बुधवार, 6 जुलाई 2016

कैबिनेट विस्तार से मोदी ने साधे कई निशाने!


यूपी मिशन: जातीय समीकरण व क्षेत्र के समायोजन का प्रयास
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के विस्तार में उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक तीर से कई निशाने साधे है। मसलन यूपी मिशन-2017 पर नजर लगाये भाजपा की रणनीति के तहत अपनी टीम में उन्होंने अगड़े, पिछड़े और दलित वर्ग से एक-एक मंत्री बनाकर जातीय समीकरण का समायोजन किया है, वहीं अन्य राज्यों में भी क्षेत्रीय संतुलन बनाने का भी प्रयास किया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार करके प्रधानमंत्री मोदी ने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिसे लेकर पिछले एक सप्ताह से यूपी को तरजीह देने की बात तो कही जा रही थी, लेकिन तीन और मंत्री इस सूबे से बनाये जाएंगे इसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। मसलन मंत्रिमण्डल में उत्तर प्रदेश के तीन सांसदों महेन्द्र पाण्डेय, कृष्णा राज और अनुप्रिया पटेल को जगह देकर 2017 के राज्य विधानसभा का चुनाव के लिये देश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका के तहत जातीय समीकरण में ब्राह्मण, दलित और पिछड़ों की रणनीति को साधा गया है। राजनीतिकारों की माने तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी से तीन सांसदों को मंत्री बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश करके चुनावी दृष्टि से विपक्षी दलों को हलकान कर दिया है, इसके लिए बसपा सुप्रीमो ने मोदी के मंत्रिमंडल के विस्तार को इसी रणनीति का हिस्सा बताते हुए निशाना साधने में कोई चूक नहीं की। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि मोदी के मंत्रिमण्डल के इस विस्तार में ‘चुनावी गणित’ ज्यादा तरजीह दी गई है।
जातीय समीकरण की सियासत
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में उनकी गिनती कद्दावर ब्राह्मण नेता के रुप में पहचाने जाने वाले महेन्द्र पाण्डेय का ब्राह्मणों में अच्छा खासा प्रभाव है और यूपी विधानसभा की कई सीटों पर ब्राह्मणों की दस फीसदी से भी जयादा जनसंख्या निर्णायक है। सूबे में ब्राह्मण पहले कांग्रेस का पारम्परिक वोट माना जाता था, लेकिन इनके झुकाव को अपनी ओर करने की सियासत में शायद बसपा ने सतीश मिश्रा को राज्यसभा भेजा हुआ है। इसी मिथक को तोड़ने की रणनीति के तहत इस वर्ग का झुकाव भाजपा अपनी ओर करने के प्रयास में हेै। इसी प्रकार अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को भी मोदी ने यूपी की सियासी रणनीति के तहत अपने मंत्रिमण्डल में जगह दी है। अपना दल मूलरुप से पिछडों में कुर्मी बिरादरी की पार्टी माना जाता है। राजनीतिकारों की माने तो अनुप्रिया पटेल के जरिये भाजपा ने कुर्मी मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश करेगी। सूबे में पिछडों में यादव के बाद सर्वाधिक सामर्थ्य रखने वाले कुर्मी बिरादरी को ही माना जाता है, जिनका वोट देने का तरीका जुदा रहा है। राजनीतिक तौर पर देखा गया है कि यह बिरादरी जिस भी प्रत्याशी या पार्टी का समर्थन करती है उसे जीत मिली है। इसी प्रकार बसपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति के तहत मोदी ने दलित वर्ग से श्रीमती कृष्णा राज को केंद्रीय कैबिनेट का सदस्य बनाया है। कृष्णा दलितों में शुमार पासी जाति से है और यूपी में पासी को मार्शल कौम के रूप में देखा जाता है। राज्य में दलितों की कुल आबादी करीब 21 फीसदी में सर्वाधिक जाटव की हैं। जाटव आमतौर पर बसपा के समर्थक माने जाते हैं, जिन्हें भाजपा अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करेगी।
विलय के दांव को झटका
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के दांव में हालांकि राजग की सहयोगी अपना दल की सांसद अनुप्रिया पटेल को मंत्रिमंडल में शामिल करने का मकसद सफल नहीं हो पाया, जिसमें अपना दल का विलय भाजपा में करने की तैयारी थी, लेकिन अपना दल की प्रमुख कृष्णा पटेल की अपनी बेटी अनुप्रिया पटेल के मंत्रिमंडल में शामिल होने से नाराज हैं। इसके बावजूद यूपी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा को पिछड़ों का वोट हर हाल में साधना चाहती है। इसलिये अपना दल में मतभेद के बावजूद अनुप्रिया को मंत्री बनाया गया।
06July-2016



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