सोमवार, 4 मार्च 2019

पांच साल में 715 नक्लवादी मारे गये

वाम चरमपंथ क्षेत्र में नक्सली घटनाओं में कमी का दावा              

ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र की मोदी सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से ग्रस्त राज्यों में विकास की अवधारणा के साथ नक्सल विरोधी अभियान चलाने के बाद घटनाओं में कमी आने का दावा किया है, जिसमें पिछले पांच साल में 715 नक्लवादी मारे गये हैं, जबकि 699 सुरक्षाकर्मी घायल हुए है।
गृह मंत्रालय में वामपंथी क्षेत्र विंग में सुरक्षा सलाहकार कर्नल मनोज देशपांडे के अनुसार मई 2014 से 31 जनवरी 2019 तक एलडब्ल्यूई (लेफ्ट विंग एक्सट्रीमिस्ट) यानि वामपंथी उग्रवाद ग्रस्त राज्यों में 4614 नक्सली घटनाएं हुई है, जिनमें 715 नक्सलवादी मारे गये हैं और 699 सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं, लेकिन मंत्रालय की इस डीविजन ने नक्सली घटनाओं में कितने सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं उनकी कोई जानकारी नहीं दी, जो पिछले पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा और सुकमा और अन्य जगहों पर हुई नक्सली घटनाओं में शहीद हुए जवानों की संख्या को देखते हुए शहीद सुरक्षाकर्मियों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है। इसकी गवाही गृहमंत्रालय के पूर्व में जारी होते रहे आंकड़े दे रहे हैं। हाल ही में जारी इन आंकड़ों में डिविजन ने इन आंकड़ों की तुलना यूपीए शासन काल के वर्ष 2010 से 30 अप्रैल 2014 तक हुई 6953 नक्सली घटनाओं से की है, जिनमें 475 नक्सली मारे गये थे और 632 सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। इन आंकड़ों में 2010 से अब तक कितने आम नागरिक मारे गये हैं उसकी भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई।
नक्सलियों के बड़े हमले
गृहमंत्रालय के इससे पहले जारी किये जाते रहे आंकड़ों पर गौर की जाए तो छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में अप्रैल 2014 में नक्सलियों के हमले में जहां सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हुए थे, तो वर्ष 2015 में आठ जवान और अप्रैल 2010 में इसी जगह एक बड़े हमले में 76 जवान शहीद हुए थे। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पिछले साल 13 मार्च को नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 9 जवान शहीद हुए। इसके दो माह बाद ही 20 मई दंतेवाडा में हुए नक्सली हमले में आठ जवान शहीद हुए। ऐसे नक्सली हमलों को देखते हुए इनमें शहीद जवानों का आंकड़ा मारे गये नक्सलियों से कहीं ज्यादा हो सकता है।
नक्सलवाद के दायरे में आई कमी
गृह मंत्रालय के एक अन्य सूत्र ने दावा किया है कि वामपंथी नक्सलवाद को नियंत्रित करने के ठोस उपाय किये जा रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप पिछले कुछ सालों में नक्सली घटनाओं में कमी आई है। इसकी वजह केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को नए हथियार जैसे संसाधन मुहैया कराने और विकास के लिए लगातार केंद्रीय सहायता उपलबध कराना है। नक्लवाद से ग्रस्त दस राज्यों में नक्सल विरोधी अभियान भी लगातार जारी है। वहीं इन क्षेत्रों में कौशल विकास तथा ढांचागत विकास जैसी गतिविधियों को संचालित करने पर ज्यादा तरजीह दी गई है। गृह मंत्रालय लगातार अपनी योजनाओं की जानकारी देता रहा है, जिसमें नक्सलियों के खात्मे के लिए ठोस कदम के दावे करते हुए कहता रहा है कि एलडब्ल्यूई वाले दस राज्यों में 126 जिलों से घटकर  96 रह गये हैं, जहां नक्सल समस्या से निपटने के लिए बजट में विशेष प्रावधान किये गये हैं।
20Feb-2019

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