बुधवार, 1 जून 2016

पटरी पर ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना’

 सड़क हादसों को रोकने की खास कवायद
दो हजार करोड़ रुपये से सुरक्षित होंगी सड़के
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
दुनियाभर में भारतीय सड़कों पर सबसे ज्यादा हादसों के कारण हो रही मौतों के खतरनाक तमगे को उतारने के लिए अब ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना’ तैयार की है, जिसके लिए दो हजार करोड़ रुपये का बजट तय कर लिया है। इस योजना को जल्द ही पटरी पर उतारकर पहले हाइवे के खतरनाक जगहों के चिन्हित किये गये खराब डिजाइन और रोड़ इंजीनियरिंग को दुरस्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
दुनिया की सबसे खतरनाक सड़कों में शुमार होती भारतीय मार्गो की चिंता को दूर करने के लिये सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पीएम मोदी के निर्देश पर प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना का खाका तैयार किया है, जिसके लिए फिलहाल दो हजार करोड़ की धनराशि का बजट तय किया गया है। मंत्रालय के अनुसार इस सड़क योजना को जल्द ही पटरी पर उतारा जाएगा। सरकार ने इसके लिए 2000 करोड़ रुपए का फंड निर्धारित किया है। मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत सबसे पहले नेशनल हाइवे पर चिन्हित ऐसी खतरनाक जगहों की छंटनी होगी, जहां खराब डिजाइन और रोड इंजीनियरिंग के कारण ज्यादा हादसे होते हैं होती हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित सड़क योजना के तहत केंद्रीय सड़क मंत्रालय ने राज्य सरकारों से भी ऐसी जगहों की सूची मांगी है, जहां दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ही देशभर में विभिन्न राज्यों की मदद से मिले आंकड़ो के आधार पर ऐसे 796 ब्लैक स्पॉटÞस चिन्हित किये हैं, जहां पर ज्यादा दुर्घटनाएं होती रही हैं। मंत्रालय का कहना है कि यह खास योजना सरकार की नेशनलन एक्शन प्लान के अनुसार होगी, जिसमें वर्ष 2020 तक सड़क हादसों में होने वाली मौतों को कम से कम 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य तय किया गया है।
पहाड़ी इलाकों पर खास फोकस
मंत्रालय के अनुसार पीएम मोदी की इस खास योजना में पहाड़ी इलाकों पर खास फोकस करते हुए योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है, जहां आये दिन वाहनों के खाई में गिरने से लोगों को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ रही है। इसके लिए पहाड़ी इलाकों में जहां-जहां खाई होगी, वहां सड़क के किनारे मजबूत आधार बनाते हुए रेलिंग लगाने की योजना है। पहाड़ी इलाकों में ऐसी जगहों छंटनी कर ली गई है, जहां ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं और खाई में वाहनों के गिरने की दर्दनाक घटनाएं होती हैं। सरकार पहाड़ी इलाकों की सड़को को सुरक्षित करने के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी की भी मदद से स्पेशल रिμलेक्टर्स बनाने का भी निर्णय लिया है। इस योजना में पुराने रिμलेक्टर्स को भी नये और कारगर डिजाइन लाने की योजना है। सरकार के एक आंकड़े के अनुसार पहाड़ी इलाकों के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र समेत 13 राज्यों में 83.6 फीसदी सड़क हादसों में ज्यादा मौते हो रही हैं।
वाहनों के सुरक्षा मानको पर नजर
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्र सरकार उन कार मॉडल को भी स्टार सर्टीफिकेशन देने का निर्णय ले चुकी है, जो सुरक्षा मानकों को पूरा करेगी। इसके लिए भारत नेशनल कार एसेसमेंट प्रोग्राम नामक एक खास एजेंसी का इजाद किया गया है, जो भारत में बेचे जाने वाले वाहनों के सुरक्षा मानकों पर नजर रखने के बाद उन्हें सर्टिफिकेट जारी करेगी। इसमें सरकार दो पहिया वाहनों के निर्माण में भी सुरक्षा मानकों की सीमा तय करने की योजना बना रही है, जो ज्यादातर हो रहे सड़क हादसों का कारण बने हुए हैं। इसके लिए मंत्रालय ने कुछ नियम भी जारी कर दिये हैं, जिनके अनुसार कारों के अलावा स्कूटर और मोटरसाइकिल में दिन में जलने वाली आॅटोमैटिक लाइट पर अंकुश लगाने का प्रयास है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर इस तकनीकी नियमों को भारी कॉमर्शियल वाहनों यानी बस व ट्रक चलाने वालों के लिए अनिवार्य करने पर सुझाव मांगे हैं।
01June-2016

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