बुधवार, 15 फ़रवरी 2017

आखिर दम तोड़ गई केंद्र की ‘वन बंधु योजना’

छग व मप्र समेत दस राज्यों में योजना पर लगाई रोक
आदिवासियों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराना था मकसद
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश के आदिवासी बाहुल्य खासकर नक्सल प्रभावित राज्यों समेत दस प्रदेशों में शुरू की गई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी ‘वन बंधु कल्याण योजना’ को केंद्र सरकार को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसका कारण पायलट योजना की धीमी चाल और योजना के कार्यान्वयन के प्रति सभी दस राज्यों की सरकारों द्वारा रूचि न लेना माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर 2014 में नक्सल प्रभावित राज्यों समेत दस आदिवासी बाहुल राज्यों में 100 करोड़ रुपये वाली ‘वन बंधु कल्याण योजना’ को पायलट योजना के रूप में लागू किया था, लेकिन इस योजना की धीमी चाल और राज्यों द्वारा इस योजना में रूचि न लेने के कारण दो सालों में यह लक्ष्य सिरे नहीं चढ़ पाया। इस योजना के कार्यान्वयन में राज्यों की सरकारों द्वारा रूचि न लेने से केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्री जुएल ओराम ने पिछले दिनों नाराजगी भी प्रकट की थी। जबकि मोदी सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने परिणाम आधारित अभिमुखीकरण के साथ उपलब्ध संसाधनों को जनजातीय जनसंख्या के समग्र विकास में बदलने की दृष्टि से ‘वन बंधु कल्याण योजना’ (वीकेवाई) नामक एक प्रयास आरंभ किया था। मंत्रालय के अनुसार इस योजना को प्रमुख मकसद अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक समूहों के बीच मानव विकास सूचकांक ढांचागत कमियों और अंतर को पूरा करने पर केंद्रित किया गया था, लेकिन केंद्रीय आदिवासी मामलों के मंत्रालय को इस योजना की प्रगति की समीक्षा करने के बाद लगा कि इससे लोग लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए केंद्र सरकार ने इस पायलट परियोजना को बंद करने का फैसला किया है।
योजना का यह था मकसद
मोदी सरकार द्वारा ‘वन बंधु कल्याण योजना’ को लागू करने का मकसद आदिवासी क्षेत्रों का व्यापक विकास को बढ़ावा देना था,जिसमें प्रमुख लक्ष्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के आदिवासियों को उनकी कल्याणकारी योजनाओं और विकास के जरिए सामाजिक विचाराधारा में शामिल करना रहा है। केंद्र ने शुरूआत में ब्लॉक की कुल आबादी की तुलना में जनजातीय आबादी का कम से कम 33 प्रतिशत को लक्षित करके योजना को अमलीजामा पहनाने का लक्ष्य रखा। इसी मकसद से पायलट परियोजना के रूप में इस योजना को छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान तथा हिमाचल प्रदेश जैसे दस राज्यों में शुरू की गई थी, ताकि देशभर में आदिवासी लोगों की बुनियादी सुविधाओं के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, कृषि एवं सिंचाई,बिजली, स्वच्छता, कौशल विकास, खेल के अलावा उनके सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, हाउसिंग और आजीविका जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र का विकास किया जा सके। इसके तहत इन राज्यों के दस विकास खंड़ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 10-10 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया था। हालांकि ऐसी समानांतर परियोजनाएं इन राज्यों में पहले से भी चलाई जा रही हैं।
छग में ये जिले शामिल
मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने ‘वन बंधु कल्याण योजना’ को छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार की मदद से सुकमा, बीजापुर,नारायणपुर, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, बलरामपुर, बस्तर, जशपुर, सरगुजा, कांकेर के अलावा कोरिया, सूरजपुर, कोरबा, गरियाबंद, रायगढ़, बालोद, महासमुंद, राजनांदगांव और धमतरी जिलों में शुरू किया था। हालांकि छत्त्तीसगढ़ में ऐसी योजनाएं पहले से ही राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही हैं। दरअसल केंद्र सरकार की इस योजना में जनजातीय उपयोजना के तहत जनजातीय विकास के लिए निधियां राज्य योजनाओं, केंद्रीय मंत्रालयों व विभागों द्वारा प्रशासित स्कीमों और कार्यक्रमों के जनजातीय उपयोजना घटकों, विशेष क्षेत्रीय कार्यक्रमों जैसे जनजातीय उपयोजना के लिए विशेष केंद्रीय सहायता तथा संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत अनुदान, संस्थागत वित्त से प्राप्त करने का प्रावधान है।
15Feb-2017

1 टिप्पणी: