहाल केंद्र सरकार अगले वित्तीय वर्ष से देश में जीएसटी कानून लागू करने की तैयारी में है। यह भी तय है कि देश में जीएसटी के अमल में आने के बाद एक समान कर व्यवस्था लागू हो जायेगी और इसमें कई तरह के अप्रत्यक्ष कर समाहित हो जायेंगे। वही देश की जीडीपी में 1 से 2 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद से भी इंकार नही किया जा सकता।
क्या चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस जीएसटी की दर की अधिकतम सीमा 20 प्रतिशत तय करने की सरकार से मांग कर रही है, जिसे संविधान संशोधन में शामिल कराना चाहती है। जबकि सरकार का तर्क है कि ऐसा करने पर दरों में बदलाव करने हेतु हर बार संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। अब कांग्रेस ने कर की दर को जीएसटी से संबंधित सहायक दस्तावेजों में दर्ज करवाने की सहमति के संकेत दिए हैं। कांग्रेस वस्तुओं को राज्यों की सीमा से आने-जाने पर देने वाले प्रस्तावित एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को भी हटवाना चाहती है। जबकि तीसरी बड़ी मांग में वित्तमंत्री से उस परिषद के अधिकारों को बढ़ावाना चाहती है, जो राज्यों के बीच राजस्व बंटवारे के विवादों को सुलझाने के लिए बनाई जाएगी।
इसलिए कांग्रेस जरूरी
राज्यसभा में जीएसटी को पारित कराने के लिए सरकार को तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता दल और जनता दल यूनाइटेड जैसे क्षेत्रीय दल समर्थन देने के लिए सहमत हो चुके हैं, लेकिन सरकार को कांग्रेस का समर्थन लेने की इसलिए ज्यादा दरकार है कि कांग्रेस संसद की कार्यवाही में बाधा न पहुंचाए और विधेयक को पारित कराया जा सके। जेटली पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भले ही राज्यसभा में जीएसटी पास कराने के लिए सरकार के पास पर्याप्त आंकड़ा हो, लेकिन वह नहीं चाहती कि कांग्रेस को इस मुद्दे पर अलग-थलग रखा जाए। गौरतलब है कि लोकसभा में जीएसटी प्रस्तावों को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है,लेकिन प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के कारण अप्रत्यक्ष करों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाने वाला यह महत्वपूर्ण विधेयक राज्य सभा में अटका हुआ है। सरकार और कांग्रेस की ओर से मिल रहे संकेतों की बात की जाये तो फिलहाल दोनों पक्ष एक-दूसरे की बात को समझने और शायद मान लेने के लिए भी तैयार होते भी नजर आ रहे हैं, जिसमें सरकार कांग्रेस के आर्थिक सुधार वाले सुझावों में बदलाव भी कर सकती है।
सरकार को जगी उम्मीद
कांग्रेस नेताओं से हुई इस मुलाकात के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी के सभी बिंदुओं पर प्रारंभिक चर्चा शुरू हुई है, जिसके लिये अन्य दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे। सरकार चाहती है कि इस मुद्दे पर आम सहमति कायम हो। कांग्रेस के ये नेता इस बातचीत के बिंदुओं पर कांग्रेस हाईकमान से बात करके अपना फैसला देंगे। जेटली ने उम्मीद जताई है कि राज्यसभा में इस विधेयक को आम सहमति से पारित करा लिया जायेगा। जेटली का कहना है कि यह विधेयक भाजपा का नहीं, बल्कि कांग्रेस ही इसे संसद में लेकर आई थी। एक दिन पहले यानि गुरुवार को भी सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वैकया नायडू ने कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा से मुलाकात करके इस महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने में कांग्रेस का समर्थन मांगने के लिये चर्चा की थी।  
16July-2016


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