सोमवार, 20 फ़रवरी 2017

बुंदेलखंड़ फतेह की तैयारी में सियासी दल!

यूपी चुनाव: 19 सीटों पर हावी जातिगत समीकरण
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्त्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के चुनावी समीकरण किसी भी सियासी दलों के मुद्दो से कोई ताल्लुक नहीं रखते, बल्कि सात जिलों की 19 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां जातिगत समीकरण पर चुनाव की दिशा तय करते आए हैं। दलित बाहुल्य बुंदेलखंड इलाके में बसपा अपने डीबीएम फार्मूले पर बढ़त हासिल करने की जुगत में हैं, तो सपा-कांग्रेस गठबंधन जातिगत समीकरण को साधने के प्रयास में हैं। जबकि भाजपा सूखे और सिंचाई की समस्या के मद्देनजर अंतिम दौर में पहुंची केन-बेतवा परियोजना के साथ अलग राज्य के मुद्दे को लेकर बुंदेलखंड पर फतेह करने की तैयारी में है।
यूपी की 403 सीटों में से तीन चरणों के चुनाव में 209 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुके हैं। चौथे चरण में 12 जिलों की 53 सीटों के लिए 23 फरवरी को चुनाव होना है। चौथे चरण में इनमें से सात जिले बुंदेलखंड इलाके में शामिल हैं, जहां 19 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों की समस्याएं एकदम अलग है। सूखे, पेयजल, सिंचाई और अन्य बुनियादी सुविधाओं की बाट जोहते यहां के लोगों का विकास जैसे किसी मुद्दे से कोई सरोकार नहीं है, बल्कि यहां जातिगत समीकरण पर चुनाव लड़ा जाता रहा है। यही कारण है कि दलित बाहुल्य इस इलाके में बसपा की अपनी अलग ही चुनाव रणनीति रही है। बसपा के चुनावी फार्मूले ‘दलित-ब्राह्मण-मुस्लिम’(डीबीएम) को कमजोर कररने के जहां सत्तारूढ़ सपा ने कांग्रेस के गठबंधन से बुंदेलखंड की सियासी जमीन साधने की तैयारी की है,तो वहीं भाजपा ने अपने मतदाताओं के ध्रुवीकरण के सहारे लोगों की बुनियादी सुविधाओं और अलग राज्य की मांग वाले मुद्दे को चुनावी मुद्दे में तरजीह दी है, जिसके पक्ष में बसपा पहले से खाका खींच चुकी है। इसलिए बुंदेलखंड में इस बार का चुनाव कांटेदार होने की संभावना है।
उमा भारती का फार्मूला
केंद्रीय मंत्री उमा भारती का कहना है कि केंद्र सरका मंत्र विकास है और विकास और सुशासन के आधार पर बुंदेलखंड के सूखे और किसानों की बदहाली की समस्या के समाधान हेतु हमने नदी जोड़ने की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा परियोजना को सबसे पहले अंतिम रूप दिया है, जिसकी चुनाव निपटते ही शुरूआत हो जाएगी। इस परियोजना के जरिए बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की समस्या दूर होगी, फसलों को सिंचाई की सुविधा मिलेगी और क्षेत्र में खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा। उनका दावा है कि वहीं किसानों के लिए ग्रामीण सिंचाई परियोजना, फसल बीमा योजना एवं मोदी सरकार की अन्य पहल इस क्षेत्र को विकास के मार्ग पर ला रहे हैं। वहीं उमा भारती ने इन चुनावों में बुंदेलखंड को अलग राज्य का मुद्दा भी जोरशोर से उठाया है।
उपलब्धियों पर साधने का प्रयास
बुंदेलखंड में इस बार विधान सभा चुनावों के लिए सियासी दलों के अभियान में अपने-अपने तौर तरीकों से जनता पर डोरे डालने शुरू कर दिये थे। सत्तारूढ़ सपा जहां बुंदेलखंड के लिए दिए गये विशेष पैकेज के बहाने मैदान मारना चाहती है, तो बसपा अपनी सरकार ने बुंदेलखंड के विकास को लेकर किए गये कार्यक्रमों को हलावा दने में पीछे नहीं है। इसी प्रकार भाजपा केन्द्र सरकार की ओर से बुंदेलखंड के विकास के लिए दिये गये पैकेजों के साथ समीकरण में सुधार करने में जुटी है। जबकि कांग्रेस भी यूपीए कार्यकाल में बुंदेलखंड के विशेष पैकेज का सपा के साथ मिलकर गुणगान करके चुनावी समीकरण अपने पक्ष में करने में जुटी हुई है।क्या हो सकता है चुनावी समीकरण
बुंदेलखंड़ के राजनीतिक विशेषक रणवीर सिंह चौहान की माने तो सूबे सत्ता के लिए अगर बुंदेलखंड को साधने में कोई राजनीतिक दल सफल हो जाता है तो मध्यांचल पर भी उसी दल का डंका बजना तय माना जाता है। इस चुनाव में जहां बसपा जातीय समीकरणों की भूल से मात खा सकती है, वहीं भाजपा को मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण से काफी क्षति उठानी पड़ सकती है। उनका कहना है कि बसपा से राजनीतिक तौर उपेक्षित दलित मतदाताओं को जो दल अपनी ओर खींच लेगा, उसी की फतह संभव है। अनुसूचित वर्ग में कुछ कौमें ऐसी हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करती हैं। दरअसल बसपा की सबसे बड़ी भूल यह है कि वह करीब 81 हजार दलित मतों को एक विशेष दलित कौम (जाटव) मान कर राजनीतिक गुणा-भाग लगाती है, जबकि तल्ख सच्चाई यह है कि इन दलित मतों में आधे से ज्यादा कोरी, धोबी, सोनकर, मेहतर, कुछबंधिया और पासी बिरादरी भी शामिल है, जो लगातार राजनीतिक उपेक्षा के चलते बसपा से अलग होती जा रही है।
इन सीटों पर होगा चुनाव
चौथे चरण में 23 फरवरी को 12 जिलों की 53 सीटों पर चुनाव होगा, जिसमें प्रतापगढ़ जिले की सात, कौशाम्बी की तीन, इलाहाबाद की 12, फतेपुर तथा रायबरेली की छह-छह विधानसभा के अलावा बुंदेलखंड इलाके के जिले जालौन की तीन, बांदा व झांसी की चार-चार, ललितपुर, मोहबा, हमीरपुर तथा चित्रकूट की दो-दो विधानसभा सीटें भी शामिल हैं। मसलन बुंदेलखंड के सात जिलों की 19 विधानसभा सीटों में पांच बांदा की नरैनी, हमीरपुर की राठ, जालौन की उरई सदर, ललितपुर की महरौनी और झांसी की मउरानीपुर सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
20Feb-2017

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