बुधवार, 8 फ़रवरी 2017

यूपी चुनाव: फिर हाशिए पर हरित प्रदेश का मुद्दा!



रालोद ने किया पश्चिमी यूपी में हाईकोर्ट बैंच का वादा
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को हरित प्रदेश के रूप में अलग राज्य के मुद्दे पर पिछले करीब साढ़े तीन दशक से सियासत करती रहे राष्ट्रीय लोकदल ने एक बार फिर से इस मुद्दे को हाशिए पर धकेल दिया है। हालांकि रालोद ने अपने घोषणा पत्र में इस क्षेत्र के लिए हाईकोर्ट की बैंच स्थापित करने का वादा जरूर किया है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय लोकदल का सियासी गढ़ माना जाता रहा है। भले ही रालोद का पिछले लोकसभा चुनाव में यह सियासी किला धाराशायी हो गया हो, लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस सियासी जमीन पर वापसी करने के लिए अकेले दम पर चुनावी महासमर में कूदे रालोद ने अपने घोषणा पत्र में ‘खुशहाल उत्तर प्रदेश-हमारा संकल्प’ के शीर्षक में ‘सुखी किसान, स्वावलंबी नौजवान, आपका सम्मान’ नारे के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि समूचे सूबे को फतेह करने के इरादे से भरी-भरकम वादे किये हैं, जिनमें कृषि, सुशासन व प्रशासनिक सुधार, सामाजिक न्याय एवं जन योजनाएं, युवा नीति, बुनियादी ढांचा, उद्योग व व्यापार नीति के अलवा गंगा,यमुना व प्रमुख नदियों की सफाई और नदियों के घाटों के सौंदर्यकरण की प्राथमिकता जैसे सपने मतदाताओं के समक्ष रखें हैं। रालोद के 12 पृष्ठीय घोषणा पत्र में ‘हरित प्रदेश’ का वह मुद्दा वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव की तरह ही गायब है, जबकि इसी मुद्दे को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद के सियासी गढ़ का निर्माण हुआ था। पिछले चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के कारण इस मुद्दे को अलग रखने के तर्क दिये गये थे, लेकिन इस बार तो रालोद अकेले दम पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश ही नहीं समूचे प्रदेश को लक्ष्य बनाकर चुनाव मैदान में है।
रालोद का रहा मुख्य मुद्दा
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को ‘हरित प्रदेश’ बनाकर अलग राज्य का दर्जा देने की यह मांग कोई नई नहीं है, बल्कि यह मांग पिछले करीब साढ़े तीन दशक पुरानी है। इसी मुख्य मुद्दे के सहारे सहारे रालोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासत करता रहा है। जहां तक रालोद के कृषि और किसानों की समस्या का सवाल है उसके लिए तो भाजपा, कांग्रेस, सपा व बसपा भी चुनाव मैदान में है। यूपी के हर सत्तारूढ़ दल ने चुनावों से पहले हमेशा ही किसानों के हित और गन्ने के दाम बढ़ाने और अन्य समस्या का चुनावी पैंतरा फेंकने का काम किया है। लेकिन हरित प्रदेश का मुद्दा केवल रालोद के नाम होने के कारण चौधरी अजित सिंह के रालोद पर हरित प्रदेश के मुद्दे को दरकिनार करने पर सवालिया निशान लगना स्वाभाविक है।
हाईकोर्ट बैंच भी बड़ा मुद्दा
रालोद ने सत्ता में आने पर सुशासन और प्रशासनिक सुधार के तहत हाईकोर्ट के विकेन्द्रीकरण करने की जरूरत बताते हुए पश्चिम उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड व पूर्वांचल में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना करने का वादा किया है। हालांकि अस्सी के दशक से हाईकोर्ट की बैंच की मांग को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता शनिवार को काम नहीं करते। इस मुद्दे को रालोद ने अपने प्रमुख चुनावी मुद्दे में शामिल किया है। रालोद के हरित प्रदेश के मुद्दे से किनारा करने का फायदा बसपा उठाने की फिराक में है, जिसने यूपी की सत्ता में रहते हुए प्रदेश को चार भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव विधानसभा में पारित किया था। हालांकि रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह भी खुद हरित प्रदेश की वकालत करते हुए दूसरे राज्य पुनर्गठन आयोग गठित करने की मांग करते रहे हैं।

हाईकोर्ट बैंच का पेंच
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए वैसे तो यूपी में रही सरकार का नेतृत्व करने वाले दल भी वकालत करते रहे हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने केंद्र सरकार को आज तक ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। दरअसल इस मुद्दे पर बड़ा पेंच फंसा हुआ है। मसलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के वकील इलाहाबाद हाई कोर्ट की बैंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाने के लिए कई दशक से मांग करते आ रहे हैं जिसके लिए वकीलों ने आंदोलन भी किये, लेकिन पूर्वी प्रदेश के वकील राज्य में लखनऊ में हाईकोर्ट बैंच का हवाला देकर अन्य क्षेत्र में हाईकोर्ट बैंच का खुलकर विरोध करते आ रहे हैं। जिसका नतीजा है कि चाहते हुए भी राज्य सरकार ऐसा प्रस्ताव केंद्र तक नहीं भेज पाई है और यह केवल चुनावी मुद्दे तक ही सिमटकर रह जाता है।
राजनीतिक वजूद भी कम नहीं
देश आजाद होने के बाद से यूपी में अब तक 21 मुख्यमंत्री बने हैं, जिनमें से चौधरी चरण सिंह, बनारसी दास गुप्त, राम प्रकाश गुप्ता,कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और मायावती पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही संबन्ध रखते हैं, चौधरी नारायण सिंह जैसे कई नेता राज्य में उप मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी इसी क्षेत्र से संभाल चुके हैं।
सर्वाधिक खुशहाल इलाका
पश्चिमी उत्तर प्रदेश को आंकड़ों के हिसाब से देखें तो राज्य का यह इलाका हर दृष्टि से प्रदेश के अन्य हिस्सों से कहीं आगे है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने के अलावा औद्योगिक प्रधान भी है। यहां कुल 7,265 औद्योगिक इकाइयां हैं, वहीं कृषि उत्पादन भी 25.2 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। प्रति व्यक्ति सालाना आय 17,083 रुपये है। यह आंकड़ा प्रदेश के बाकी क्षेत्रों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। इस लिए उत्तर प्रदेश में यह सर्वाधिक खुशहाल इलाका माना जाता है।
08Feb-2017

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