शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

अब गरीबों को मिल सकेगा सस्ता न्याय

सुप्रीम कोर्ट ने लागू की मध्यम आय समूह योजना
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की योजना के तहत अब देश में मध्यम और गरीब आय वर्ग के लोगों के लिए कानूनी सहायता हासिल करना बेहद आसान हो गया है। इस दिशा में गुरुवार को यहां सुप्रीम कोर्ट ने एक ‘मध्यम आय समूह योजना’ लागू की है।
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने इस योजना की जानकारी देते हुए बताया कि ‘मध्यम आय समूह योजना’ एक प्रकार की आत्म समर्थन देने वाली योजना है और इसके तहत 60 हजार रुपए प्रति महीने और 7.50 लाख रुपए वार्षिक आय से कम आय वाले लोगों के लिए कानूनी सहायता दी जा सकेगी। इस योजना के अंतर्गत मध्यम वर्ग के वैसे लोग जो उच्चतम न्यायालय में मुकद्दमों का खर्च नहीं उठा सकते, वे कम राशि देकर सोसाइटी की सेवा ले सकते है। इस योजना के लाभ लेने के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित फार्म भरना होगा और इसमें शामिल सभी शर्तों को स्वीकार करना होगा। योजना के अनुसार याचिका के संबंध आने वाले विभिन्न खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिक निधि बनाई जाएगी। याचिका की स्वीकृति के स्तर तक आवेदक को इस आकस्मिक निधि में से 750 रुपए जमा कराने होंगे। यह सोसाइटी में जमा किये गये शुल्क के अतिरिक्त होगा। यदि एडवोकेट आॅन रिकॉर्ड यह समझते है कि याचिका आगे अपील की सुनवाई योग्य नहीं है, तो समिति द्वारा लिये गये न्यूनतम सेवा शुल्क 750 रुपए को घटाकर पूरी राशि चैक से आवेदक को लौटा दी जाएगी। मसलन समाज के कम आय वर्ग के लोगों के लिए याचिका दाखिल करने के काम को सहज बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय ने यह योजना लागू की है। यह योजना में संलग्न अनुसूची के आधार पर होगी।
गवर्निंग बॉडी करेगी निगरानी
भारत के प्रधान न्यायाधीश के संरक्षण में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860(2) के अन्तर्गत सोसायटी के प्रबंधन का दायित्व गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को दिया गया है। गवर्निंग बॉडी में अटार्नी जनरल पदेन उपाध्यक्ष और सोलिसीटर जनरल आॅफ इंडिया मानद सदस्य होंगे। जबकि उच्चतम न्यायालय के अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं को सदस्य के रूप में शामिल किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार न्यायालय के समक्ष याचिका केवल एडवोकेट आॅन रिकॉर्ड के जरिये दाखिल की जा सकती है। मसलन सेवा शुल्क के रूप में सुप्रीम कोर्ट में ‘मध्य आय समूह कानूनी सहायता सोसाइटी’(एससीएमआईजीएलएएस) को केवल 500 रुपए का भुगतान करना होगा। जबकि आवेदक को सचिव द्वारा बताई गई फीस जमा करानी होगी। यदि एडवोकेट आॅन रिकॉर्ड इस बात से संतुष्ट हैं कि यह याचिका आगे की सुनवाई के लिए उचित है, तो सोसाइटी आवेदक के कानूनी सहायता अधिकार पर विचार करेगी।
वकील होंगे जिम्मेदार
यदि योजना के अन्तर्गत नियुक्त अधिवक्ता सौंपे गये केस के मामले में लापरवाह माने जाते हैं तो उन्हें आवेदक से प्राप्त फीस के साथ केस को वापस करना होगा। इस लापरवाही की जिम्मेदारी सोसाइटी पर नहीं होगी और मवक्कील से जुड़े अधिवक्ता की पूरी जिम्मेदारी होगी। अधिवक्ता का नाम पैनल से समाप्त कर दिया जाएगा। एमआईजी कानूनी सहायता के अंतर्गत सचिव याचिका दर्ज करेंगे और इसे पैनल में शामिल एडवोकेट आॅन रिकॉर्ड/दलील पेश करने वाले वकील/वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजेंगे।
17Feb-2017

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