गुरुवार, 9 जून 2016

अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा ऐसे तय करेगी सरकार!


भू-स्थानिक डेटा नियमन पर विधेयक का मसौदा तैयार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
अंतर्राष्टÑीय सीमाओें की सुरक्षा, संप्रभुता और देश की अखंडता को सुनिश्चित करने की दिशा में केंद्र सरकार ने 'भू-स्थानिक सूचना नियमन विधेयक’ यानि जिओस्पेशियल इंफॉर्मेशन रेगुलेशन बिल का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे अगले मानसून सत्र में पारित कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।
मोदी सरकार भारतीय भू-क्षेत्र की वास्तविकता को दर्शाने के लिए खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों की भारतीय भूमि पर तीखी नजर को रोकने के इरादे से यह कदम उठा रही है। केंद्र सरकार के इस दिशा में उठाये गये कदम में एक विधयेक के तहत देश में भू-स्थानिक डाटा के विनियमन हेतु एक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। इसका मकसद और सरकार की प्राथमिकता यही है कि अंतर्राष्टÑीय सीमाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जाये और भू-स्थानिक डेटा को विनियमित किया जा सके। मसलन एक उपयुक्त नीतिगत ढांचा राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किए बिना भू-स्थानिक उद्योग पनपने में मदद देगा। उद्योग भी उचित योजना बनाने, निगरानी और सरकार की विकास परियोजनाओं के निष्पादन के अलावा जनता के धन के अधिक कुशल उपयोग की सुनिश्चित बनाने में भी सक्षम होगा। वहीं दूसरी ओर इस विधेयक के मसौदे में सरकार की अमृत, स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया आदि सरकार की फलैगशिप जैसी परियोजनाओं में उद्योगों की भागीदारी की परिकल्पना भी की गई है, जिनमें इनके उद्देश्यों को पूरा करने हेतु आधुनिक तकनीको का प्रयोग किया जा सकेगा। सरकार का मानना है कि सार्वजनिक, निजी और सार्वजनिक-निजी भागीदारी परियोजनाओं के लिए एक अधिक कानूनी और समयबद्ध ढंग से भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों से लाभ लेने लिए अनुमति देने व इस क्षेत्र को विनियमित करने के लिए एक नीतिगत ढांचे और दिशा निदेर्शों की जरुरत थी।
दायरे में होंगे आम नागरिक
सूत्रों के अनुसार इस विधेयक के दायरे में केवल सुरक्षित और प्रामाणिक भू-स्थानिक जानकारी तैयार की जाती है, तो ऐसे में इसे इस क्षेत्र में काम कर रहे एजेंसियों द्वारा विस्तार दिया जा सकता है। मसलन जब नियम सुनिश्चित करते हैं, तो इस अत्याधुनिक युग में एक आम आदमी की लोकेशन-इनेबल्ड उपकरणों और स्मार्टफोन, कैमरा, आॅनलाइन शॉपिंग और नेविगेशन एप्स का प्रयोग को भी इस विधेयक के मौजूदा प्रावधानों के तहत जांच के दायरे लाया जा सकता है, क्योंकि यह मसौदा विधेयक पूर्वव्यापी भू-स्थानिक डेटा को विनियमित करता है। सूत्रों के अनुसार इस खंड में इस पूर्वव्यापी पुनरीक्षण के लिए शुल्क की बात कही गई है, जिससे पता चलता है कि अनुमति बनाए रखने और डेटा के उपयोग से इनकार किया जा सकता और डेटा को वापस देना या नष्ट करना पड़ेगा। यह क्रियान्वित किए जा रहे व्यवसायों और परियोजनाओं पर गंभीर असर डालेगा, जो दंड और नुकसान में बढ़ोतरी का कारण बनेगा।
फिक्की ने की ये सिफारिशें
देश की प्रमुख उद्योगिक संस्था फिक्की ने सरकार खासकर गृह मंत्रालय के भू-स्थानिक सूचना लेने के लिए उठाये जा रहे इस कदम को देश की सुरक्षा, संप्रभुता और देश की अखंडता की दृष्टि से महत्वपूर्ण करार दिया। इसके बावजूद फिक्की ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि देश की भू-स्थानिक जानकारी के अधिग्रहण के मुद्दे पर 'पंजीकरण' को 'लाइसेंस' से बदलकर एक 'भू-स्थानिक डेटा पंजीकरण पोर्टल' बनाया जाना चाहिए। वहीं मसौदा विधेयक में विशेष रूप से अधिग्रहण, भंडारण, प्रसार और डेटा के वितरण जैसे पहलुओं पर ध्यान देकर ऐसे प्रावधान करने जरूरी है, जिसमें उद्योग के विकास और आम नागरिकों के लिए इस प्रौद्योगिकी के लाभ में प्रतिकूल असर न पड़े। वहीं अपराधों और दंड के बारे में सिफारिश की गई है कि भारतीय भू-क्षेत्र और सीमाओं को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदारों को चेतावनी या नोटिस देने का प्रावधान होना चाहिए। इसलिए देश निर्माण और राहत प्रयासों में ऐसी बाधाओं को रोकने की दिशा में ड्राμट विधेयक को सही दिशा में जाने हेतु कुछ अनुच्छेदों व प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। इसके अलावा फिक्की ने सुझाव दिया है कि भू-स्थानिक डेटा (विशेष रूप से गैर संवेदनशील डेटा) का निर्विघ्न प्रसार सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रिया और दिशा निर्देश होने चाहिए। इस विधेयक को केवल संवेदनशील डेटा अर्थात प्रशासनिक सीमाओं, प्रतिबंधित क्षेत्रों और ध्यान देने योग्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उपयोग के वास्तविक स्थान के बजाय रीयल टाईम डेटा को पुनरीक्षण के लिए सिस्टम से बाहर निकालकर इस डेटा को तैयार करने वाले एजेंसियों को भेजना व्यावहारिक नहीं होगा।
विधेयक में गोपनीयता का भी प्रावधान
विभिन्न संस्थाओं के बीच डेटा को बेरोकटोक साझा करने और व्यवसायों और व्यक्तियों के लिए डेटा के लिए त्वरित पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक नियामक संस्था 'भू-स्थानिक सूचना नियामक प्राधिकरण' बनाने पर विचार कर सकती है। सरकार महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की एक सूची प्रदान कर सकती है या एक विशेष प्रकृति के प्रतिष्ठानों के लिए व्यापक दिशा निर्देश प्रदान कर सकती है, जिन्हें छिपाए रखने की जरुरत है। ऐसी व्यवस्था बनाए रखने और सही अंतरराष्ट्रीय सीमा के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए आदर्श परिदृश्य होगा कि सरकार सभी पंजीकृत संगठनों को सभी प्रकाशनों के लिए हाई रिज्यूलशन नक्शे प्रदान कराए। इसके अलावा पुनरीक्षण को मूल नक्शों तक सीमित रखना चाहिए और इसे मूल्य वर्धित उत्पादों और सेवाओं पर लागू नहीं किया जाना चाहिए। ऐसी स्पष्टता सरकार के निर्धारित दिशा निदेर्शों के अनुरूप नक्शे तैयार करने और भू-स्थानिक जानकारी तैयार करने में सामग्री रचनाकारों के लिए मददगार होगी। पूरी तरह मास्किंग के बजाय, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को 'सरकारी इमारत' या एक आम पहचान के रूप में नामित किया जा सकता है।
09June-2016

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