पुराना विदेशी विवाह कानून बनेगा मदद का सहारा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारत
सरकार अब प्रवासी भारतीयों की मदद करने की योजनाओं के तहत विदेशों में
ब्याही ऐसी भारतीय महिलाओं की भी सुध लेगी,जो प्रवासी विवाहों में उत्पीड़न
का दर्द झेलने को मजबूर हैं।
भारत सरकार के प्रवासी मामलों के
मंत्रालय की भारतीय प्रवासियों के लिए अनेक योजनाएं पटरी पर उतारी हुई हैं,
जिसमें विदेशों में परेशानियों से घिरे प्रवासी भारतीयों को कानूनी मदद
देना भी शामिल है। ऐसे में प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश में विवाह रचाने
के बाद उनका विदेशों में दहेज या अन्य उत्पीड़न करने के मामलों को भी
केंद्र की सरकार ने संज्ञान में लिया है। ऐसे मामलों में विदेशों में
ब्याही भारतीय महिलाओं की सुरक्षा और उनकी मदद करने का मामला राज्यसभा की
याचिका समिति में भी जांच के दायरे में है। ऐसे में केंद्रीय विधि एवं
न्याय मंत्रालय ने समिति के संज्ञान में विदेशी विवाह कानून-1969 की
जानकारी दी, जिसमें विदेशों में ब्याही गईं महिलाओं की सहायता यानि
जीवनसाथी के लिए ‘वैवाहिक राहत' का भी प्रावधान है। विदेश एवं प्रवासी
मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज ने ऐसे मामलों में मानक संचालन प्रक्रिया
यानि एसओपी बनाकर इसे विदेशों में विभिन्न भारतीय दूतावासों के साथ साझा
करने का फैसला किया है, ताकि इस कानून के जरिये ऐसी विवाहिताओं की मदद की
जा सके।
धोखाधड़ी की शिकार महिलाएं
समिति के
सूत्रों की माने तो जाचं पड़ताल में ऐसे तथ्य सामने आये हैं, जिनमें विदेशों
में रह रहे प्रवासी भारतीय पहले से शादीशुदा होते हुए भी स्वदेश आकर फिर
से शादी कर लेते हैं, तो कुछ मामलों में पहले से शादीशुदा पति अपनी पत्नी
को भारत में ही छोड़ देते हैं और विदेश में जाकर दूसरी महिला से शादी कर
लेते हैं। इस धोखाधड़ी के बाद एनआरआई से शादी करके महिलाओं को दहेज के जैसी
प्रताड़ना के अलावा अन्य तरह से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है। संसदीय
समिति ने गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय के अधिकारियों से
प्रवासी भारतीयों से शादी करने के बाद भारतीय महिलाओं को आने वाली समस्याओं
का समाधान करने के मामले पर चर्चा की तो विधि मंत्रालय ने करीब 47 साल
पुराने ऐसे कानून की जानकारी सामने आई, जिसके जरिये विदेशों में उत्पीड़न की
शिकार विवाहिताओं को न्याय दिलाया जा सकता है। यह कानून भारत से बाहर शादी
करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए बनाया गया था, जिसकी धारा 14 में एक
महत्वपूर्ण व्यवस्था है कि कानून के तहत जब भी शादी होती है तो विवाह
अधिकारी को विवाह प्रमाण पुस्तक में इसे सत्यापित करना होगा और उस पर शादी
के पक्षों और तीन गवाहों का भी हस्ताक्षर होना अनिवार्य है।
16July-2016
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