गुरुवार, 9 फ़रवरी 2017

जाटलैंड में नाराजगी से मुश्किल में भाजपा!

रूठे जाट वोटबैंक को मनाने पर मंथन तेज
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा से रूठे जाट वोटबैंक पर रालोद ने सेंध लगाकर अपनी खोई सियासी ताकत हासिल करने की रणनीति तैयार की है। इससे जाटलैंड में बिगड़ते समीकरणों पर भाजपा ने पार्टी के जाट नेताओं के सहारे जाट वोट बैंक को मनाने के प्रयास तेज कर दिये हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर पहले चरण के चुनाव को लेकर भाजपा, सपा-कांग्रेस,बसपा, रालोद की प्रमुख रूप से नजरें लगी हुई है। जाट बाहुल्य के दबदबे वाले इस क्षेत्र में जाट वोटबैंक किसी भी दल के सियासी समीकरण बदलने की कुबत रखता है। लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक के चलते जाटलैंड के कारण राष्टÑीय लोकदल का गढ़ धाराशायी हो गया था, जिसके कारण संसद में उसका एक भी सांसद नहीं पहुंच सका। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद ने फिर से अपना सियासी किला तैयार करने के लिए भाजपा से नाराज जाटलैंड में सेंधमारी करने की रणनीति के साथ यूपी चुनाव में हुंकार भरी है। इसका अहसास भाजपा हाईकमान को हुआ तो एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह के दिल्ली स्थित आवास पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट नेताओं की बैठक बुलाकर जाटवोट बैंक को मनाने के मंथन कर रणनीति बनाने पर चर्चा की गई। खास बात यह है कि इस बैठक में खुद भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष अमित शाह भी हिस्सा लेने पहुंचे। यही नहीं इन बैठकों के दौरान में अमित शाह के आवास पर भी जाट नेताओं की बैठक बुलाई गई। सूत्रों के अनुसार जाटों और किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए एक समिति का भी गठन किया गया है।
बैठकों का चला दौर
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान, सांसद सत्यपाल सिंह, कुवर भरतेंदु, बाबूलाल व पूर्व केन्द्रीय मंत्री सतपाल मलिक, के अलावा हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कैप्टन अभिमन्यु, ओपी धनकड के अलावा पार्टी महासचिव एवं राज्य प्रभारी अनिल जैन शामिल हुए। पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाटों की नाराजगी को दूर करने की दिशा में सामाजिक नेताओं में अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह, सचिव अशोक बालियान, सचिव सुभाष चौधरी व गजेन्द्र सिंह अहलावत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुछ जाटों की खापों के चौधरियों के साथ भी विचार विमर्श किया गया।
किस कारण बढ़ी नाराजगी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं के बीच भाजपा के खिलाफ यूपी चुनाव में नाराजगी से हलकान भाजपा नेतृत्व के लिए चिंता का विषय है। भाजपा हाईकमान के सामने जाट समुदाय के हितों की लड़ाई लड़ रहे सामाजिक संगठनों में अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह ने नाराजगी का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि मुजμफरनगर दंगों के बाद जाटों ने राज्य में अन्याय के बाद भाजपा का समर्थन किया था। केंद्र व कुछ राज्यों में जाट आरक्षण को लेकर आंदोलन हुए, लेकिन हरियाणा में कुछ संगीन धाराओं में दर्ज झूठे मुकदमे और केंद्र सरकार की कुछ किसान विरोधी नीतियों जैसे कई मुद्दों को लेकर जाटों में आक्रोश तेज हुआ है।
भाजपा का आश्वासन
सूत्रोें के अनुसार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस बैठक के दौरान जाट नेताओं को आश्वासन दिया है कि भाजपा जाट समुदाय के साथ हैं और केन्द्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन तथा आरक्षण के मुद्दे पर जल्द ही ठोस कदम उठाने को तैयार है। उन्होंने कहा कि यूपी में सत्ता में आने पर जाट समुदाय के साथ किसानों के हितों में उचित फैसले लिये जाएंगे। वहीं हरियाणा आंदोलन के दौरान झूठे मुकदमों को हटवाने के लिए भी समाधान किया जाएगा। शाह ने यहां तक कहा कि केंद्र सरकार से लेकर टिकट के बंटवारे तक भाजपा ने जाट नेताओं को तरजीह दी है।
किसानों की समस्या बढ़ी
उधर भारतीय किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट आरक्षण के मुद्दे पर नाराजगी के अलावा किसानों की समस्या को दूर करने का प्रयास नहीं किया गया। केंद्र सरकार के बजट में भी किसानों के लिए जो आंकड़ों की बाजीगरी की गई है। इस पर उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ष 2013-14 रबी में 644 लाख हेक्टेयर रकबे में बुवाई हुई थी। अगले दो सालों के लगातार सूखे के कारण 2014-15 में यह घटकर 615 लाख हेक्टेयर और उसके बाद 2015-16 में 610 लाख हेक्टेयर रह गई। इस वर्ष सामान्य बारिश हुई लेकिन फिर भी रबी की बुवाई पिछले सामान्य वर्ष 2013-14 के मुकाबले इस वर्ष उसी के आसपास 645 लाख हेक्टेयर ही हुई है। इस वर्ष के रकबे की पिछले सूखे वर्ष से तुलना कर बुवाई रकबा बढ़ा हुआ बताना उचित नहीं होगा। दो वर्ष के लगातार सूखे के बाद इस वर्ष खरीफ में अच्छी फसल हुई परन्तु नोटबंदी के चलते किसानों को खरीफ की किसी भी फसल की अच्छी कीमत नहीं मिल पाई जिससे किसान की कमर टूट गई है और वह कर्ज के बोझ तले दब गया है। परंतु सरकार के बजट से उसको जो कर्जा माफी की उम्मीद थी वो भी टूट चुकी है। भाजपा ने किसानों के साथ अपने 2014 के घोषणापत्र में फसलों की लागत पर 50 फीसदी लाभ देने का वायदा भी अभी तक पूरा नहीं किया है, तो बजट में किसान की आमदनी दोगुनी करने का वायदा कैसे पूरा करेंगे?
09Feb-2017

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