रविवार, 3 जुलाई 2016

राग दरबार: पाक-चीन की बौखलाहट ‘तेजस’

पाकिस्तान और चीन के लिए सबब
भारत की कई क्षेत्रों में बढ़ती ताकत ने दुनिया को जिस तरह अपनी तरफ आकर्षित किया है। ऐसे में भारत को गीदड़ भभकी देने का आदतन पाकिस्तान जैसे देशों को भी शायद कुछ समझ में तो आ रहा होगा, जो भारत अमेरिका की बढ़ती नजदीकियों को देख पहले ही चीन की गोद में खेलकर भारत के खिलफ लगातार साजिशें करने से बाज नही आता। एनएसजी के मुद्दे पर पाक-चीन की भारत के प्रति नीयतें सामने आ ही चुकी है और भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल पर एक बार नहीं, बल्कि हमेशा ही पाक का धोखा और दगाबाजी उजागर हुई। रक्षा क्षेत्र में भारत के बढ़ते कदमों के तहत तीन दिन पहले ही इंडियन एयरफोर्स में शामिल हुए तेजस ने पाक को इस ताकत को समझना चाहिए कि वह भारत को वह कमजेर समझने की भूल करना छोड़ दे, मतलब साफ है कि तेजस सेंकड़ों में ही इसका वार लाहौर तक करेगा। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारत की ताकत में शामिल ‘तेजस’ पाकिस्तान और चीन के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। राजनीतिक गलियारों की बात कह जाए तो यह तो पाक व चीन द्वारा मिलकर शायद भारत को डराने के इरादे से जिस थंडर जेट जेएफ-17 का निर्माण किया है, लेकिन क्षमताओं के लिहाज से उसके मुकाबले भारत का तेजस ज्यादा दमदार है और पाक चीन का थंडर जेट कहीं नहीं टिकता। यही नहीं इनमें मिड एयर रिμयूलिंग, मॉर्डन इंटर्नल रडार वॉर्निंग सिस्टम और एक्सटर्नल सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर पॉड भी है। इसकी वजह से तेजस की सर्विलांस क्षमता बढ़ेगी और यह इलेक्ट्रॉनिकली किसी भी रडार को स्कैन कर सकेगी। इससे साफ है कि अगर दुश्मन कोई भी हरकत करेगा वह तेजस के रडार पर होगा। ऐसे में तेजस को लेकर चीन व पाक की बौखलाहट में इजाफा होना लाजिमी है।
स्वामी को मिला सबक
सुब्रमण्यन स्वामी को दूर-दूर तक ये अंदेशा नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके बयानों को लेकर तल्खी दिखा सकते हैं। भाजपा के भीतर स्वामी के बड़बोलेपन को लेकर खूब बातें होती रही हैं। राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद उन्होंने मान लिया था कि अब वे खुलकर बल्लेबाजी कर सकते हैं। रघुराम राजन की देशभक्ती पर जब स्वामी ने सवाल खड़ा किया तो वित्तमंत्री अरूण जेटली तिलमिला गये। दरअसल जेटली ये जानते थे कि स्वामी को अगर यूं ही अनदेखा किया तो उनके निशाने पर एक दिन वे खुद होंगे। चर्चा तो पहले से ही थी कि स्वामी अपने बयानों के जरिये अरूण जेटली को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। वित्तमंत्री सार्वजनिक प्रतिक्रिया से बचते रहे और सुब्रमण्यन स्वामी का हौंसला बढ़ता रहा। समय की नब्ज और सियासत का रूख पहचानने का दावा करने वाले स्वामी ये नहीं समझ पाये कि जेटली का रूतबा मोदी सरकार के अलवा प्रधानमंत्री की नजर में भी काफी ऊंचा है। जेटली की नाखुशी को मोदी भांप गये थे। प्रधानमंत्री ने जब अप्रत्यक्ष तौर पर बिना नाम लिये सुब्रमण्यन स्वामी की बयानों पर नारजगी जतायी तो इसका असर दूर तक हुआ। पार्टी और संघ में कल तक स्वामी के बयानों पर वाह-वाह करने वाले कई नेता अब जनता पार्टी के इस पूर्व अध्यक्ष से कन्नी काटते दिख रहे हैं। स्वामी भी कह रहे हैं कि अब ट्वीट कम करेंगे। जेटली के साथ-साथ राजन और वित्त मंत्रालय के कई दूसरे अधिकारी भी सुब्रमण्यन स्वामी के पर कतरे जाने से राहत महसूस कर रहे हैं। देखते हैं स्वामी कब तक खुद को बड़े बयानों से दूर रख पाते हैं।
ऐसे कैसे होगा मंत्रालय का प्रचार...
पत्रकारों को कलम का सिपाही माना जाता है। किसी भी कार्यक्रम में जाकर उसकी रिपोर्ट करना इनकी जिम्मेदारी होती है। लेकिन अगर कोई कार्यक्रम ऐसा हो जहां लिखने लायक कोई खबर ही ना लगे तब वहां पत्रकारों का क्या दोष। बीते दिनों केंद्र सरकार के एक अहम माने जाने वाले मंत्रालय ने अपनी योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इसमें बड़ी संख्या में अलग-अलग माध्यमों से जुड़े पत्रकारों को आमंत्रित किया गया। पत्रकार गए और विभागीय कैबिनेट मंत्री से काफी देर तक बातचीत की। सवाल, जवाब भी हुए। लेकिन अगले दिन समाचार पत्रों में मंत्रालय के बारे में एक भी जानकारी नहीं थी। इसपर मंत्री जी बेहद नाराज हो गए और उन्होंने सूचना विभाग के अधिकारी को बुलाकर लताड़ लगाते हुए कहा कि पत्रकार आए और चले गए लेकिन एक भी सूचना नहीं छपी और टीवी में भी देखने को नहीं मिली। जवाब में अधिकारी ने पत्रकारों को इस पर एक ईमेल भेज दिया। फिर क्या था कुछ पत्रकारों ने उस ईमेल का ट्वीट कर दिया। कुल मिलाकर इतने हो-हल्ले के बाद भी मंत्री जी के साथ हुई पत्रकारों की उस मुलाकात का एक भी शब्द ना तो कहीं छपा और ना ही टीवी में सुनाई दिया। इसे देखकर तो यही कहेंगे कि ऐसे कैसे होगा मंत्रालय का प्रचार।
03July-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें