मंगलवार, 7 फ़रवरी 2017

संसद में सिर्फ एक-तिहाईआश्वासनों पर ही हुआ अमल

संसद में आश्वासनों पर सरकार ने स्वीकारा
दो साल में 20 फीसदी आश्वास किये गये खारिज
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने स्वीकार किया है कि संसद में केंद्रीय मंत्रियों द्वारा दिये जाने वाले सभी आश्वासनों को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सकता। मसलन मोदी सरकार के दो साल के कार्यकाल में केवल एक तिहाई ही आश्वासनों पर अमल हुआ है।
राज्यसभा में संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास ने संसद में दिये जाने वाले आश्वासनों के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में स्वीकार किया है कि संसद में मंत्रियों द्वारा दिये जाने वाले आश्वासनों को लागू कराने की जिम्मेदारी प्रमुख रूप से मंत्रियों या आश्वासन से जुड़े विभागों की होती है। उन्होंने माना कि संसद में विभिन्न मंत्रियों द्वारा दिए गये आश्वासनों में से एक तिहाई पर ही अमल किया जा सका है। एक आधिकारिक डाटा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि मंत्रियों ने दो साल यानि वर्ष 2015 और 2016 के दौरान सदन के भीतर 1,877 आश्वासन दिए, जिनमें से सिर्फ 552 ही लागू किए गए। जहां 20 फीसदी यानि 392 आश्वासन खारिज कर दिए गए, शेष 893 अभी भी लम्बित हैं।
पिछले साल दिये 970 आश्वासन
सदन में नकवी ने जानकारी दी कि संसद में मंत्रियों द्वारा पिछले साल 970 आश्वासन दिये गये जिनमें से 580 लंबित हैं। जबकि शेष 252 को छोड़ दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय मंत्रालय भी इन आश्वासनों को लागू करने के बारे में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के संबद्ध अधिकारियों के साथ समय समय पर विचार विमर्श करता है। हर आश्वासन के बारे में जानकारी देते हुए संसदीय कार्य मंत्रालय बताता है कि आश्वासन को तीन महीने के भीतर पूरा करना होगा, इस सीमा का पालन सख्ती से किया जाना चाहिए। इसके अलावा संसद में सरकारी आश्वासनों को लेकर लोकसभा की स्टैंडिंग कमेटी भी है। यह संसदीय पैनल उन आश्वासनों पर नजर रखता है, जो पूरे नहीं किए गए हैं। यह उन्हें पूरा करवाने के लिए मंत्रालयों के अधिकारियों को तलब भी करता है।
07Feb-2017

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें