गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

यूपी:कुबेरों व दागियों के भरोसे सियासी दल

ईवीएम में कैद हुआ 558 धनकुबेरों व 275 दागियों का भविष्य
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उत्तर प्रदेश की 17वीं विधानसभा के गठन के लिए हो रहे चुनावों में सभी दलों ने इस बार दागियों व करोड़पतियों को प्रत्याशी बनाकर अपना-अपना दांव खेला है। यूपी के पहले दो चरण में 1560 प्रत्याशियों का भाग्य ईवीएम में कैद हो चुका है। इनमें 275 प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि आपराधिक है, तो वहीं 558 धनकुबेर प्रत्याशी भी शामिल हैं। ऐसे नेताओं को प्रत्याशी बनाने में बहुजन समाज पार्टी सबसे आगे चल रही है।
देश की राजनीतिक दिशा तय करने वाले उत्त्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर सात चरणों में पहले दो चरणों का 140 सीटों पर चुनाव समाप्त हो चुका है, जिसमें भाजपा, बसपा, रालोद, सपा-कांग्रेस गठबंधन तथा विभिन्न छोटे दलों के प्रत्याशियों समेत 1560 उम्मीदवारों की किस्मत के फैसले को सूबे की जनता ने ईवीएम में कैद कर दिया है। दिलचस्प बात है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के इस शोर में सभी राजनीतिक दल कानून व्यवस्था को लेकर एक दूसरे पर निशाना साधने से बाज नहीं आ रहे हैं और सभी दल अपने आपको गरीबों का रहनुमा बना कर भी पेश कर रहे हैं, इन सियासी दलों की हकीकत इससे कहीं उलट है। मसलन यूपी की सत्ता पर काबिज होने के स्वार्थ में चुनावी जंग जीतने की होड़ में हमेशा चुनाव सुधार के लिए अपराधमुक्त राजनीति की दुहाई देने वाले किसी भी राजनीतिक दल ने अपराधियों और करोड़पतियों को चुनावी पटरी पर अपना सहारा बनाने में तनिक भी हिचक नहीं की है। यही नहीं आगामी 19 फरवरी को तीसरे चरण में 12 जिलों की 69 सीटों पर हाने वाले चुनाव के लिए सियासी जंग में कूदे 826 उम्मीदवारों में से 114 दागी और 250 करोड़पति प्रत्याशियों की फेहरिस्त सामने आई है, इसमें भी बसपा, भाजपा, सपा, कांग्रेस,रालोद ने ऐसे प्रत्याशियों पर दांव खेला है।
इन दागियों पर सियासी दांव:
यूपी चुनाव के पहले दो चरणों में जिन 275 आपराधिक प्रवृत्ति वाले प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला होना हैं, उनमें 227 नेता ऐसे हैं,जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, लूट, डकैती, बलात्कार, अपहरण, अवैध वसूली जैसे संगीन अपराध करने के आरोपों में मामले अदालतों में विचाराधीन हैं। ईवीएम में बंद हुए दागी प्रत्याशियों की फेहरिस्त में सबसे ज्यादा 53 प्रत्याशियों के साथ बसपा पहले पायदान पर है, जबकि दूसरे नंबर पर चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे 499 में से 51 निर्दलीय उम्मीदवार हैं। पहले दो चरणों में भाजपा ने 45, सपा ने 36, रालोद ने 25 और कांग्रेस ने एक दर्जन दागियों पर अपना चुनावी दांव खेला है। जबकि संगीन अपराधिक पृष्ठभूमि वाले 227 में हालांकि सर्वाधिक 46 प्रत्याशी निर्दलीय हैं, लेकिन राजनीतिक दलों में सर्वाधिक बसपा के 43 प्रत्याशी अपनी किस्मत ईवीएम में बंद करा चुके हैं। इस श्रेणी के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारने के लिए भाजपा ने 32, सपा ने 30, रालोद ने 21 तथा कांग्रेस ने चार नेताओं को अपने-अपने टिकट पर चुनाव लड़ाया है। खास बात यह है कि संगीन अपराध वाले प्रत्याशियों में 21 पर हत्या, 57 पर हत्या का प्रयास, दस पर महिलाओं के प्रति अपराध और नौ प्रत्याशियों के खिलाफ अपहरण के मामले दर्ज हैं।
धनकुबेरों की सियासत:
उत्तर प्रदेश की विधानसभा में दाखिल होने के लिए करोड़पतियों ने भी चुनावी दंगल में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया है। पहले चरण में 73 सीटों पर 836 उम्मीदवारों में से 302 यानि 36 फीसदी, तो बुधवार को संपन्न हुए दूसरे चरण के चुनाव में भी 721 प्रत्याशियों में 36 फीसदी यानि 256 करोड़पति प्रत्याशी चुनावी महासंग्राम का हिस्सा बने। दोनों चरणों के चुनाव में बसपा ने सबसे ज्यादा 124, भाजपा ने 111, सपा ने 85, रालोद ने 56 व कांगे्रस ने 31 धनकुबेरों को प्रत्याशी बनाया। जबकि 79 निर्दलीय प्रत्याशियों की फेहरिस्त में शामिल रहे।

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