शनिवार, 16 मार्च 2019

लोकसभा चुनाव: चुनावी खर्च पर रहेगी पैनी नजरें!

धन के दुरुपयोग पर शिकंजा कसने को गंभीर आयोग    
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
लोकसभा चुनाव के बाद सियासी दलों के सक्रिय होने के साथ ही चुनाव आयोग ने भी राजनीतिक दलों और उनके प्रत्याशियों द्वारा चुनाव खर्च पर विशेष नजर रखने की व्यवस्था को अंजाम देना शुरू कर दिया है, ताकि चुनावों में धन का दुरुपयोग न हो सके। हालांकि चुनावी खर्च पर निगरानी रखने के लिए आयोग ने  एक समिति का भी गठन किया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए की गई सिफारिश पर यूपीए सरकार ने एक उम्मीदवार के लिए 40 लाख से बढ़ाकर 70 लाख रुपये तक के खर्च की सीमा को मंजूरी दे दी थी। प्रत्याशी के चुनाव में सीमा से कहीं अधिक खर्च होने या कालेधन के इस्तेमाल पर शिकंजा कसने के लिए चुनाव आयोग निगरानी रखता है।
क्या है चुनाव खर्च की सीमा
चुनाव आयोग के अनुसार महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे राज्यों की सीटों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के लिए अधिकतम 70 लाख रुपये खर्च किये जा सकते हैँ, जबकि पूर्वोततर के छोटे राज्यों में यह चुनावी खर्च सीमा 54 लाख रुपये तय की गई है। जबकि केंद्र शासित दिल्ली में खर्च की सीमा 70 लाख रुपये के अलावा अन्य संघ शासित प्रदेशों में भी 54 लाख रुपये की होगी।
आयोग ने गठित की समिति
लोकसभा चुनाव में धन के दुरुपयोग और काले धन के इस्तेमाल पर शिकंजा कसने के इरादे से राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों पर नजर रखने के लिए एक समिति का गठन किया है। आयोग के अनुसार इस समिति में वितीय अन्वेषण यूनिट जैसी वितीय एजेंसियों के प्रमुखों के अलावा सीबीडीटी के चेयरमैन, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन, प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक, केंद्रीय आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो के निदेशकों को भी शामिल किया गया है। जबकि बीएसएफ के महानिदेशक, सीआरपीएफ के महानिदेशक, सीआईएसएफ के महानिदेशक, सशस्‍त्र सीमा बल के महानिदेशक, नारकोटिक्स नियन्त्रण ब्यूरो के महानिदेशक, आरपीएफ के महानिदेशक और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के प्रमुख को आमंत्रित सदस्यों के रूप में इस समिति में शामिल किया गया है।
13Mar-2019

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