रविवार, 26 फ़रवरी 2017

पूर्वांचल फतह करने को भाजपा की खास रणनीति!

सहयोगी दलों के जरिए सपा के गढ़ में सेंध
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के सात चरणों में हो रहे चुनावों में चार चरण के 262 सीटों पर पूरे हुए मतदान के बाद अब पांचवे चरण में 11 जिलों की 51 सीटों पर 27 फरवरी को वोटिंग होनी है। पूर्वांचल के इन तीनों चरणों में बाकी सभी 141 सीटों को जीतने के लिए भाजपा ने खास तैयारी के साथ मास्टर प्लान तैयार किया है! सूत्रों की माने तो इस सियासी मास्टर प्लान में भाजपा की पूर्वांचल फतेह के लिए तय की गई खास रणनीति में राजभर और कुर्मी वोटबैंक में सेंधमारी करना बताया जा रहा है। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने अपने सहयोगी दलों अपना दल और भारतीय समाज पार्टी को पूर्वांचल में 20 सीटें दी हैं।
ऐसे राजभर वोट साधने का प्रयास
दरअसल यूपी के पूर्वांचल में राजभर वोट ऐसा है जो करीब-करीब हर सीट पर अपना प्रभाव रखता है। राजभर जाति का वोट पूर्वांचल के मऊ, बलिया,गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिजार्पुर, देवरिया, आजमगढ़, अंबेडकरनगर,गोरखपुर, कुशीनगर, सोनभद्र, मिजार्पुर सहित कई जिलों पर अपना प्रभाव रखता है। इसी रणनीति के तहत भाजपा ने पूर्वांचल को ध्यान में ओम प्रकाश राजभर की पार्टी भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया है। गठबंधन के तहत भासपा को 9 सीटें दी गई हैं। राजभर जाति के वोटों को लुभाने के लिए भाजपा ने अपने कोटे से सपा पूर्व राज्यमंत्री अनिल राजभर को शिवपुर विधानसभा सीट से टिकट दिया है। इसके अलावा मऊ से हरिनारायण राजभर सांसद भी हैं। राजभर वोटों की घेरेबंदी के लिए केंद्र सरकार ने राजभर जाति के राजा सुहैलदेव के नाम पर गाजीपुर से दिल्ली राजा सुहैलदेव एक्सप्रेस भी चलाया है।
अपना दल का सहारे कुर्मियों पर नजर
पूर्वांचल में कुर्मी वोटर भी एक फैक्टर है। वाराणसी, मिजार्पुर, जौनपुर,इलाहाबाद, मछलीशहर, सोनभद्र, चंदौली, गाजीपुर, गोरखपुर और प्रतापगढ़ सहित कई जिलों में खासा प्रभाव रखते हैं। ओबीसी जातियों में यादव के बाद कुर्मी वोटर ही दूसरी सबसे बड़ी जाति है। भाजपा ने कुर्मी वोटरों को लुभाने के लिए अपना दल के साथ गठबंधन किया है। केंद्र की मोदी सरकार में अनुप्रिया पटेल मंत्री भी हैं। इसके अलावा भाजपा के कद्दावर कुर्मी नेता ओम प्रकाश सिंह के बेटे अनुराग सिंह को चुनार से टिकट भी दिया गया है।
केशव के सहारे कोईरी
पूर्वांचल में यादव, कुर्मी के बाद तीसरी सबसे बड़ी ओबीसी कोइरी(कुशवाहा, मौर्या) है। बीजेपी ने कोइरी वोटों के लिए पहले ही केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा बसपा से आए स्वामी प्रसाद मौर्या और उनके बेटे को टिकट दिया है। कोइरी जाति का प्रभाव वाराणसी,चंदौली, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, फूलपुर और इलाहाबाद सहित कई जिलों में है। इन जिलों में कोइरी वोट हराने और जीताने का माद्दा रखता है।
अब होगी असली परीक्षा
यूपी की 403 में से 262 सीटों पर 4 चरणों के मतदान के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। यानि अगले तीन चरणों में राज्य के जिन 141 सीटों के लिए चुनाव होने हैं, उनमें से 60 फीसदी पर सपा काबिज है। मुस्लिम और यादव के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की बाकी जातियों के साथ गठजोड़ कर 2012 में सपा ने इन इलाकों में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। बसपा ने भी इन इलाकों में अपनी ठीक-ठाक मौजूदगी बना रखी है, लेकिन दलित और अति पिछड़े वर्ग के गठजोड़ में पड़ चुकी दरार बसपा के लिए बड़ी चुनौती दिख रही है।

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यूपी: पांचवे चरण का 27 फरवरी को होगा 51 सीटों पर मतदान 
उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण में 27 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अभियान शनिवार शाम को थमने से पहले पूर्वांचल में बनाई गई रणनीतियों के तहत सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने पूर्वांचल इलाके में सियासी जंग जीतने के लिए जो नीति बनाई है, वह अन्य दलों पर भारी पड़ सकती है। पांचवे चरण में विभिन्न दलों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
चुनाव आयोग ने पूर्वांंचल की परंपरागत सियासत और चुनावी अनुभव के मद््देनजर कड़े सुरक्षा प्रबंध के साथ चुनाव कराने की सभी तैयारियां पूरी कर ली। उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से पहले चार चरणों में 262 सीटों पर हुए चुनाव के बाद अब बाकी 141सीटों पर अगले तीन चरणों के चुनाव सूबे के पूर्वांचल इलाके में होने हैं। पांचवे चरण में 27 फरवरी को पूर्वांचल के 11 जिलों की 51 सीटों पर वोट डाले जाने हैं। खास बात है कि सियासी जंग जीतने के इरादे से वैसे तो सभी दलों के स्टार प्रचारकों ने भी इन्हीं क्षेत्रों में डेरा डाल रखा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बसपा मुखिया मायावती और सपा सरकार के मंत्री आजम खां समेत कई दिग्गजों ने धुआंधार सभाएं करके हर हथकंडों के साथ चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक पूरी ताकत झोंकी है। गौरतलब है कि पूर्वांचल इलाके की 60 फीसदी सीटों पर सपा काबिज है। मुस्लिम और यादव के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की बाकी जातियों के साथ गठजोड़ कर 2012 में सपा ने इन इलाकों में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। बसपा ने भी इन इलाकों में अपनी ठीक-ठाक मौजूदगी बना रखी है लेकिन दलित और अति पिछड़े वर्ग के गठजोड़ में पड़ चुकी दरार बसपा के लिए बड़ी चुनौती दिख रही है।
दांव पर इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा
पांचवें चरण में खुद चुनाव लड़ रहे सपा सरकार के मंत्रियों अवधेश प्रसाद, राममूर्ति वर्मा, गायत्री प्रसाद प्रजापति, विनोद कुमार सिंह उर्फ पण्डित सिंह, तेज नारायण पांडेय ह्यपवनह्ण, शंखलाल मांझी, यासर शाह व रामकरन आर्या जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। पिछले चुनाव में इन जिलों से सपा को अच्छी बढ़त मिली थी और बसपा को नुकसान हुआ था। इस चरण में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण अमेठी जिले की सीटों से कांग्रेस की भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। यही नहीं इस चरण में राहुल गांधी के चचेरे भाई एवं भाजपा सांसद वरुण गांधी का संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर की विधानसभा सीटों पर भी चुनाव होना है।
इन जिलों में होगा चुनाव
पांचवे चरण में 11 जिलों की 51 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होगा। इनमें बलरामपुर की चार, गोण्डा की सात, फैजाबाद की पांच व अंबेडकरनगर की चार,, सिद्धार्थनगर की पांच, बहराइच की सात, श्रीवास्ती की दो, बस्ती की पांच,संत कबीरनगर की तीन, अमेठी की चार तथा सुल्तानपुर की पांच सीटें शामिल हैं। गौरतलब है कि अंबेडकर नगर की पांच सीटों में से अलापुर सीट के चुनाव को एक प्रत्याशी के निधन के बाद चुनाव आयोग ने स्थगित कर दिया था, जहां नौ मार्च को वोटिंग कराई जाएगी।
26Feb-2017

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