सोमवार, 13 फ़रवरी 2017

उत्तराखंड: भाजपा से ज्यादा संकट में कांग्रेस!

15 फरवरी को 70 सीटों पर चुनाव में होगा इम्तिहान
ओ.पी. पाल.
देहरादून।
उत्तराखंड के सत्ता संग्राम में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला माना जा रहा है, जहां भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के सामने सत्ता से खिसकने का खतरा बना हुआ है और उसी का इन चुनाव में कड़ा इम्तिहान होने वाला है। 15 फरवरी को उत्तराखंड की 70 विधानसभा चुनाव में एक किन्नर और 62 महिलाओं समेत 637 उम्मीदवारों को लेकर बड़े-बड़े सियासी दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
उत्तराखंड सत्ता का इतिहास रहा है कि वर्ष 2002 से अभी तक भाजपा और कांग्रेस के अलावा किसी अन्य दल की सरकार नहीं बन पाई है। जहां तक कांग्रेस की सत्ता का का सवाल है उसमें पहले चुनाव में नरायणदत्त तिवारी के अलावा कांग्रेस के किसी भी मुख्यमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। इसका मुख्य कारण कांग्रेसी मुख्यमंत्री के खिलाफ कांग्रेस विधायकों की बगावत रही है। इसलिए कांग्रेस राज्य में होने वाले चुनाव में टिकटों के बंटवारें पर हुई बगावत को लेकर संकट में हैं, हालांकि ऐसे हालातों का सामना भाजपा को भी करना पड़ा है, जिसने बागियों को पार्टी से निकालने की कार्यवाही भी की है। शायद यह कांग्रेस का सियासी संकट ही उजागर हो रहा है कि कांग्रेस के उम्मीदवार हरीश रावत इतिहास में ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ना पड़ रहा है। इसी प्रकार उत्तराखंड में पहली बार एक किन्नर नेता रजनी रावत भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दो सीटों धरमपुर व रायपुर से चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही है। कांग्रेस के लिए उनके प्रदेशाध्यक्ष यशपाल आर्य के भाजपा के टिकट पर बाजपुर सीट से चुनाव लड़ना भी कांग्रेस के लिए चुनौती है।
इन दलों के मजबूत गढ़
उत्तराखंड के पिछले तीन विधानसभा चुनाव राज्य में करीब डेढ़ दर्जन विधानसभा सीट कांग्रेस, भाजपा और बसपा के ऐसे मजबूत गढ़ हैं, जहां इनके प्रत्याशी को हमेशा जीत ही मिली है। राज्य की ऐसी तमाम सीटों में उत्तराखंड में हुए अभी तक के चुनाव में कांग्रेस जसपुर, द्वारहाट, जागेश्वर, धारचूला, टिहरी, देवप्रयाग, पौडी, चकराता व धरमपुर ऐसी सीटें हैं, जिन पर कांग्रेस का ही प्रत्याशी विजय पताका फहराता आया है। जबकि काशीपुर, हरिद्वार शहर, देहरादून कैंट, डीडीहाट और यमकेश्वर सीटों पर पिछले तीनों विधानसभाचुनावों में भाजपा का गढ़ साबित हुआ है, जहां भाजपा कभी नहीं हारी। इसके अलावा बसपा की भी सियासी पैठ बनी दो सीटें हैं, जहां उसका प्रत्याशी नहीं हार सका है। इसके अलावा हरिद्वार जिले की मंगलौर, लंढोरा व झबरेडा विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहांभाजपा व कांग्रेस का उम्मीदवार आज तक नहीं जीत पाया और इन सीटों पर जीत का सेहरा बसपा के सिर बंधा है। मसलन इन सीटों पर कोई भी दल एक दृसरे को शिकस्त नहीं दे पाया है।
छोटे दल भी जंग में
उत्तराखंड विधानसभा की 70 सीटों पर 3578995 महिलाओं समेत कुल 7512559 मतदाताओं के चक्रव्यूह को भेदने के लिए 637 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। इसमें भजापा और कांग्रेस के 70-70, बसपा के 69, सपा के 21, उत्तराखंड क्रांतिदल के 20, शिवसेनाके सात, सीपीआई और सीपीएम के पांच-पांच, रालोद के तीन, राकांपा के दो प्रत्याशियों के साथ ही 103 प्रत्याशी पंजीकृत गैरमान्यता प्राप्त दलों के चुनाव मैदान में हैं। इनके अलावा 262 प्रत्याशियों ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक रखी है, जिनमेंभाजपा व कांग्रेस के बागी नेता भी शामिल हैं। राज्य की 70 विधानसभा सीटों के लिए कुल 10 हजार 854 मतदान केंद्र बनाए गए हैं,जिनमें हरिद्वार की सभी 11 सीटों के अलावा कोटद्वार, लोहाघाट, चंपावत तथा रुद्रपुर में सीधा मुकाबला है।
62 महिलाओं की किस्मत दांव पर
उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों के 62 महिलाओं समेत कुल 637 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं, जिनमें दो सीटों से एक किन्नर अपनी किस्मत आजमा रही है। खासबात यह है कि राज्य की 15 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां एक से ज्यादा महिलाएं चुनाव मैदान में हैं। इनमें झबरेड़ा, नानकमतता व चौबटाखाल सीट पर 3-3 महिला चुनाव लड़ रही हैं, जबकि केदारनाथ, सहसपुर, धरमपुर, रायपुर,मसूरी, डोईवाला, ऋषिकेश, हरिद्वार, भगवानपुर, यमकेश्वर, गंगोलीहाट व सल्ट सीटों पर दो-दो महिलाएं अपनी किस्मत आजमा रही हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2012 के चुनाव में 63 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, लेकिन पांच महिलाओं को ही विधानसभा में जाने का मौका मिल सका था, जिनमें कांग्रेस की दो महिलाएं मंत्रिमंडल में भी शामिल हुई। पिछली बार 47 महिलाओं को अपनी जमानत जब्त कराने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
दागियों पर भी खेला दांव
देवभूमि उत्तराखंड में चुनावी जंग लड़ रहे नेताओं में 91 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले विचाराधीन हैं, जिनमें 54 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, अपहरण, बलात्कार जैसे आरोप वाले संगीन मामले भी चल रहे हैं। ऐसे संगीन मामलों में लिप्त सबसे ज्यादा 12 प्रत्याशियों को कांग्रेस ने टिकट दिया है, जबकि 14 निर्दलीय प्रत्याशियों के खिलाफ भी संगीन आपराध के मामले विचाराधीन हैं।
13Feb-2017

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