शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

‘नमामि गंगे’ मिशन जल्द बदलेगा गंगा नदी की सूरत!


राष्ट्रीय गंगा स्वच्छ अभियान में शुरू हुई 231 परियोजनाएं
तीन चरणों में पूरी होगी दो हजार करोड़ रुपये 300 परियोजनाएं
ओ.पी. पाल. हरिद्वार(उत्तराखंड)।
गंगा नदी के जल की धारा को निर्मल और अविरल बनाने की दिशा में मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी नमामि गंगे मिशन को आगे बढ़ाते हुए गंगा की सफाई के लिये एक साथ 231परियोजनाओं की शुरूआत कर दी गई है। ऐसी कुल 300 इसके लिए दो हजार करोड़ रुपये की ऐसी 300 परियोजनाएं तीन चरणों में पूरी की जाएगी।
गुरुवार को यहां हरिद्वार में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी तथा संस्कृति व पर्यटन मंत्री डा. महेश शर्मा के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ने नमामि गंगे मिशन के तहत गंगा की सफाई के लिए पटरी पर उतारी गई 231 परियोजनाओं की शुरूआत की। इन परियोजनाओं में घाटों का नवीनीकरण, जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करना, वृक्षारोपण एवं जैव विविधता संरक्षण शामिल है। राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता अभियान के तहत नमामि गंगे मिशन के सहारे गंगा और अन्य सहायक नदियों की सूरत बदलने के लिए केंद्र सरकार ने नदियों की सफाई और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का बजट पहले ही तय कर दिया है। गंगा बेसिन पांच राज्यों में गंगा तट पर बसे 104 गांवों, कस्बों और शहरों में गंगा नदी की दशा बदलने के चलाई जा रही 300 परियोजनाओं को तीन चरणों में पूरा करने का लक्ष्य है। पहला चरण अक्टूबर 2016 और दूसरा चरण अगले दो सालों में पूरा कर लिया जायेगा।
ऐसे होगी गंगा की सफाई
नमामि गंगे मिशन के तहत जिन परियोजनाओं का शुभारंभ किया गया है, उनमें प्रमुख काम गंगा की सफाई करना है। इस परियोजना के तहत गंगा में मिलने वाले सीवेज और गंदे पानी को रोकने हेतु नदी के किनारे पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के अलावा ठोस अपशिष्ट को भी गंगा में जाने से रोकने के उपाये होंगे। गंगा के घाटों के किनारों और शमशानों के आधुनिक विकास के साथ वृक्षारोपण के जरिये हरियाली और सौँदर्यकरण किया जाना है। शहरों, कस्बो व गांवों के नालों के पानी की सफाई के लिये मशीने लगेंगी और गंगा किनारे ऋषिकेश, देहरादून, नरोरा, इलाहाबाद, वाराणसी, भागलपुर, साहिबगंज और बैरकपुर में आठ बायो डायवर्सिटी पार्क विकसित किये जायेंगे। गंगा बेसिन पांच राज्यों उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में राज्यों में गंगा किनारे बसे 104 गांवों, कस्बों और शहरों में इन इन परियोजनाओं पर काम किया जाएगा, जिनकी शुरूआत इन राज्यों के अलावा हरियाणा और दिल्ली में भी शुरू की जा रही है।
कानूनी शिकंजे में होगी योजना
इन परियोजनाओं की शुरूआत के दौरान उमा भारती ने कहा कि योजना के तहत एसटीपी ट्रीटमेंट यानि शोध के बिना औद्योगिक इकाइयों के पानी को गंगा में नहीं डालने दिया जाएगा। इस दिशा में केंद्र सरकार जल्द ऐसा ठोस कानून बनाने जा रही है, जिसमें गंगा या अन्य नदियों को गंदा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जायेगी, जिसमें जेल और जुर्माने का भी प्रावधान होगा।
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एक सदी का सपना होगा पूरा: उमा
इस मौके पर केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि मोदी सरकार ने नमामि गंगे मिशन की शुरूआत करके मदन मोहन मालवीय के सपने को पूरा करने का संकल्प लिया है, जिन्होनं सौ साल पहले गंगा की अविरलता के लिए अंग्रेजी हकूमत के साथ करार किया था। उन्होंने कहा कि आज देवभूमि की धरती से गंगा की सूरत बदलने की कवायद शुरू हो गई है। गंगा ही नहीं अन्य सहायक नदियों के किनारे भी ऐसी परियोजनाएं शुरू की जाएंगी। उन्होंने दावा किया कि गंगोत्री से गंगासागर तक ऐसी एक हजार योजना तैयार है, जिनका पहला नतीजा आने वाले अक्टूबर माह तक सामने आ जायेगा। वहीं उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नमामि गंगे मिशन में राज्यों से कोई पैसा नहीं लिया जायेगा और पूरा खर्च केंद्र सरकार ही वहन कर रही है, लेकिन राज्य सरकारों और जनभागीदारी से ही इस मिशन को पूरा करने का सपना है। उन्होंने कहा कि गंगा पूजा-पाठ और पूजन सामग्री से नहीं, बल्कि औद्योगिक कचरे और सीवरेज जल से गंदी हुई है। सारी व्यवस्था पर नजर रखने को त्रीस्तरीय जांच व्यवस्था है। उमा भारती ने हरीश रावत को गंगा के मुद्दे पर साथ देने वाला गंभीर चिंतक बताया। उमा भारती ने इस मिशन को आस्था व विकास का विषय बताते हुए कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि आम जनता व गंगा भक्तों की भी है। यह दुर्भाग्य है कि गंगा को गंदा करते हैं और खुद तो मिनरल वाटर पीते हैं और अपने माता-पिता को वो गंगा जल पिलाते है, जिन्हें खुद नहीं पीते।
गंदे पानी से मिलेगा पैसा: गडकरी
नमामि गंगे की परियोजनाओं की शुरूआत के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि गंगा के दूषित पानी को रिसाइकल कर रेलवे स्टेशन धोने का काम किया जाएगा। गडकरी ने गंगा जल को शुद्ध कर बेचने की योजना पर कहा कि जब विदेशों का जल आकर बिक सकता है तो गंगा जल क्यों नहीं बिक सकता, उन्होंने कहा कि बस मार्केटिंग की जरूरत है। इसलिए इस परियोजना के तहत 1180 प्रकल्प पर काम दिसंबर से पहले शुरू हो जायेंगे। मसलन गंदे पानी से मिथेन अलग तरह इसे ऊर्जा में काम लाया जायेगा। कानपुर की टेनरी गंगा को गंदा कर रहे हैं। गंदे पानी से गैस निकाल कर बायो डाइवर्सिफायड कर उसे ऊर्जा के तौर पर इस्तेमाल किया जायेगा। गडकरी ने कहा कि इसी नई तकनीकी की मदद दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने की योजना पर काम किया जा रहा है, जल्दी दिल्ली को प्रदूषण और कचरा मुक्त बना दिया जायेगा। कटे बालों से अमीनो एसिड बना कर उसकी आर्गेनिक वैल्यू बढा कर उसे उपज बढाने में उसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
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नमामि गंगे मिशन में शामिल हुई दामोदर नदी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र में मोदी सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना नमामि गंगे मिशन परियोजना से दामोदर नदी को भी जोड़ दिया गया है। इस परियोजना में गंगा की सहायक नदियों को स्वच्छ बनाने की योजना को मंजूरी दी गई है। दामोदार नदी भी गंगा की प्रमुख सहायक नदी है।
यह खुलासा गुरुवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने हरिद्वार में गंगा सफाई के लिये की गई परियोजनाओं की शुरूआत करने के लिये आयोजित समारोह के दौरान दी। उन्होंने बताया कि इस इस परियोजना के तहत दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए धनबाद में 500 करोड़ खर्च किये जायेंगे। इस राशि का इस्तेमाल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने में किया जाएगा। इस प्लांट के लिए डीपीआर बनवाने की जिम्मेदारी धनबाद नगर निगम को दी गयी है। धनबाद के अलावा राज्य में रामगढ़ और बोकारो जले के फूसरो प्रखंड में भी इसी प्रकार का सिवरेज प्लांट बनाया जायेगा। गौरतलब है कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के अनुसार 563 किमी लंबे दामोदर नदी में धनबाद, फुसरो और रामगढ़ में ही इसके किनारे बने उद्योगों से सबसे अधिक प्रदूषित पानी गिरता है। इसी वजह इन शहरों में सिवेरज प्लांट को मंजूरी दी गई है। इसके अलावे इन तीनों शहरों में सभी उद्योगों को वाटर ट्रीट मेंट प्लांट लगाने को भी कहा गया है।
08July-2016


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