रविवार, 31 जुलाई 2016

राग दरबार- यूपी में कांग्रेस की सियासी लीला

कांग्रेस की लीला-यूपी में शीला
देश की सत्ता की सियासत का रास्ता यूपी से होकर जाता है ऐसा सभी राजनीतिक दल मानते आ रहे हैं। मगर यूपी मिशन को फतेह करने की सियासी लीला के लिये कांग्रेस ने दिल्ली से उस शीला दीक्षित को सीएम का उम्मीदवार बनाकर यूपी में भेज दिया है, जिसने दिल्ली की मुख्यमंत्री होते हुए कहा था कि यूपी के लोग दिल्ली आकर गन्दगी और भीड़ बढ़ाते हैं। यही नहीं राज बब्बर को यूपी कांगे्रस की बागडौर दी गई, जो Þ12 रूपये में भरपेट खाना खिला सकते हैं? ऐसे में यूपी की सियासत मे इनका हौंसला हफजाई करने में कानपुर में कांग्रेस युवराज राहुल गांधी ने हाईटेक रैली करके युवाओं की बात को हवा दी, पर यूपी चुनाव के लिए चेहरा दिया 78 साल की वृद्धा का। ऐसे में ‘‘कांग्रेस की देखो लीला-दिल्ली से आ गयीं शीला। राज बब्बर कर चुके कमाल-बारह रुपये में भरपेट थाल। राहुल क्या छेडेंगे राग-जब महल में उनके लगी है आग’’ जैसे यूपी के लोगों में जुमलेबाजी भी सोशल मीडिया पर जोर पकड़े हुए है। इन जुमलो को पुष्ट करते शीला के सामने सवाल खडे हो रहे हैं कि शीला जी अगर यूपी वाले गंदगी बढ़ाते है तो क्या वह यूपी के कूड़े में से क्या बीनने आयी हो? पता तो होगा न कि कूड़ा बीनने वाले को क्या कहते है? कांगे्रस की यूपी में खोई सियासी जमीन की वापसी की इस कवायद को लेकर सियासी गलियारों में तो चर्चा यही है कि शायद यह शीला के यूपी वालों को कोसने की बदुआ ही ‘सिर मुंडाते ही ओले पडे’ जैसी कहावत को चरितार्थ होती दिखी, जिसमे यूपी विधानसभा चुनाव का शंखनाद करने दिल्ली से एक लग्जरी बस पर सवार होकर निकली शीला दीक्षित को तबीयत नासाज होने पर बीच रास्ते से ही दिल्ली लौटना पड़ा। इससे पहले जब वह लखनऊ में पीसीसी दμतर जाते समय वाहन पर बनाया गया मंच टूटने और कानपुर में झमाझम बारिश की बाधा को अब पुराने खयाल वाले इसे अपशकुन माना जा रहा है? हुई ना यूपी में कांग्रेस की लीला...।
हर मर्ज की दवा बनेगा ट्वीटर
सोशल मीडिया के सबसे प्रचलित माध्यम के रूप में ‘ट्वीटर’ शहरी आबादी में छाया हुआ है। इसका कमाल ऐसा कि अब तो भारत सरकार के सारे मंत्री और उनके विभाग भी ट्वीटर पर एक्टिव हैं। जनता जर्नादन कोई समस्या होने पर बस एक ट्वीट कर अपनी समस्या का पूरा समाधान पा लेती है। न कोई लंबी चौड़ी शिकायत करने का मसला और ना ही उसका समाधान ढूंढने के लिए घंटों, महीनों सरकारी बाबूओं के चक्कर काटने की मजबूरी। केवल ट्वीटर पर एक अकाउंट बनाकर कोई दिक्कत होने पर ट्वीटर पर 120 शब्द लिखने है और आपकी हर मुराद पूरी हो जाएगी। ऐसे में आने वाले वक्त में ट्वीटर हर मर्ज की दवा बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
अनुशासनप्रिय अध्यापिका
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन सदन के पास सदन के सदस्य के रूप में कई बार का अनुभव है। इस अनुभव का फायदा वो सभा की कार्यवाही को चलाने में भी उठाती हैं। कभी वो कठोर अध्यापिक हो जाती है तो कभी चुहल लेने वाली सहयोगी। बीते सोमवार को जब सुबह उन्होंने आम आदमी सांसद भगवंत मान के वीडियो अपलोड के मामले में अपना निर्णय सुनाया तो वो एक कठोर अनुशासन प्रिय अध्यापिक लग रहीं थी, जो अपने शिष्य की गलती को यूं ही नजर अंदाज नहीं करना चाहती हो। उसके तुरंत बाद प्रश्नोत्तर काल में सांसदों के नाम पुकारते समय हल्की-फल्की टिप्पणियों करके सहयोगी की तरह नजर आने लगी। काफी पर प्रश्न के बाद चाय पर प्रश्न लगा था। सांसद का नाम पुकारने के पूर्व उन्होंने कहा ‘‘अब थोड़ी चाय पी लें’’ इसके बाद सांसदों के बीच हंसी का माहौल बन गया। इसके बाद पेट्रोलियम मंत्रालय के प्रश्न के पूर्व उन्होंने फिर चुटकी ली ‘ अब गाड़ी में पेट्रोल डाल लें ’’
-ओ.पी. पाल, कविता जोशी व अरूण
31July-2016

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