बाहर आया यूपी व हरियाणा के किसानों के विवाद का जिन्न
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय
राजधानी दिल्ली को इस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे और वेस्टर्न पेरीफेरल
एक्सप्रेस-वे यानि ‘गोल्डन नेकलस’ के बीच लाकर यातायात की समस्या से राहत
देने वाली मोदी सरकार की मेगा सड़क परियोजना पर संकट के बादल मंडराने लगे
हैं। मसलन ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य यूपी और हरियाणा
के किसानों के पुराने विवाद में फंसता नजर आ रहा है।
केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों ने इस्टर्न पेरीफेरल
एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य में आ रही बाधा को गंभीरता से लिया है, जहां
किसान मुआवजे के विवाद पर काम को बाधित कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार
उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों में मुआवजे को लेकर फिर से विवाद शुरू
हो गया है। नौबत यहां तक आ चुकी है कि किसान पहले की तरह फिर से इस
एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य रूकवाने के लिए पूरी तरह आक्रोशित हैं।
स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पिछले साल नवंबर में शुरू की गई
केंद्र सरकार की 7558 करोड़ रुपये की लागत वाली इस सड़क परियोयजना के तहत 135
किमी लंबे ईस्टर्न एक्सप्रेस-वे का निर्माण हरियाणा के पलवल से शुरू होकर
ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद व बागपत जिले से गुजरते हुए फिर हरियाणा के सोनीपत
जिले के कुंडली गांव तक होना है, जहां से इसे हरियाणा में पहले से ही
यातायात के लिये शुरू हो चुके वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे से जोड़ा जाना
है। वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे कुंडली से पलवल तक जाता है।
क्या है किसानों को विवाद
दरअसल
इस एक्सप्रेस-वे के तहत पलवल से ग्रेटर नोएडा और सोनीपत व बागपत जिले के
बीच यमुना बह रही है, जिसे यूपी व हरियाणा की सीमाएं भी माना जाता है। यूपी
व हरियाणा के किसानों का असली विवाद इसी यमुना के आस पास की लगती जमीन को
लेकर पिछले कई अरसे से चला आ रहा है। सूत्रों के अनुसार बरसात में बाढ़ और
पानी के उतार-चढ़ाव के कारण यमुना अपना किनारा ऐसे बदलती आ रही है कि वह कभी
हरियाणा की ओर बहने गलती है तो कभी यूपी की ओर से बहने लगती है। बस यहीं
से दोनों राज्यों के किसानों के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसक रूप भी शुरू
हो जाता है। केंद्र सरकार की ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे नाम की इस सड़क
परियोजना के बाद अधिगृहित किसानों की जमीन के बांटे गए मुआवजे ने इस तकरार
को और बढ़ा दिया है। मसलन हरियाणा और यूपी के किसानों का ही कहना है कि जिस
जमीन पर वे सालों से खेती करते रहे हैं उसका मुआवजा एक-दूसरे राज्य के
किसानों ने ले लिया है। इसी विवाद के कारण इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में
बार-बार रूकावटें आ रही हैं। यही नहीं इस विवाद में दोनों राज्यों के किसान
जमीनों के कागजात होने का दावा तक करते नहीं थक रहे हैं।
केंद्रीय
सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार इस मामले को लेकर हरियाणा और यूपी दोनों
राज्यों के किसानों की ऐसी शिकायतें आ रही हैं कि उन्हें उनकी जमीन का
मुआवजा नहीं मिला या उनकी जमीन का मुआवजा दूसरे किसानों ने ले लिया है।
मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि इस विवाद पर उनका मंत्रालय गंभीर है,
जिसके लिये एनएचआईए के अधिकारियों को भी सतर्क कर दिया गया है। यदि जरूरत
पड़ी तो इस मामले पर दोनों राज्यों की सरकारों से बातचीत करके विवाद को हल
कराया जाएगा, ताकि एक्सप्रेस-वे का निर्माण प्रभावित न हो सके।
क्या है ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे
राष्ट्रीय
राजधानी दिल्ली में आठ नेशनल हाइवे जुड़े हुए हैं, ऐसे में एक नेशनल हाइवे
से दूसरे नेशनल हाइवे पर जाने के लिए ट्रैफिक से भरे दिल्ली से गुजरना होता
है। इससे दिल्ली के लोग प्रभावित होते हें। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्दश
पर दिल्ली से बाहर एक पेरिफेरल एक्सप्रेस वे बनाने का निर्णय लिया गया जो
सोनीपत से शुरू होगा और सोनीपत पर ही मिल जाएगा। केंद्र सरकार ने 7558 करोड़
रुपये की 135 किमी लंबी ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे तथा अरसे से अधूरी
पड़ी 136 किमी लंबी वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे को भी 4115 करोड़ रुपये
मंजूर कर पूरा कराने के लिये ठोस कदम उठाया है।
परियोजना से आबाद होंगे 98 गांव
इस
135 किमी लंबे ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे यानि ईपीई के दायरे में
हरियाणा के 32 गांव आएंगे, जिसमें सोनीपत जिले के आठ व फरीदाबाद-पलवल जिले
के 24 गांव शामिल हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के 66 गांव इस राजमार्ग के रूप
में बनने वाले एक्सप्रेस-वे के दायरे में होंगे, जिनमें बागपत जिले के 12,
गाजियाबाद जिले के 16 तथा गौतमबुद्धनगर के 39 गांव शामिल हैं। इसके निर्माण
में जहां हाइवे को पार करना होगा, उसके लिए ऊपरी पुलों का निर्माण किया
जाएगा।
कहां से गुजरेगा इस्टर्न पैरीफेरल एक्सप्रेस वे
हरियाणा
व उत्तर प्रदेश के इलाकों से गुजरने वाले 135 किमी लंबे इस एक्सप्रेस-वे
की लंबाई 135 किमी होगी, जिसमें हरियाणा के हिस्से में सोनीपत जिले के
13.035 किमी व फरीदाबाद-पलवल जिले के 35.513 किमी समेत कुल 48.55 किमी
निर्माण होगा, जबकि शेष 86.45 किमी राजमार्ग का निर्माण उत्तर प्रदेश के
हिस्से में किया जाएगा। इसमें गौतमबुद्धनगर जिले में 41.608 किमी,
गाजियाबाद जिले में 24.665 किमी तथा बागपत जिले में 20.158 किमी निर्माण
होना है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे
की योजना के बारे में हरिभूमि को बताया कि इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण
एनएच-1 पर सोनीपत के कुंडली गांव के पाससे शुरू होगा, जो यमुना नदी को पार
करते हुए बागपत जिले के एसएच-57 को पार करते हुए मवीकलां गांव से निकट से
गुजरेगा। यहां से एनएच-58 पर दुहाई गांव से होते हुए एनएच-24 पर डासना के
निकट से होते हुए एनएच-91 पर अकबरपुर और कासना सिंकंदरा बाद रोड के निकट
सिरसा को पार करके ताज एक्सप्रेस-वे पर जगनपुर अफजलपुर गावं तक करीब 92
किमी का नर्माण होगा। यहां फिर यमुना नदी को पार करते हुए मौजपुर गांव के
निकट अटाली-छैनसा रोड होते हुए पलवल तक पहुंचेगा। खास बात यह भी है कि
सोनीपत जाने के बाद इस एक्सप्रेस-वे का लिंक स्वत: ही वेस्टर्न पेरीफेरल
एक्सप्रेस-वे के साथ जुड़ जाएगा।
11July-2016
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