राष्ट्रपति
अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव भी बिना चर्चा पास
हंगामे
में होम होते सदन में दस दिन में केवल तीन घंटे हुआ कामकाज
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
में बजट सत्र की अंतिम दिन की कार्यवाही भी कई बार बाधित हुई, लेकिन कार्यवही को
अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले 20 मिनट में ही बिना किसी चर्चा के पहले
राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव और फिर अंतरिम बजट और वित्त विधेयक समेत
पांच विधेयक पारित कराए गये।
संसद
के बजट सत्र की 31 जनवरी को हुई शुरूआत के बाद राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर
जारी विपक्ष के हंगामे के बाद एक भी दिन प्रश्नकाल व एक दिन पहले मंगलवार को
छोड़कर शून्यकाल नहीं हो पाया। बुधवार को अंतिम दिन की कार्यवाही के दौरान भी
सपा-बसपा और अन्य दलों का हंगामा हुआ, इसी बीच राफेल सौदे पर कैग की रिपोर्ट भी
पेश की गई। सदन में हंगामे के कारण पहले कार्यवाही को बारह बजे तक और फिर 12.30 तक
स्थगित किया गया। इसके बाद करीब एक बजे सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए
स्थगित कर दिया गया। इससे पहले सभापति एम. वेंकैया नायडू ने हंगामा करने वाले दलों
को नसीहत दी और आवश्यक कामकाज को निपटाने पर सहमति बनाई। इस सहमति के बाद 6 फरवरी
को भाजपा सांसद भूपेन्द्र यादव द्वारा सदन में पेश किये गये राष्ट्रपति के अभिभाषण
पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाए बिना पारित किया गया। इसके बाद अंतरिम
बजट और वित्त विधेयक, दो विनियोग विधेयक के अलावा संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश
(तीसरा संशोधन) विधेयक 2019 और वैयक्तिक कानून (संशोधन) पारित किए गए। राजनीतिक दलों
के बीच बनी सहमति के आधार पर ही अंतरिम बजट, विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक को चर्चा
के बिना ही सदन में ध्वनि मत से अंतरिम बजट, विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक को लौटा
दिया गया।
हंगामे से बाधित हुई कार्यवाही
हालांकि
बजट सत्र के अंतिम दिन बुधवार को भी सदन में सपा सदस्यों ने अपनी पार्टी के अध्यक्ष
अखिलेश यादव को मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में शामिल होने
की अनुमति नहीं दिये जाने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस
के कथित लाठीचार्ज और इसमें कुछ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के घायल होने का मुद्दा उठाया।
बसपा सदस्यों ने सपा सदस्यों का साथ दिया। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने राफेल विमान
सौदे को लेकर सरकार के प्रति विरोध जताते हुए हंगामा किया। हंगामे की वजह से सदन की
कार्यवाही कई बार बाधित हुई।
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हंगामे से बर्बाद हुए 44 घंटे
राज्यसभा
की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने से पहले सभापति एम. वेंकैया नायडू
ने सदन को बताया कि 31 जनवरी को शुरू हुए राज्यसभा के 248वें सत्र के दौरान तय दस
बैठकों में केवल तीन घंटे की कार्यवाही ही चल सकी है, जबकि निर्धारित 48 घंटे की
कार्यवाही में 44 घंटे से भी ज्यादा समय हंगामे के कारण बर्बाद हुआ है और सदन के कामकाज
का प्रतिशत मात्र 4.9 रहा। इसी हंगामे के कारण सदन में विशेष उल्लेख के जरिये कोई भी
लोक महत्व का मुद्दा नहीं उठाया जा सका। बजट सत्र के दौरान उच्च सदन में कुल छह
विधेयक पेश किये गये, जिनमें पांच विधेयक पारित किये जा सके। इस दौरान एक भी दिन
प्रश्नकाल नहीं हुआ, लेकिन सदन की संपत्ति के रूप में 120 तारांकिक और 1242
अतारांकित प्रश्नों के उत्तर सदन के पटल पर रखे गये। इस दौरान एक भी दिन गैर
सरकारी कामकाज नहीं हो सका, जबकि मंत्रियों द्वारा संसदीय समितियों को सदन के पटल
रख गया।
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बाक्स
निष्प्रभावी हो जाएंगें नागरिक
और तीन तलाक बिल
संसद
के अंतिम सत्र (बजट सत्र) के दौरान विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक और तीन तलाक संबंधी
विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं किये जा सकने के कारण इनका निष्प्रभावी होना तय माना
जा रहा है। दोनों विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं, लेकिन उच्च सदन में
बजट सत्र के दौरान कार्यवाही लगातार बाधित रहने के कारण इन्हें यहां पारित नहीं किया
जा सका। मसलन आगामी तीन जून को 16वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर ये दोनों विधेयक
निष्प्रभावी हो जायेंगे। इसके अलावा कई अन्य लंबित विधेयक भी निष्प्रभावी होने की
राह पर होंगे।
राजग शासनकाल
में संसद में पारित किये गये 359 विधेयक!
लोकसभा
में 205 व राज्यसभा में लगी 154 विधेयकों पर मुहर
अनेक
महत्वपूर्ण विधेयकों पर अटकी केंद्र सरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आखिर मोदी
सरकार के मौजूदा शासनकाल में संसद में काम करने के लिए अंतिम सत्र के रूप में बजट
सत्र भी संपन्न हो गया है। इन कार्यकाल के दौरान संसद के दोनों सदनों में कुल 359
विधेयक पारित किये गये हैं। इनमें लोकसभा ने 205 तथा राज्यसभा में 154 विधेयकों पर
मुहर लगाई गई। जबकि राज्यसभा में करीब 121 विधेयक अटके हुए है।
16वीं
लोकसभा के 18 मई को हुए गठन से लेकर मौजूदा बजट सत्र के संपन्न होने तक लोकसभा में
कुल 219 विधेयक पेश किये गये, जिनमें से 205 सरकारी विधेयकों को पारित किया गया और
नौ सरकारी विधेयक वापस लिये गये। राज्यसभा में मोदी शासनकाल के दौरान अब तक 177
विधेयक पेश किये गये, जिनमें 154 विधेयकों को पारित किया गया। संसदीय मामलों के
मंत्रालय के एक अधिकारी ने हरिभूमि संवाददाता को बताया कि वर्ष 2018 के दौरान
दौरान 30 नवंबर तक संसद में 31 नए विधेयक पेश किये गये थे, जिनमें से लंबित
विधेयकों समेत कुल 47 विधेयकों को पारित किया गया, जिनमें 17 राज्यसभा और और 30
लोकसभा में पास कराए गये। मंत्रालय के अनुसार लोकसभा में लंबित विधेयकों की संख्या
जहां दर्जनभर है, वहीं राज्यसभा में सर्वाधिक 121 विधेयक अभी भी अटके हुए हैं।
मौजूदा सत्र में संसद की लगी
चार विधेयकों पर मुहर
16वीं
लोकसभा के अंतिम सत्र में विनियोग (एकाउंट फॉर वोट) विधेयक-2019, विनियोग विधेयक-2019,
वित्त विधेयक, 2019 और पर्सनल लॉ (संशोधन) विधेयक-2019 पर मुहर लग सकी है। इस
दौरान जहां लोकसभा में इस दौरान पांच-वित्त विधेयक, 2019, विनियोग (खाते पर वोट) विधेयक-2019,
विनियोग विधेयक-2019,अनियमित जमा योजना विधेयक-2018 तथा जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक
(संशोधन) विधेयक-2019 पर मुहर लगी। वहीं राज्यसभा में भी इतने ही विधेयकों क्रमश: वित्त
विधेयक, दो विनियोग विधेयक के अलावा संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (तीसरा संशोधन)
विधेयक 2019 और वैयक्तिक कानून (संशोधन) पारित कराए जा सके।
दोनों सदनों में पेश हुए
विधेयक
राज्यसभा
में संविधान (एक सौ पच्चीसवाँ संशोधन) विधेयक, संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा
संशोधन) विधेयक, अप्रवासी भारतीय विधेयक, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण
विधेयक, सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) विधेयक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, एंटरप्रेन्योरशिप
एंड मैनेजमेंट बिल पेश किये गये। जबकि लोकसभा में लोकसभा में पारित पांच विधेयकों
में से दो लंबित विधेयक रहे।
इन महत्वपूर्ण विधेयकों पर
अटकी सरकार
संसदीय
कार्य मामलों के मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार बजट सत्र के रूप में अपने
कार्यकाल के अंतिम संसद सत्र में जहां लंबित मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार)
अध्यादेश, कंपनी (संशोधन) अध्यादेश, भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) अध्यादेश को
विधेयक में नहीं बदलावा सकी है, वहीं लोकसभा से पारित सड़क सुरक्षा संबन्धी नए
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, सरोगेसी
(विनियमन) विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, आधार तथा अन्य कानून (संशोधन) विधेयक,
नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक, नागरिकता (संशोधन) विधेयक व
जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक, अप्रवासी भारतीय विधेयक, व्हिसल
ब्लोवर विधेयक जैसे दर्जनों महत्वूर्ण विधेयकों को अंजाम देने से चूक गई है।
14Feb-2019
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