ऐसे कैसे सुधरेगी किसानों की अर्थव्यवस्था!
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए किए जा रहे तमाम
उपायों के बावजूद देश में हरेक किसान परिवार औसतन करीब 47 हजार रुपए का
कर्जदार होने का अनुमान है।
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण द्वारा
किसानों के आर्थिक स्थिति आकलन सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2013 के दौरान
किसान परिवारों पर कर्ज के आंकड़े एकत्र किये गये और उस दिन देश का प्रत्येक
कृषक परिवार पर औसतन लगभग 47 हजार रुपए कर्ज होने का अनुमान लगाया गया है।
इस ऋण में संस्थागत संस्थानों तथा सेठ-साहूकारों से लिए गए कर्ज भी शामिल
हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 52 प्रतिशत किसान
परिवारों के कर्ज के बोझ में दबे होने का अनुमान है। कम जोत के किसान
परिवार पर कम कर्ज का भार है, जबकि बड़े किसान परिवारों पर अधिक कर्ज है। कम
जमीन वाले 41.9 प्रतिशत किसानों पर कर्ज हैं, जबकि 10 हैक्टेयर से अधिक
जमीन वाले 78.7 प्रतिशत किसान परिवार कर्जदार हैं। एक हैक्टेयर से कम जमीन
वाले किसान परिवार पर औसतन 31,100 रुपए का ऋण है, जबकि 10 हैक्टेयर से अधिक
जमीन जोतने वाले किसान परिवार लगभग 2,90,300 रुपए के कर्जदार हैं। एक
हैक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों ने संस्थागत संस्थानों अर्थात सरकार,
सहकारिता समितियों और बैंकों से 15 प्रतिशत कर्ज लिया है, जबकि 10 हैक्टेयर
से अधिक जमीन रखने वाले किसानों ने इन संस्थानों से 79 प्रतिशत कर्ज लिया
है।
बैंकों ने दिया ज्यादा कर्ज
राष्ट्रीय स्तर
पर किसानों ने 60 प्रतिशत ऋण संस्थागत संस्थानों से लिया है। बैंकों ने
42.9 प्रतिशत ऋण दिया है, जबकि सहकारिता समितियों ने 14.8 प्रतिशत तथा
सरकार ने 2.1 प्रतिशत ऋण दिया हुआ है। गैर-संस्थागत संस्थानों या
सेठ-साहूकारों ने 25.8 प्रतिशत कर्ज किसानों को दिया है। वर्ष 2013 में किए
गए सर्वेक्षण में देश में 9 करोड़ 2 लाख किसान परिवार होने का अनुमान लगाया
गया
है। लगभग 69 प्रतिशत कृषक परिवारों के पास एक हैक्टेयर से
कम जमीन है। केवल 0.4 प्रतिशत किसान परिवारों के पास 10 हैक्टेयर या इससे
अधिक जमीन है। राष्ट्रीय स्तर पर 0.1 प्रतिशत किसान परिवार भूमिहीन पाए गए,
जबकि 6.7 प्रतिशत परिवारों के पास केवल मकान की ही जमीन थी। यानि कुल 92.6
प्रतिशत किसान परिवारों के पास मकान के अलावा कुछ जमीनें हैं।
04July-2016
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