लाल बत्ती के मोह मे भाजपा सांसद भारतीय
राजनीति को लेकर सादगी की बात की जाये तो करवटे बदलती देखी गई है, जबकि
ब्रिटेन जैसे कुछ देशों के बारे में कहा जाता है कि वहां की सरकार के
नुमाइंदे और संसद सदस्य आम आदमी की तरह सरकारी वाहन के बजाय सार्वजनिक वाहन
में सवारी करते हैं और सादगी का जीवन जीते हैं। हालांकि अपने भारत में भी
सादगी के वैसे तो कई उदाहरण हैं। राजग की मोदी सरकार में भी कुछ माननीयों
ने सादगी पेश की, जिनमे प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद
नये मंत्रियों में भाजपा के वे दो सांसद भी शामिल हैं। इन दोनों ने मोदी के
संकल्प के मिशन में कदमताल मिलाकर एक आदर्श पेश करके पिछले दो सालों में
सुर्खियां बटोरी थी, लेकिन लाल बत्ती मिलते ही उन्होनें उन सभी
सिद्धांतवादी विचारधरा को ताक पर रखना शुरू कर दिया। इनमें एक ने तो
बिकानेर तक साइकिल तक यात्रा कर पीएम मोदी को प्रदूषण उन्मूलन अभियान कम
रूप में प्रभावित किया। मसलन पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेकर राजस्थान के
ये माननीय तो मंत्रालय का काम मिलते नये तेवर में नजर आये और अपनी साईकिल
को ताला लगाकर संसद के मानसून सत्र में लाल बत्ती की गाड़ी से आना जाना करते
देखे गये। यही नही मंत्रिमंडल से बाहर किये गये माननीयों ने भी बत्ती का
मोह नही छाड़ा तो ‘खरबूजे को देख खरबूजी भी रंग बदलने’ वाली कहावत सामने आई।
मसलन मौजूदा संसद सत्र में पहले तीन दिन तक मंत्री बनने के बावजूद साईकिल
पर सवार होकर संसद आने के बाद गुजरात के माननीय ने लाल बत्ती की गड़ी थाम
ली। हुअ ना लाल बत्ती का मोह...!दाल ने बदली मुर्गी की चाल...
दाल बराबर मुर्गी..वाली कहावत आज के दौर में शायद बदल रही है। मसलन दाल मुर्गी से ज्यादा तेज दौड़ रही है जिसका कारण सुरसा की तरह मुहं बाये डायन महंगाई? दरअसल देश में आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि पर राज्यसभा में विपक्षी दलों के सदस्यों ने गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए ऐसी ही पहेली पेश की। तर्क भी साफ है कि बढ़ती महंगई के हालात यहां तक पहुंच गए कि दाल महंगी और मुर्गी सस्ती हो गई है। उच्च सदन में कांग्रेस के प्रमोद तिवारी ने बढ़ती महंगाई का मुद्दा उठाते हुए दाल बराबर मुर्गी की बदलती चाल को आम आदमी की कमर तोड़ने का सबब करार दिया। सरकार का फोकस भी दालों की कीमतों को नियंत्रण करने पर है ताकि दाल और मुर्गी की चाल खरगोश व कछुआ बनने से रोकी जा सके। सियासी गलियारे में महंगाई को लेकर चल रही बहस मे बदल गई ना दाल के मुकाबले मुर्गी की चाल..।
संसद में दिखा टीम एचआरडी का जलवा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की कमान प्रकाश जावड़ेकर के हाथों में आते ही उनकी सबसे पहली घोषणा में कहा गया कि इस विभाग के तीनों मंत्री टीम एचआरडी की तरह काम करेंगे। इसकी झलक अब धीरे-धीरे मंत्रालय के बाहर भी दिखाई और सुनाई देनी लगी है। बीते बृहस्पतिवार को उच्चसदन यानि राज्यसभा में मानव संसाधन मंत्रालय के सवाल-जवाब के दिन टीम एचआरडी की एकजुटता का साफ नजारा देखने को मिला। तीनों मंत्री एक साथ तीसरी पंक्ति में बैठे हुए नजर आए। ऐसा बीते दो वर्षों में संसद में कभी भी देखने को नहीं मिला। सदन की कार्रवाई जैसे ही प्रश्नकाल के लिए शुरू हुई। केंद्रीय एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सांसदों के प्रश्नों के जवाब दिए तो वहीं दोनों राज्य मंत्री महेंद्रनाथ पांड्ेय और उपेंद्र कुशवाहा साथ में उन्हें पूर्ण सहयोग देने की मुद्रा में बैठे हुए नजर आए। इसी तो संसद में टीम एचआरडी का जलवा ही कहेंगे।
-ओ.पी. पाल व कविता जोशी
24July-2016
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