बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

यूपी: चौथा चरण-सियासी विरासत की खातिर झोंकी ताकत!

सभी दलों के सामने बुंदेलखंड को साधने की चुनौती
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए 23 फरवरी को चौथे चरण में 12 जिलों की 53 सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए मंगलवार को समाप्त हुए प्रचार से पहले सभी दलों पूरी ताकत झोंकी है। इस चरण के चुनाव में बुंदेलखंड की वे 19 विधानसभा सीटें भी शामिल हैं, जिनका रूख सियासी दलों के भविष्य की तकदीर लिखने की कुबत रखता है। इन सीटों पर होने वाले चुनाव में विभिन्न दलों व उनके दिगगज नेताओं की खुद के साथ अपने बेटे-बेटियों के लिए भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
यूपी की 403 विधानसभा सीटों में से पहले तीन चरणों में 209 सीटों पर चुनाव हो चुका है और अब 23 फरवरी को चौथे चरण में 12 जिलों की 53 विधानसभा सीटों पर 61 महिलाओं समेत 680 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें बसपा सभी 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि गठबंधन के बावजूद 33 पर सपा और 25 सीटों कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं यानि पांच सीटों पर सपा व कांग्रेस के प्रत्याशी आमने सामने मुकाबले में हैं। भाजपा ने 48 प्रत्याशियों तथा उसके सहयोगी दल अपना दल ने पांच प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा रालोद के 39, सीपीआई के 17,सीपीएम व राकांपा के तीन-तीन प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। बाकी 260 प्रत्याशी छोटे दलो और 199 निर्दलीय प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। चुनाव मैदान में जंग लड़ रहे कुल 680 प्रत्याशियों के सामने 84.5 लाख महिलाओं व 1034 तीसरे लिंगी समेत कुल 1.84 करोड़ 82166 मतदाताओं का जाल बुना हुआ है। इलाहाबाद उत्तरी सीट पर सबसे ज्यादा 26 प्रत्याशी मैदान में हैं। वही खागा(फतेहपुर), मंझनपुर(कौशाम्बी) और कुंडा(प्रतापगढ़) में सबसे कम छह-छह उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। साल 2012 में चौथे चरण में इन 53 सीटों पर हुए चुनाव में सपा को 24 सीटों पर सफलता प्राप्त हुई थी। इसके अलावा बसपा ने 15, कांग्रेस ने छह, बीजेपी ने पांच तथा पीस पार्टी ने तीन सीटें जीती थीं।
अपनों के लिए दांव पर प्रतिष्ठा
चौथे चरण के चुनाव में सभी दलों के सामने अपनी सियासी विरासत बचाने की चुनौती होगी, जहां कुछ प्रत्याशियों की खुद और कुछ दिग्गजों की अपने बेटों-बेटियों को जिताने के लिए प्रतिष्ठा दांव पर लगा रखी है। बसपा छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके विधानसभा के पूर्व प्रतिपक्ष नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रायबरेली की ऊंचाहार सीट पर अपने बेटे उत्कर्ष मौर्य का मुकाबला सपा के मंत्री मनोज पांडेय से है। वहीं राज्यसभा सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी की बेटी अराधना मिश्रा प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास से चुनावी जंग में हैं। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रेवतीरमण सिंह के बेटे उज्जवल रमण सिंह इलाहाबाद जिले की करछना विधानसभा सीट पर संघर्ष कर रहे हैं। यही नहीं रायबरेली सीट से पांच बार विधायक रह चुके बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इलाहाबाद पश्चिम में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और लालबहादुर शास्त्री के पौत्र सिद्धार्थ नाथ सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व सांसद रहे शैलेंद्र कुमार के भाई व एमएलए सतवीर मुन्ना सपा के टिकट पर भाग्य आजमा रहे हैं। इनके अलावा प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल की कुश्ती लड़ रहे हैं। इसके अलावा विधानसभा में विपक्ष के नेता गयाचरण दिनकर बुंदेलखंड के बांदा जिले की नरैनी सीट तथा बबीना क्षेत्र सीट पर राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल यादव के पुत्र यशपाल सिंह यादव चुनावी जंग में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
बुंदेलखंड पर असमंजस में सियासी दल
इस चौथे चरण के चुनाव में प्रमुख दलों के सामने बुंदेलखंड के सात जिलों की 19 सीटों को साधने की चुनौती है, जहां राजनीतिक दलों ने जातिगत समीकरण के आंकड़ों के आधार पर नफा-नुकसान देखते हुए अपनी-अपनी ताकत झोंकी है। हालांकि बुंदेलखंड के मौन मतदाताओं के सामने सभी दलों की धड़कने बढ़ी हुई हैं। जहां भाजपा के सामने लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है, तो वहीं सपा-कांग्रेस और बसपा जैसे दलों को अपनी खोई हुई सियासी जमीन हासिल करने की दरकार है। दरअसल बुंदेलखंड इलाके के लोग विकास या सरकार की उपलब्धियों पर नहीं, बल्कि जातिगत समीकरण के सहारे अपना नेता चुनते आ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 19 सीटों में से बसपा को सात, सपा को छह, कांग्रेस को चार और भाजपा को दो सीटें मिली थी।
इन सीटों पर होगा चुनाव
चौथे चरण में जिन 53 सीटों पर चुनाव होगा, जिसमें प्रतापगढ़ जिले की सात, कौशाम्बी की तीन, इलाहाबाद की 12, फतेपुर तथा रायबरेली की छह-छह विधानसभा के अलावा बुंदेलखंड इलाके के जिले जालौन की तीन, बांदा व झांसी की चार-चार, ललितपुर, मोहबा, हमीरपुर तथा चित्रकूट की दो-दो विधानसभा सीटें भी शामिल हैं। इनमें बुंदेलखंड के सात जिलों की 19 विधानसभा सीटों में पांच बांदा की नरैनी, हमीरपुर की राठ, जालौन की उरई सदर, ललितपुर की महरौनी और झांसी की मउरानीपुर सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
दागियों पर खेला दांव
चौथे चरण की 53 सीटों पर चुनावी जंग लड़ रहे 680 प्रत्याशियों में 116 के खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इसमें दुष्कर्म, छेड़छाड़, हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण जैसे संगीन वारदात के मामले भी हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के 19 दागियों में 14 प्रत्याशी ऐसे हैं जिन पर दर्ज अपराध में पांच साल या उससे ऊपर सजा हो सकती है। जबकि सपा के 13, बसपा के 12, कांग्रेस के आठ, रालोद के नौ प्रत्याशी दागियों की सूची में शामिल हैं।
करोड़पतियों पर सियासत
चौथे चरण के चुनाव बसपा के 45, भाजपा के 36, सपा के 26 प्रत्याशी करोड़पति हैं। जबकि कांग्रेस के 17, रालोद के छह प्रत्याशी करोड़पति हैं। इस चरण में सबसे बड़े पूंजीपति चायल (सु.) के निर्दल प्रत्याशी सुभाष चन्द्रा हैं, उन्होंने 70 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। भाजपा के नंद गोपाल नंदी दूसरे नंबर पर हैं, जिन्होंने 57 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। बसपा के मसरूर अहमद, कांग्रेस की आराधना मिश्र उर्फ मोना तीसरे स्थान पर हैं, जिन्होंने 32 करोड़ की चल-अचल संपत्ति घोषित कर रखी है। टॉपटेन करोड़पतियों में सईदुररब, राकेश सिंह, संजय कुमार, दीप नारायण सिंह, अजय पाल सिंह और संगम लाल गुप्ता भी शामिल हैं।
22Feb-2017

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