बुधवार, 27 मार्च 2019

हॉट सीट: बागपत में सियासी विरासत बचाने की चुनौती!


चौधराहट की वापसी में तीसरी पीढ़ी पर रालोद ने खेला दांव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत लोकसभा सीट पर सत्रहवीं लोकसभा के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के बीच आमने-सामने का मुकाबला तय माना जा रहा है। इस सीट पर मौजूदा भाजपा सांसद डा. सत्यपाल सिंह अपना कब्जा बरकरार रखने के प्रयास में हैं, तो वहीं चौधरी चरण सिंह की कर्मभूमि माने जाने वाली इस सीट पर उनके पौते जयंत चौधरी को सियासी विरासत बचाने की कड़ी चुनौती होगी।
किसानों के मसीहा के रूप में प्रसिद्ध रहे चौधरी चरण सिंह की सियासी भूमि की विरासत संभालने आए चौधरी अजित सिंह बागपत लोकसभा सीट पर कई बार जीतकर सांसद बने, लेकिन पिछले चुनाव में मोदी लहर के सामने उन्हें दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी डा. सत्यपाल सिंह के सामने पराजय का सामना करना पड़ा। वहीं जयंत चौधरी भी मथुरा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी से हार मान गये थे और आलम यह रहा कि सोलहवीं लोकसभा में किसी भी सीट पर रालोद का खाता नहीं खुला यानि रालोद का सियासी गढ़ माने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा ने रालोद का किला ध्वस्त कर दिया था। लोकसभा में जगह हासिल करने और रालोद के अस्तित्व को बरकरार रखने के लिए इस बार रालोद ने सपा व बसपा के साथ गठजोड़ करके तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिनमें इस बार चौधरी चरण सिंह की सियासी विरासत बचाने का जिम्मा उनकी तीसरी पीढ़ी जयंत चौधरी को सौंपा गया है। हालांकि प्रमुख मुकाबले में भाजपा के सत्यपाल के सामने जयंत चौधरी का यह सियासी संग्राम जीतने की राह आसान नहीं है।
जाट बाहुल्य क्षेत्र
दरअसल बागपत लोकसभा सीट जाट बाहुल्य होने के कारण इस बिरादरी का चौधरी चरण सिंह के साथ भावात्मक लगाव रहा है। इसी वजह से चौथे लोकसभा चुनाव के दौरान गठित बागपत लोकसभा सीट पर चरण सिंह ने छठी लोकसभा के चुनाव में जीत हासिल की और लोकदल से वे इस सीट पर लगातार सातवीं और आठवीं लोकसभा में तीन बार लोकसभा पहुंचे। पिता के निधन के बाद इस विरासत को संभालते हुए पुत्र चौधरी अजित सिंह ने भी दो बार जनता दल और एक बार भारतीय किसान कामगार पार्टी से जीत हासिल कर यहां चौधराहट को बरकरार रखा, लेकिन बारहवीं लोकसभा के वर्ष 1998 के चुनाव में वह भाजपा के सोमपाल शास्त्री से हार गये, जिसके बाद रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह ने इस सीट पर फिर वापसी की और लगातार उसके बाद पंद्रहवी लोकसभा तक लगातार इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में डा. सत्यपाल की जीत  के सामने उन्हें तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
क्या हैं सियासी समीकरण
पांच विधानसभा क्षेत्रों सिवालखास, बागपत , मोदीनगर, छपरौली और बडौत से मिलकर बनी बागपत लोकसभा सीट पर 16 लाख से ज्यादा मतदाताओं के चक्रव्यूह में सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं, जिसके बाद मुस्लिम और फिर दलित मतदाताओं के जातीय समीकरण हैं, जिनके आधार पर ही सपा-बसपा व रालोद गठबंधन इस सियासी समर में हैं। हालांकि भाजपा प्रत्याशी भी जाट है, तो ऐसे में जाट मतदाताओं का विभाजन भी तय है। वहीं केंद्र में मंत्री डा. सत्यपाल पिछले पांच साल में इस क्षेत्र में कराए गये विकास और अन्य कार्यो की बदौलत मतदाताओं के बीच होंगे। 
25Mar-2019

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