गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

घर के सपने देखने वालों को राहत

मूलभूत ढांचे में शामिल होंगे सस्ते घर
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के नोटबंदी के बाद संतुलन बनाने की दिशा में पेश किये आम बजट में केई ऐसे अहम प्रावधान किये हैं, जिनमें गरीब और मध्यम वर्ग को राहत की सौगात मिली है। ऐसे ही प्रस्ताव में घर का सपना देखने वाले गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत देने का प्रयास किया गया है।
संसद में पेश किये गये आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सस्ते घरों को बुनियादी ढांचे का दर्जा देने का ऐलान कर दिया है, ताकि गरीब लोगोें के लिए सस्ते घरो के सपनों को साकार करने में मदद मिल सके। जेटली ने कहा कि सस्ते आवास अब आधारभूत संरचना का हिस्सा होंगे। इससे सस्ते आवास से जुड़ी परियोजनाओं को आधारभूत संरचना से संबद्ध लाभ प्राप्त हो सकेंगे। इस दिशा में केंद्र सरकार के बजट में सस्ती आवास योजना के प्रवर्तकों हेतु वित्तीय वर्ष 2016-17 में घोषित लाभ-संबद्ध आयकर छूट योजना को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इस योजना में कई महत्वपूर्ण बदलाव करने का ऐलान किया है। जेटली ने कहा कि 30 और 60 वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र की बजाय अब 30 और 60 वर्ग मीटर कार्पेट क्षेत्र की गणना की जाएगी। 30 वर्ग मीटर की सीमा भी केवल 4 मेट्रो शहरों की नगरपालिका सीमाओं के मामले में लागू होगी जबकि मेट्रो के बाह्य परिधीय क्षेत्रों सहित देश के शेष भागों के लिए 60 वर्ग मीटर की सीमा ही लागू होगी। वित्त मंत्री ने इस योजना के तहत कार्य प्रारंभ होने के बाद भवन निर्माण को पूरा करने की अवधि को मौजूदा तीन साल से बढ़ाकर 5 साल करने का भी प्रस्ताव किया। अभी तक पूर्णता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के पश्चात कब्जा न लिए गए मकान नोशनल किराया आय पर कर के अध्यधीन हैं।
कानून में संशोधन का प्रस्ताव
बजट भाषण के दौरान जेटली ने भूमि और इमारत के संबंध में पूंजीगत लाभ कराधान उपबंधों में अनेक परिवर्तन करने का प्रस्ताव दिया। अचल संपत्ति से लाभ पर विचार करने हेतु धारण अवधि को मौजूदा तीन साल से घटाकर दो साल करने समेत अचल संपत्ति सहित आस्तियों की सभी श्रेणियों के लिए सूचीकरण के लिए आधार वर्ष भी 1 अप्रैल1981 से बदलकर 1 अप्रैल 2001 किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम से पूंजीगत लाभ पर देयता काफी घटेगी, जबकि परिसंपत्तियों की गतिशीलता को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार वित्तीय लिखतों के उस समूह का विस्तार करने की योजना बना रही है जिसमें कर की अदायगी किए बिना पूंजीगत लाभों का निवेश किया जा सके। संपत्ति के विकास हेतु हस्ताक्षरित सहित करार के लिए परियोजना पूर्ण होने वाले वर्ष में पूंजीगत लाभ कर अदा करने की बाध्यता उत्पन्न हो जाएगी। बिना भूमि अधिग्रहण अधिनियम के भूमि पूलिंग व्यवस्था द्वारा विकसित की जा रही आंध्र प्रदेश की नई राजधानी के लिए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 02 जून 2014 तक भू-मालिकों को पूंजी लाभ कर से छूट देने का प्रस्ताव किया।
बैंकों से कर्जा लेना होगा आसान
केंद्र सरकार के इस फैसले से बैंकों से कर्जा मिलना आसान हो जाएगा। दरअसल सस्ते मकान मुहैया कराने के लिए बिल्डरों को बैंकों से ऋण मिलने में दिक्कत होती थी और उन्हें बाजार से महंगा कर्जा लेकर भवन निर्माण करना पड़ रहा था। यही वजह आवासों की महंगाई मानी जा रही है। सरकार ने जो फैसला किया है उसमें बिल्डरों और मकान खरीदनें वालों को भी बैंकों से सस्ता कर्जा मिल सकेगा। दरअसल केंद्र सरकार ने 2022 तक गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को आवास देने का लक्ष्य तय किया हुआ है, जिसके लिहाज से भी सरकार का यह फैसला कारगर साबित होगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आवासीय बैंक वर्ष 2017-18 में 20 हजार करोड़ रुपये के व्यक्तिगत आवासीय ऋणों का पुर्नवित्त करेगा। विमुद्रीकरण से बैंको में नकदी का प्रवाह बढ़ा है, जिसके चलते बैंको ने आवासीय ऋण समेत अन्य ऋणों की ऋण दरें पहले ही कम कर दी हैं। वित्त मंत्री जेटली ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आवासीय ऋण पर ब्याज में रियायत की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।
यह थी समस्या
सरकार के इस फैसले का ऐलान करने के पीछे माना जा रहा है कि सस्ते घरों की श्रेणी में पहले 4 महानगरों में 30 वर्ग मीटर के घर ही शामिल होते थे। इसके अलावा पूरे भारत में यह एरिया 60 मीटर था। इसमें पहले पूरा बिल्डअप एरिया गिना जाता था, जिनमें बिल्ड अप एरिया वो एरिया होता है जिस पर मकान बना होता है इसमें नींव दीवारें शामिल होती हैं। अब इस को कारपेट एरिया में चार दीवारों के बीच घिरा रहने योग्य एरिया में बदल दिया गया है। सरकार के इस फैसले से अब लोगों को अब बड़े मकान मिल पाएंगे।
02Feb-2017

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