पिछले
पांच साल में आरपीएफ ने चलाया अभियान
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में
बढ़ती मानव तस्करी में खासकर बाल तस्करी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के प्रयासों
में रेलवे भी लगातार अभियान चला रहा है। रेलवे सुरक्षा बल ने पिछले पांच साल में
1791 बच्चों को मानव तस्करी के जंजाल से मुक्त कराने का दावा किया है।
रेल
मंत्रालय के अधीन सुरक्षा निदेशालय के अनुसार देश में मानव तस्करी के जरिए इस
गोरखधंधे में लगे आपराधियों द्वारा बच्चों को जबरन भीख मांगने के लिए मजबूर किया
जा रहा है। सुरक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि को बताया कि आरपीएफ और
जीआरपी के संयुक्त अभियान के तहत जनवरी 2014 से गत जनवरी 2019 तक 1791 बच्चों को
मानव तस्करी से मुक्त कराया है। मुक्त कराए गये बच्चों में 528 बालिकाएं भी शामिल
हैं। निदेशालय के मुताबिक दुनिया में मानव तस्करी में भारत को एक बड़ा गढ़ माना जा
रहा है, जहां मानव तस्करी के बढ़ते ग्राफ में 60 फीसदी बच्चों को शिकार बनाया जा
रहा है।
गरीब परिवार के बच्चों की भरमार
एक
अध्ययन के अनुसार मानव तस्करी में अधिकांश बच्चे बेहद ग़रीब इलाकों खासकर मानव तस्करी
में सबसे ज़्यादा बच्चियां देश के पूर्वी इलाकों के दूरदराज गांवों से इस अपराध का
शिकार बनाई जाती हैं, जिनमें 80 फीसदी को जिस्मफरोसी के धंधे में धकेला जा रहा है।
इस अपराध के गोरखधंधा करने वाले गिरोह गांवों के बेहद ग़रीब परिवारों की कम उम्र की
बच्चियों पर नज़र रखकर उनके परिवार को शहर में अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देकर
महानगरों तक लाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे गिरोह के एजेंट गरीब परिवारों की इन बच्चियों
को मुनाफा कमाने की गरज से घरेलू नौकर उपलब्ध कराने वाली संस्थाओं के हवाले कर
देते हेंच देते हैं। इसी गोरखधंधे के तहत गरीब परिवार व गांव-कस्बों की लड़कियों व उनके
परिवारों को बहला-फुसलाकर उन्हें बड़े सपने दिखाकर या शहर में अच्छी नौकरी का झांसा
देकर बड़े दामों में बेचा जा रहा है और उन्हें शोषण के दलदल में धकेल दिया जाता है।
बालिकाओं की सख्या ज्यादा
उधर गृह
मंत्रालय ने भी पिछले माह नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के हवाले से बाल तस्करी
के आंकड़े जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि कि देश में हर घंटे एक बाल तस्करी की
जा रही है। वर्ष 2016 व 2015 के आंकड़े देते हुए गृह मंत्रालय ने कहा है कि वर्ष
2016 में देश के 29 राज्यों व सात केंद्र शासित प्रदेशों में बाल तस्करी का ग्राफ
तेजी से बढ़ रहा है। मसलन वर्ष 2015 के
मुकाबले 2016 में देश में मानव तस्करी के 20 फीसदी से ज्यादा मामले दर्ज किये गये
हैं। मसलन वर्ष 2016 में मानव तस्करी के सामने आए 15,379 मामलों में 9034 मामले
बाल तस्करी के हैं। जिनमें अभी तक इनमें जहां 4123 बालक हैं तो वहीं 4911 बालिकाएं
शामिल हैं।
02Mar-2019
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