यूपी में बड़े दलों के सामने सपा के गढ़ को भेदने की चुनौती
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
उत्तर
प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों
की 67 सीटों और उत्तराखंड की 69 सीटों पर कल बुधवार को मतदान करके जनता
अपना दम दिखाते हुए चुनावी जंग में शामिल विभिन्न दलों के नेताओं का भविष्य
तय करेगी। दोनों ही राज्योें में बड़े-बड़े सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा
दांव पर लगी हुई है।
उत्तर प्रदेश की 403 सीटों के लिए हो रहे चुनाव के दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा,पीलीभीत, खीरी, शाहजहांपुर और बदायूं जिलों की 67 सीटों के लिए बुधवार 15 फरवरी को मतदान हो रहा है। इस चरण में 82 महिला प्रत्याशियों समेत 721 उम्मीदवार चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जिनमें छह राष्ट्रीय दलों, छह प्रादेशिक दलों और 80 गैर मान्यता प्राप्त दलों के अलावा 206 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस चरण के चुनाव में भाजपा व बसपा के 67-67, रालोद के 53, सपा के 51, सीपीआई के 22, कांग्रेस के 18, एनसीपी के तीन प्रत्याशी भी शामिल हैं। जबकि 247 गैरमान्यता प्राप्त दलों तथा 207 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़ी सीट मुरादाबाद शहर और सबसे छोटी सीट धामपुर है। इस चुनाव में कांठ विधानसभा सीट पर सर्वाधिक 28 उम्मीदवार हैं, तो अमरोहा की धनौरा सीट पर सबसे कम पांच प्रत्याशी ही चुनाव लड़ रहे हैं। इन प्रत्याशियों का फैसला करने के लिए कुल 2.28 करोड 79185 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है, जिसमें करीब 1.04 करोड़ 93671 महिला और 1065 तीसरे लिंग के मतदाता भी शामिल हैं।
सपा के गढ़ वर्चस्व की लड़ाई
भाजपा, बसपा, रालोद, सपा-कांग्रेस गठबंधन ने इन 67 सीटों पर काबिज होने के महासंग्राम में अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है। सपा का गढ़ मानी जा रही इस मुस्लिम बाहुल इलाके में पिछले चुनाव में यूपी की सत्तारूढ समाजवादी पार्टी को 34 सीटें मिली थी। बसपा 18 सीटें जीतकर दूसरे पायदान पर रही, तो भाजपा को दस और कांग्रेस को तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा था। जबकि अन्य दलों के हिस्से में दो सीटें आई थी। इस चरण में जिन प्रमुख नेताओं की साख दांव पर हैं। उसमें रामपुर विधानसभा सीट पर सूबे की सपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खां और इसी जिले की स्वार सीट से उनके साहबजादे अब्दुला आजम पहली बार अपनी सियासी पारी खेल रहे हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जफर अली नकवी के बेटे सैफ अली नकवी, तिलहर सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद चुनावी जंग में हैं तो शाहजहांपुर से भाजपा विधान दल के नेता सुरेश खन्ना भी चुनावी वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
मायावती की रणनीति की परीक्षा
यूपी के इस दौर के चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती की मुस्लिमों के प्रति बनाई गई रणनीति की भी परीक्षा होनी है। जबकि यहां भाजपा नहीं चाहती कि मुस्लिम मतदाताओं का रुझान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की तरफ पूरी तरह हो जाए। बसपा इस इलाके में मजबूती से चुनाव लड़ती है तो भाजपा को भी फायदा होगा। इसीलिए दूसरे चरण में भी मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर सब की नजरे रहेंगी। इसी चरण से यह बात भी साफ हो जाएगी कि सौ मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की मायावती की रणनीति कामयाब हो रही है या नहीं।
उत्तराखंड में दिखाएगी जनता अपना दमओ.पी. पाल. नई दिल्ली।

उत्तर प्रदेश की 403 सीटों के लिए हो रहे चुनाव के दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा,पीलीभीत, खीरी, शाहजहांपुर और बदायूं जिलों की 67 सीटों के लिए बुधवार 15 फरवरी को मतदान हो रहा है। इस चरण में 82 महिला प्रत्याशियों समेत 721 उम्मीदवार चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। जिनमें छह राष्ट्रीय दलों, छह प्रादेशिक दलों और 80 गैर मान्यता प्राप्त दलों के अलावा 206 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस चरण के चुनाव में भाजपा व बसपा के 67-67, रालोद के 53, सपा के 51, सीपीआई के 22, कांग्रेस के 18, एनसीपी के तीन प्रत्याशी भी शामिल हैं। जबकि 247 गैरमान्यता प्राप्त दलों तथा 207 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मतदाताओं के लिहाज से सबसे बड़ी सीट मुरादाबाद शहर और सबसे छोटी सीट धामपुर है। इस चुनाव में कांठ विधानसभा सीट पर सर्वाधिक 28 उम्मीदवार हैं, तो अमरोहा की धनौरा सीट पर सबसे कम पांच प्रत्याशी ही चुनाव लड़ रहे हैं। इन प्रत्याशियों का फैसला करने के लिए कुल 2.28 करोड 79185 मतदाताओं का चक्रव्यूह बना हुआ है, जिसमें करीब 1.04 करोड़ 93671 महिला और 1065 तीसरे लिंग के मतदाता भी शामिल हैं।
सपा के गढ़ वर्चस्व की लड़ाई
भाजपा, बसपा, रालोद, सपा-कांग्रेस गठबंधन ने इन 67 सीटों पर काबिज होने के महासंग्राम में अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है। सपा का गढ़ मानी जा रही इस मुस्लिम बाहुल इलाके में पिछले चुनाव में यूपी की सत्तारूढ समाजवादी पार्टी को 34 सीटें मिली थी। बसपा 18 सीटें जीतकर दूसरे पायदान पर रही, तो भाजपा को दस और कांग्रेस को तीन सीटों पर संतोष करना पड़ा था। जबकि अन्य दलों के हिस्से में दो सीटें आई थी। इस चरण में जिन प्रमुख नेताओं की साख दांव पर हैं। उसमें रामपुर विधानसभा सीट पर सूबे की सपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खां और इसी जिले की स्वार सीट से उनके साहबजादे अब्दुला आजम पहली बार अपनी सियासी पारी खेल रहे हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जफर अली नकवी के बेटे सैफ अली नकवी, तिलहर सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद चुनावी जंग में हैं तो शाहजहांपुर से भाजपा विधान दल के नेता सुरेश खन्ना भी चुनावी वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।
मायावती की रणनीति की परीक्षा
यूपी के इस दौर के चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती की मुस्लिमों के प्रति बनाई गई रणनीति की भी परीक्षा होनी है। जबकि यहां भाजपा नहीं चाहती कि मुस्लिम मतदाताओं का रुझान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन की तरफ पूरी तरह हो जाए। बसपा इस इलाके में मजबूती से चुनाव लड़ती है तो भाजपा को भी फायदा होगा। इसीलिए दूसरे चरण में भी मुस्लिम मतदाताओं के रुझान पर सब की नजरे रहेंगी। इसी चरण से यह बात भी साफ हो जाएगी कि सौ मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने की मायावती की रणनीति कामयाब हो रही है या नहीं।

कर्णप्रयाग में नौ मार्च को मतदान
उत्तराखंड की कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से बसपा उम्मीदवार कुलदीप सिंह कनवासी की एक हादसे में मौत के बाद यहां चुनाव टाल दिया गया था, जो अब 9 मार्च को कराया जाएगा। इस सीट पर नौ प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, जिनके फैसले के लिए इस सीट पर 91,849 मतदाताओं का जाल बिछा है, जिसमें 45,268 महिलाएं भी शामिल हैं।
15Feb-2015
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