रविवार, 24 मार्च 2019

प्रत्याशियों को हार से ज्यादा जमानत जब्ती डर!

लोकसभा चुनाव: लोकतांत्रिक इतिहास में बने हैं रिकार्ड
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय लोकतंत्र के चुनावी समर में हिस्सेदारी करने वाले किसी भी प्रत्याशी को चुनाव हारने का नहीं, बल्कि अपनी जमानत जब्त होने का भय ज्यादा रहता है। भारत में लोकसभा चुनाव के इतिहासत में जमानत जब्ती के भी रिकार्ड बने हैं, जो 11वीं लोकसभा चुनाव में सर्वाधिक 91 फीसदी प्रत्याशियों को जमानत जब्ती के अपमान का सामना करना पड़ा था।
दरअसल लोकतंत्र के महासंग्राम में राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, तो लोकसभा चुनाव में 543 प्रत्याशियों को ही जीत मिलती है, बाकी को पराजय का सामना करना पड़ता है, लेकिन लोकसभा में दाखिल होने से वंचित प्रत्याशियों को हारने का मलाल कम, बल्कि जमानत न बचाने का डर ज्यादा सताता है, क्योंकि जमानत न बचाना राजनीतिक लोगों के लिए अपमान माना जाता है। इसका दूसरा पहलू यह भी है कि प्रत्याशी की जब्त जमानत की स्थिति में नामांकन के समय जमा होने वाली जमानत राशि सरकारी खजाने में जमा कर ली जाती है।
पिछले चुनाव में सात हजार ने गंवाई जमानत
पिछले यानि 2014 के लोकसभा चुनाव में 543 सीटों के लिए चुनाव मैदान में उतरे राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, गैर मान्यता प्राप्त दलों समेत कुल 8251 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। इनमें से सात हजार यानि 85 फीसदी प्रत्याशियों को कुल पड़े मतों का छठवां हिस्सा भी नहीं मिला और उन्हें अपनी जमानत राशि गंवाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जमानत राशि जब्त कराने वाले इन प्रत्याशियों में 525 महिला और छह किन्नर भी शामिल रहे। जहां तक राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की जमानत जब्ती का सवाल है उसमें अकेले यूपी में अपने 66 प्रत्याशियों में से कांग्रेस के 50 नेताओं की जमानत जब्त हुई, जिनमें दिग्गज नेता भी शामिल रहे।
प्रत्याशियों के साथ बना जमानत जब्ती का रिकार्ड
ग्यारवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1996 में हुए आम चुनावों में जहां भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में जहां सर्वाधिक 13952 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई, वहीं इनमें से 12688 यानि 91 फीसदी प्रत्याशियों को जमानत जब्त करानी पड़ी। इनमें से राष्ट्रीय दलों के 1817 में से 897 यानि 49 फीसदी प्रत्याशियों की जमानत नहीं बच पाई थी, जबकि बाकी 12135 अन्य दलों और निर्दलीयों में से 11791 यानि 97 फीसदी की जमानत जब्त हुई थी। अभी तक लोकसभा में सर्वाधिक प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने और जमानत जब्ती का रिकार्ड कायम है।
हर प्रत्याशी के सामने चुनौती
लोकसभा की 543 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में एक सीट से एक ही प्रत्याशी का निर्वाचन होना है। चुनाव में कौन जीतता है और कौन दूसरे या तीसरे नंबर पर रहता है के अलावा नजरें इसी पर रहती हैं कि किस-किस उम्मीदवार की जमानत बची है। चुनाव हारने वाले प्रत्याशी यही दुआएं मनाते हैं कि नहीं जीते तो कम से कम किसी तरह उसकी जमानत बच जाए? जमानत राशि जब्त होने पर कोई भी प्रत्याशी जनता के बीच जाने से कतराने लगता है और वैसे भी ऐसी स्थिति को अपमानजनक समझा जाता है।
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लोकसभा के इतिहास में कब कितनों ने गंवाई जमानत
वर्ष 1952- 40 प्रतिशत
वर्ष 1957- 33 प्रतिशत
वर्ष 1962- 43 प्रतिशत
वर्ष 1967- 51 प्रतिशत
वर्ष 1971- 61 प्रतिशत
वर्ष 1977- 56 प्रतिशत
वर्ष 1980- 74 प्रतिशत
वर्ष 1984- 80 प्रतिशत
वर्ष 1989- 81 प्रतिशत
वर्ष 1991- 86 प्रतिशत
वर्ष 1996- 91 प्रतिशत
वर्ष 1998- 73 प्रतिशत
वर्ष 1999- 73 प्रतिशत
वर्ष 2004- 78 प्रतिशत
वर्ष 2009- 85 प्रतिशत
वर्ष 2014-85 प्रतिशत
वर्ष 2019-75 प्रतिशत
19Mar-2019

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