
बीसीसीआई अध्यक्ष व सांसद सेना की वर्दी पहन पहुंचे संसद
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रादेशिक
सेना में अधिकारी के तौर पर शामिल होने के बाद भाजपा सांसद एवं बीसीसीआई
अध्यक्ष अनुराग ठाकुर सेना की वर्दी में संसद पहुंचे तो कौतुहल का कारण
बनते नजर आये। मसलन अनुराग ठाकुर को लोकसभा में पहुंचने पर भी सांसदों ने
नहीं पहचाना और बाद में नेम प्लेट देखने के बाद पहचाना तो हरेक दल के
सदस्यों द्वारा उन्हें बधाई देने का तांता लग गया।
दरअसल हिमाचल
प्रदेश के हमीरपुर से भाजपा के सांसद अनुराग सिंह ठाकुर की राजनीति व
क्रिकेट के साथ भारतीय सेना में नई पारी शुरू हुई। प्रादेशिक सेना में
अधिकारी के तौर पर शामिल होने के बाद सेना की वर्दी पहनकर संसद भवन पहुंचे
तो उनकी कोई भी पहचान नहीं कर सका और संसद भवन व लोकसभा में जाने के लिये
उन्हें सुरक्षाकर्मियों को अपना कार्ड दिखना पड़ा। आलम यह था कि सदन में
सेना की वर्दी में अपनी सीट पर पहुंचे तो उन्हें किसी सेना के अधिकारी को
ऐसे सदन में देख संसद सदस्य एक बारगी तो हैरानी में पड़ते नजर आये, लेकिन
उनकी नेम प्लेट और बातचीत के बाद पहचान हुई तो हर दल का सदस्य उन्हें बधाई
देता नजर आया।
हुलिया पूरी तरह बदला
भारतीय
क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर का हुलिया
एकदम बदला हुआ था, जो हमेशा दाढ़ी और बालों के स्टाइल से सदाबहार नेता के
रूप में देखे जाते रहे, उनके बालों की कटिंग सेना के अनुरूप तथा चेहरे से
दाढ़ी गायब थी और वहीं उनकी सेना की वर्दी के साथ सेना की कैप ने उन्हें
संसद में पहचान से एक बार को महरूम कर दिया। आलम यह था कि जब वह मीडिया से
बात कर रहे थे, तो भी उनकी पहचान करना मुश्किल भरा नजर आ रहा था।
जहां चाह-वहां राह..
संसद
भवन में सेना की वर्दी पहने सांसद और बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने
मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि भारतीय सेना का हिस्सा बनने पर वह अपने
आपको गौरवशाली महसूस कर रहे हैं। राजनीति, क्रिकेट और अब सेना में होने के
सवाल पर अनुराग ने कहा कि जहां चाह-वहां राह। उन्होंने कहा कि वह अब देश
सेवा के लिए किसी भी क्षण और किसी भी परिस्थिति में तैयार हैं। गौरतलब है
कि प्रादेशिक सेना में अनुराग ठाकुर का चयन एक लिखित परीक्षा और
साक्षात्कार पास करने के बाद हुआ है। इसके लिये अनुराग को मध्यप्रदेश और
हमीरपुर में नियमित अधिकारी के तौर पर प्रशिक्षण दिलाने के बाद प्रादेशिक
सेना में अधिकारी के रूप में शामिल किया गया है।
क्या है प्रादेशिक सेना
टेरिटोरियल
आर्मी भारत की नियमित सेना तो नहीं, मगर सेकंड लाइन आफ डिफेंस है। इसमें
वो लोग शामिल होते हैं जो एक साल लगभग एक महीने की सैन्य प्रशिक्षण लेते
हैं। जिससे उन्हें किसी भी इमरजेंसी में देश की रक्षा के लिए तैनात किया जा
सके। यह कोई रोजगार का जरिया भी नहीं है। प्रादेशिक सेना में शामिल होने
के लिए किसी असैन्य पेशे से जुड़ा होना जरूरी है।
30July-2016
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