शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2017

जल्द शुरू होगी केन-बेतवा परियोजना

नीति आयोग ने वित्तीय प्रावधान को दी मंजूरी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
देश में ऐतिहासिक कदम के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ने वाली परियोजना को जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। नदियों को आपस में जोड़ने वाली इस परियोजना की लागत में बढ़ाई गई वित्तीय सहायता को नीति आयोग ने मंजूरी दे दी है, जिसे अगले सप्ताह केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर संकेत दिये हैं कि इस महत्वपूर्ण नदी जोड़ो परियोजना को जल्द ही मूर्त रूप दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सूखे की समस्या के समाधान के लिए लाभकारी साबित होने वाली इस परियोजना की लागत धनराशि में वृद्धि के प्रस्ताव को नीति आयोग ने अपनी मंजूरी दी है और मंत्रालय से इस सबन्ध में एक नया कैबिनेट नोट तैयार करने को कहा है। मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय ने कैबिनेट नोट तैयार कर लिया है, जिसे अगले सप्ताह केंद्रीय कैबिनेट की होने वाली बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। उम्मीद है कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद केन-बेतवा परियोजना को शुरू करने का ऐलान हो जाएगा।
पेयजल व सिंचाई सुविधा बढ़ेगी
मंत्रालय के अनुसार केन-बेतवा परियोजना को लेकर मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। इस परियोजना के शुरू होने से भारत में अन्य नदी जोड़ने की परियोजनाओं को भी दिशा मिलेगी और सरकार का देश में नदियों को आपस में जोड़कर सूखे और बाढ़ जैसी समस्याओं को दूर करने के सपने को भी पूरा किया जा सकेगा। वहीं केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और पेयजल की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। केन-बेतवा नदी जोडो परियोजना के बाद किसानों की पानी की समस्या दूर होगी और इस पलायन पर भी रोक लगेगी। इससे मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। परियोजना के तहत मध्यप्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम किया जाएगा।
अगला लक्ष्य इन नदियों पर
केन-बेतवा के बाद सरकार का लक्ष्य महानदी-गोदावरी नदी जोड़ो परियोजना पर होगा। इसके बारे में सुश्री भारती ने कहा कि मानस-संकोष-तीस्ता-गंगा-महानदी-गोदावरी देश की नदी जोडो परियोजनाओं का ‘मदर लिंक’ है। उन्होंने कहा कि इस पर जो विरोध है वह राजनीतिक है। तर्क और बुनियादी आधार के बजाय यह भावनाओं पर आधारित विरोध है। इस परियोजना से ओडिशा,बिहार एवं बंगाल की सुखाड़ तथा बाढ़ की समस्याओं का समाधान होगा। केंद्रीय मंत्री ने पार-तापी नर्मदा एवं दमनगंगा पिंजल नदी जोड़ो परियोजनाओं से होने वाले लाभों का जिक्र करते हुए कहा कि दमनगंगा पिंजल मुम्बई के लिए 2060 तक पीने के पानी की व्यवस्था करेगी और पार-तापी नर्मदा महाराष्ट्र और गुजरात के उन आदिवासियों की प्यास बुझाएगी जो वर्षों से पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।
10Feb-2017

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