रविवार, 12 फ़रवरी 2017

केन-बेतवा लिंक परियोजना-बुंदेलखंड इलाके का बनेगी वरदान

इतिहास के मुहाने पर केन-बेतवा परियोजना
-ओमप्रकाश पाल
मोदी सरकार द्वारा नदियों को आपस में जोड़ने वाली पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की महत्वाकांक्षी ‘नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना’ को इतिहास के मुहाने पर पहुंच गई है। इस साल मार्च से पहले ही मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के लिए वरदान साबित होने वाली इस परियोजना शुरू होने की संभावना है। देश में सूखे और बाढ़ तथा जल संकट जैसी समस्या की चुनौती से निपटने की दिशा में मोदी सरकार की 9393 करोड़ रुपए की केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को ‘हरित पैनल’ और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है, जो आमतौर पर हरित पैनल की सिफारिशों पर अपनी मंजूरी देती है। वहीं एआईबीपी के तहत केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के वित्त पोषण के प्रारूप में केद्र व राज्यों की फंडिंग के अनुपात 60-40 में संशोधन करने चली आ रही जददोजहद पर भी एआईबीपी के तहत 90-10 प्रतिशत निर्धारित हाने से हाल ही में विराम लग चुका है। मसलन इस परियोजना की केवल औपचारिकता ही पूरी होनी हैं। उम्मीद है कि केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना के औपचारिक निर्माण कार्य को शुरू करने का ऐलान कर सकती हैं।
बुंदुंदेलेलखंडंड का वरदान साबित होगेगी परियोजेजना
देश के लिए इतिहास रचने के मुहाने पर खड़ी केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके की 6.35 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई और पेयजल की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। मसलन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का
मार्ग प्रशस्त हो सकेगा, जिन्हें पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी। मसलन इस परियोजना के दायरे में 13.42 लाख जनसंख्या को 49 मिलियन क्यूबिक मीटर पेयजल की उपलब्धता से लोगों की प्यास भी बुझेगी। मंत्रालय के अनुासर इस परियोजना के तहत 1700-1700 मिलियन घन मीटर पानी मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस परियोजना से जहां मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ एवं पन्ना जिले की 3,69,881 हेक्टेयर भूमि, तो वहीं उत्तर प्रदेश के महोबा, बांदा व झांसी जिले की 2,65,780 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई क्षमत में वृद्धि होगी, जिसमें झांसी जिले की 6,35,661 हेक्टेयर कृषि भूमि भी शामिल है। मध्य प्रदेश के प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे, जिसमें पांच आंशिक रूप से और 7 गांव पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे। वहीं परियोजना से प्रभावित क्षेत्र व परिवारों के पुनर्वास और आर्थिक रूप से बसाने जिसमें प्रशिक्षण और कालोनियों के लिए भूमि प्रदान के लिए 213.11 करोड़ रुपए की वित्तीय आवश्यकता होगी। केंद्र सरकार इन परियोजनाओं में पेयजल के अलावा सिंचित भूमि, असिंचित भूमि, कृषि उत्पाद और उनके बाजार सहित देश की कृषि भूमि का विस्तृत अध्ययन को आधार बना रही है।
लिंकं नहर बनाने का प्रस्ताव
इस केन-बेतवा परियोजना के तहत लिंक नहर बनाई जाएगी, जिसमें दो किलोमीटर की सुरंग भी बनेगी। यह लिंक नहर मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और उत्तरप्रदेश के महोबा, झांसी जैसे जिलों से होगर गुजरेगी। इसमें छोड़ेजाने वाले पानी के उपयोग के बाद भी केन नदी से बेतवा नदी को पानी देने का प्रस्ताव है। बरसात में केन नदी से आने वाले पानी को रोकने के लिए खजुराहो के निकट गंगऊ वियर से ढाई किलोमीटर दूर दौधन बांध बनेगा। 77 मीटर ऊंचे इस बांध की क्षमता 2953 मीट्रिक घन मीटर होगी। बांध पर 78 मेगावाट क्षमता की दो विद्युत उत्पादन इकाइयां भी स्थापित होंगी। इनमें एक उत्पादन इकाई बांध पर और दूसरी दो किलोमीटर दूर बनने वाली सुरंग के पास स्थापित होगी। यहां से आने वाला पानी बरुआ सागर झील में मिलने के बाद बेतवा नदी में पहुंचेगा। परियोजना के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा।
परियोजना को लेकर चिन्ता भी कम नहीं
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना को वन्य जीव बोर्ड द्वारा मंजूरी मिलने पर 105 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले बाघों के रहवास स्थल को प्रत्यक्ष नुकसान होने पर गहरी चिन्ता जताई है। प्राधिकरण का कहना है कि इस रहवास क्षेत्र के घोसलों में रहने वाले गिद्ध, चील आदि पक्षियों को तो नुकसान पहुंचेगा ही, अन्य वन्य जीवों को भी खतरा उत्पन्न होगा। जबकि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती कहती आ रहीं हैं कि स पयिोजना से प्रकृति और किसी भी जीव-जंतु को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। पन्ना टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर विवेक जैन की माने तो केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से टाइगर रिजर्व को नुकसान होना तय है। इसके दुष्प्रभाव से बचाव के उपाय स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड और नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड के अध्ययन के आधार पर तय किए जा रहे हैं। यह पीटीआर के स्तर पर होना संभव नहीं है। बाघिन टी-6 डोढ़न बांध के डूब क्षेत्र वाले इलाके में ही रह रही है। दूसरे बाघों की तरह स्थान भी बदलती रहती है। जबकि केन-नदी नदी जोड़ो परियोजना को लेकर नेशनल बोर्ड फार वाइल्ड लाइफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इलाके में केवल एक बाघिन का रहवास है जबकि पार्क प्रबंधन डूब क्षेत्र में 13 बाघ-बाघिनों की मौजूदगी की पुष्टि कर रहा है। टाइगर रिजर्व के सूत्रों के अनुसार इस क्षेत्र में वर्तमान में बाघ टी-411, टी-412, टी-431, टी-432 और टी-433 का आवास है। इसके साथ ही बाघिन टी-6 अपने चार शावकों के साथ और बाघिन टी-213ध्22 अपने दो शावकों के साथ भी इसी क्षेत्र में रह रही है।
यहां से बहती है केन-बेतवा
केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर उत्तर कीे ओर बढ़ने के बाद बांदा जिले में यमुना में मिलती है। बेतवा नदी मध्यप्रदेश के राससेन जिले से निकलकर 576 किलोमीटर बहने के बाद उत्तरप्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिलती है। इन दोनों की सहायक नदियों पर पहले से ही कई बांध बने हुए हैं।
फास्ट ट्रैक पर होगी परियोजना
क्ेन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर केंद्रीय मंत्री उमा भारती इतनी उत्साहित है कि उनका मंत्रालय इस केन-बेतवा परियोजना को फास्ट्र ट्रैक पर शुरू करने की तैयारी में है। इस परियोजना के शुरू होने से मोदी सरकार की ऐसी 30 नदी जोड़ने वाली परियाकजनाओं का मार्ग भी प्रशस्त हो जाएगा।
राष्ट्रीय मॉडल तैयार
हाल में राष्ट्रीय विकास अभिकरण नई दिल्ली ने परियोजना का मॉडल पहले ही तैयार कर लिया है। 18-20 फीट के इस मॉडल को अक्टूबर माह में ही झांसी लाया जा चुका है। झांसी में इस मॉडल को राजघाट कालोनी स्थित नदी बेतवा परिषद कार्यालय प्रांगण में जन मानस के अवलोकनार्थ रखा गया है। संबंधित विभाग के अफसरों ने भी परियोजना का शिलान्यास नए साल की शुरूआत में करने व काम मार्च 2017 से पूर्व चालू होने की उम्मीद जताई है।
रडार पर कई परियोजना
मोदी सरकार ने देश में नदियों को आपस में जोड़ने की 30 परियोजनाओं को रडार पर रखा हुआ है। मसलन सरकार केन-बेतवा के बाद अंतरराज्यीय नदी जोड़ो परियोजनाओं के तहत दमनगंगा-पिंजल तथा पार-तापी-नर्मदा संपर्क परियोजना होंगी। मंत्रालय की गठित विशेषज्ञ समिति इनकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की स्थिति, महानदी-गोदावरी का प्रणाली अनुकरण अध्ययन, नदियों को जोड़ने के लिए नदी बेसिन में सुरक्षित जल भंडार, अंतर राज्य संपर्क प्रस्तावों की स्थिति तथा राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी के नवीनीकरण जैसे विषयों पर की समीक्षा भी कर चुकी है।
तय होगी ‘अतिरिक्ता जल’ की परिभाषा
केन-बेतवा की तर्ज पर ही ‘नदियों को आपस में जोड़ने’ की परियोजना को आगे बढ़ा रही मोदी सरकार अन्य परियोजनाओं को पटरी पर लाने के लिए राज्यों के साथ सहमति बनाने की कवायद में जुटी है। इसी मकसद से राज्यों के साथ बाधक बन रहे विवाद खत्म करने के लिये सरकार नदियों के ‘अतिरिक्ता जल’ की परिभाषा तय करने पर भी काम कर रही है। इस संबन्ध में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती विशेष समिति की बैठकों में समय-समय पर राज्यों के संबन्धित मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मंथन करती आ रही हैं, ताकि तथ्यों का आकलन करने के लिए व्यापक विमर्श कर इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जा सके और विवादित मामलों को समाप्त करके नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं में तेजी लाई जा सके।

12Feb-2017

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