गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

बागी बन सकते हैं सपा की मुश्किलों का सबब!

सपा ने शुरू की निष्कासन की कार्यवाही
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
यूपी की सत्ता में वापसी करने के इरादे से कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनावी जंग में उतरने वाली सत्तारूढ समाजवादी पार्टी के लिए बागी उम्मीदवार अखिलेश की मुश्किलों का सबब बनते नजर आ रहे हैं। मसलन गठबंधन के बावजूद करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर सपा व कांग्रेस के प्रत्याशी आमने-सामने चुनावी कुश्ती लड़ रहे हैं। हालांकि सपा ने पार्टी के बागी हुए नेताओं पर निष्कासन की कार्यवाही भी शुरू की, लेकिन इससे सपा की सियासी मुश्किलों में इजाफा होने के ज्यादा आसार हैं।
देश के सबसे बड़े सूबे उत्त्तर प्रदेश की 403 सीटों में गठबंधन के तहत सपा 298 तथा कांग्रेस 105 सीट पर चुनावी तालमेल के लिए सहमति बनी थी। गठबंधन से पहले ही सपा अधिकांश सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये थे, जिनमें गठबंधन के तहत कांग्रेस को दी गई करीब दो दर्जन विधानसभा सीटें भी शामिल रही। ऐसे में अधिकांश सपा के अधिकृत प्रत्याशियों ने नामांकन भी दाखिल कर दिये थे। जो सीटें कांग्रेस को दी गई वहां सपा ने कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन का फरमान दिया। सपा के इस फरमान से नाराज करीब दो दर्जन सपा नेताओं ने पार्टी से बगावत करते हुए चुनावी जंग जारी रखी और अभी तक तीन चरणों में दस सीटें ऐसी रही जहां कांग्रेस और सपा के प्रत्याशियों का आमने-सामने मुकाबला हुआ। बाकी बचे चरणों में भी ऐसी स्थिति से सपा जूझ रही है, टिकट कटने से बागी हुए सपा के अधिकृत प्रत्याशी चुनावी दंगल के अखाड़े में सियासी कुश्ती लड़ने पर अड़िग हैं। यही नहीं सपा की मुश्किलों का सबब ऐसे सपा नेता भी बने हुए हैं, जो सपा परिवार के विवाद में पिसने के कारण सपा के अधिकृत प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में बागी होकर चुनौती दे रहे हैं। ऐसे नेताओं में अखिलेश सरकार के मंत्री और विधायक भी शामिल हैं।
आज पांच सीटों पर मैत्री मुकाबला
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में चौथे चरण में 53 सीटों में से सपा-कांग्रेस गठबंधन के 58 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं यानि पांच सीटें ऐसी हैं, जहां सपा और कांग्रेस दोनों दलों के उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इससे पहले हुए तीन चरणों में गठबंधन ऐसी दस सीटों पर आपसी जोर आजमाइश कर चुका है। मसलन सपा-कांग्रेस गठबंधन के बीच प्रत्याशियों को लेकर सही तालमेल और आपसी सहमति न बनने से कांग्रेस से ज्यादा सपा प्रमुख अखिलेश की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। चौथे चरण में फतेहपुर की बिंदकी सीट पर कांग्रेस के अभिमन्यु सिंह व समाजवादी पार्टी के रामेश्वर दयाल चुनाव मैदान में हैं। रायबरेली की सरेनी सीट से सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह के सामने कांग्रेस के अशोक कुमार सिंह, रायबरेली के ऊंचाहार में मंत्री रहे सपा के मनोज कुमार पांडेय तथा कांग्रेस के अजय पाल सिंह ताल ठोक रहे हैं। इसी प्रकार बुंदेलखंड में ललितपुर की महरौनी सीट से कांग्रेस ने बृजलाल खाबरी को टिकट दिया है तो उनके मुकाबले सपा के रमेश खटिक भी मैदान में डटे हैं। चित्रकूट जिले के मानिकपुर से कांग्रेस गुलाबी गैंग की कर्ताधर्ता संपत पाल चुनाव लड़ा रही है, लेकिन यहां उसके मुकाबले सपा के दिनेश मिश्रा भी सीधी टक्कर देने को तैयार हैं। ऐसे में मतदाता भी असमंजस की स्थिति में होंगे कि वह सपा प्रत्याशी को मतदान करें या फिर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में।
आग में घी डालने का काम
उत्तर प्रदेश में कई विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी की मुश्किलों का सबब बन रहे बागी उम्मीदवारों और नेताओं के खिलाफ पार्टी द्वारा शुरू की गई निष्कासन की कार्यवाही ‘आग में घी’ डालने वाली कहावत को चरितार्थ कर सकती है। मसलन मुलायम सिंह यादव परिवार की अंतर्कलह के कोपभाजन का शिकार बने कुछ मंत्रियों, विधायकों और नेताओं ने टिकट कटने से चुनावी जंग में हिस्सेदारी करके बगावत कर रखी है। ऐसे में मुश्किलों से जूझ रही अखिलेश की सपा ने बागियों के खिलाफ निष्कासन की कार्यवाही शुरू की है। मसलन बुधवार को ही नौ नेताओं को बागी होने के कारण पार्टी से छह-छह साल के लिये निष्कासित कर दिया है। ऐसे नेता ज्यादातर शिवपाल यादव खेमे के करीबी माने जा रहे हैं।
इन नेताओं पर हुई कार्यवाही
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बगावती तेवर दिखा रहे जिन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखया गया है उनमें मुलायम की करीबी नेता एवं सपा महिला सभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रंजना बाजपेई भी शामिल है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीन आचरण के चलते कुशीनगर की सेवरही के पूर्व विधायक डा. पीके राय को भी छह साल के निष्कासित कर दिया है, जो इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले चुनाव लड़ रहे हैं। इसी प्रकार घोसी के विजय यादव और संजय यादव, देवरिया सदर से विजय प्रताप यादव, रामपुर कारखाना क्षेत्र के दयाशंकर यादव, जिला सचिव अवधेश राम, जिला महासचिव अरविंद सिंह पटेल और केन यूनियन के पूर्व चेयरमैन सुरेंद्र राय को भी छह साल के लिए निष्कासित किया गया है।
23Feb-2017

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