बुधवार, 8 जून 2016

केन-बेतवा परियोजना में देरी से खफा उमा भारती!

पर्यावरणीय मंजूरी में देरी पर कर सकती है अनशन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की अटल सरकार की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना को आगे बढ़ाने में पर्यावरण मंत्रालय की वन्यजीव समिति रोड़ा बन गई है, जिसने लगभग तैयार हो चुकी केन-बेतवा परियोजना की मंजूरी देने को तैयार नहीं है। इस कारण परियोजना में हो रही देरी से खफा केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमाश्री भारती ने चेतावनी दी है कि यदि बुंदेलखंड के लाखों लोगों के हितों की रक्षा करने वाली इस परियोजना में अब कोई अड़चन आई तो वह अनशन पर बैठ जाएंगी।
मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर अपने मंत्रलालय की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए मंगलवार को सुश्री उमा भारती ने अपने सरकारी आवास पर एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया। इस दौरान जब नदी जोड़ो परियोजना में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की केन-बेतवा नदी जोड़ने की परियोजना का जिक्र आया तो उमा भारती पर्यावरण मंत्रालय की एक स्वतंत्र वन्यजीव समिति द्वारा मंजूरी न दिये जाने से आहत नजर आई। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा परियोजना लगभग तैयार है, लेकिन इस समिति द्वारा पर्यावरणीय मंजूरी न देकर देरी की हुई है। इसके लिये उन्होंने चेताया कि यदि बुंदेलखंड के लोगों की खुशहाली लाने वाली इस परियोजना में आगे विलंब किया गया तो वह जनता को साथ लेकर अनशन पर बैठ जाएंगी। समिति द्वारा इस परियोजना को मंजूरी को लटकाने को एक राष्ट्रीय अपराध करार दिया है और कहा कि क्षेत्र की जनता इस परियोजना को शुरू होने का इंतजार कर रही है, लेकिन इस समिति में शामिल पर्यावरणविद्, विशेषज्ञ और कुछ पूर्व नौकरशाह क्षेत्र की जनता की खुशहाली पर कुंडली मारकर बैठे है।
पर्यावरण मंत्री से कोई विवाद नहीं
केन-बेतवा परियोजना में पर्यावरणीय मंजूरी ने मिलने पर पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को लेकर उमा भारती ने कहा कि उनसे कोई टकराव नहीं है और वह भी इस समिति की कार्यशैली को लेकर हतप्रभ हैं, जिसके कारण मोदी सरकार के विकास के कार्य लटके हुए हैं।
सत्तर लाख लोगों को मिलेगा पानी
उमा भारती ने कहा कि इस परियोजना के शुरू होने से मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में जल संकट से जूझ रहे बुंदेलखंड क्षेत्र के 70 लाख लोगों की खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होगा, जिन्हें पर्याप्त पानी, फसलों की सिंचाई और रोजगार की समस्या से भी निजात मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के आगे बढ़ने से अन्य 30 नदी जोड़ो परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
क्या है सरकार का तर्क
उमा ने कहा कि पिछले काफी समय से इस परियोजना को वन्यजीव समिति की मंजूरी नहीं मिल पाई है जबकि मंत्रालय ने हर एक बिन्दु को स्पष्ट कर दिया है, उस क्षेत्र में सार्वजनिक सुनवाई पूरी हो चुकी है। नदी जोड़ो परियोजना नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है और इसे पूरा किया जायेगा। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना से जुड़े बांध की ऊंचाई कम करने के बारे में एक सवाल के जवाब में उमा ने कहा कि ऊंचाई के विषय पर कोई समझौता नहीं होगा।
सरकार गिद्ध और टाइगरों को बचाएगी
उमा भारती ने कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र में पन्ना रिजर्व से संबन्धित जीवों बाघ एवं गिद्धों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की इस परियोजना प्राथमिकता तय की है, लेकिनं कुछ पर्यावरणविदों की आपत्तियां बेबुनियाद हैं। पर्यावरणविदों पर निशाना साधते हुए उमा ने कहा कि अगर इनको पर्यावरण की चिंता है, तो चिड़ियाघरों पर आपत्ति क्यों नहीं उठाते और जनता के हितों को क्यों कुचलना चाहते हैं। चिड़ियाघरों की जरूरत क्या है?
यूपी व एमपी में खत्म होगा जल संकट
केंद्र सरकार की केन-बेतवा परियोजना पूरी होने से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा, जहां सूखे और बाढ़ की समस्या से लोग बेहाल हैं। मसलन केंद्रीय जल संसाधन की केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना की डीपीआर पर नजर डाली जाए तो इस परियोजना के पूरा होने से उत्तर प्रदेश को केन नदी का अतिरिक्त पानी देने के बाद मध्य प्रदेश करीब इतना ही पानी बेतवा की ऊपरी धारा से निकाल लेगा। परियोजना के दूसरे चरण में मध्य प्रदेश चार बांध बनाकर रायसेन और विदिशा जिलों में सिंचाई का इंतजाम करेगा। इस प्रस्तावित जलाशय के डूब क्षेत्र में छतरपुर जिले के 12 गांव प्रभावित होंगे जिसमें पांच आंशिक रूप से और सात गांव पूर्ण रूप से। यहां पर दो बिजली संयंत्र भी बनाने का प्रस्ताव है। परियोजना के तहत 220 किलोमीटर लम्बी नहर भी निकालने की बात कही गई है जो मध्य प्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और उत्तर प्रदेश के महोबा, झांसी जैसे जिलों से गुजरेगी। यही नहीं परियोजना पूरा होने से यह नहर 60 हजार हेक्टेयर खेतों की सिंचाई हो सकेगी। इसमें पानी के उपयोग के बाद भी केन नदी से बेतवा नदी को पानी देने की बात कही गई है। डीपीआर के अनुसार पुनर्वास और आर्थिक रूप से बसाने का भी प्रावधान है, जिसमें प्रशिक्षण और कालोनियों के लिए भूमि प्रदान करने हेतु 213.11 करोड़ रुपए की वित्तीय व्यवस्था की गई है। केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन नदी जबलपुर के पास कैमूर की पहाड़ियों से निकलकर 427 किलोमीटर उत्तर की ओर बढ़ने के बाद बांदा जिले में यमुना में मिलती है। बेतवा नदी मध्य प्रदेश के राससेन जिले से निकलकर 576 किलोमीटर बहने के बाद उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में यमुना में मिलती है। इन दोनों की सहायक नदियों पर पहले से ही कई बांध बने हुए हैं। मध्य प्रदेश में वन्यजीव मंजूरी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि पन्ना टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा बांध के डूब क्षेत्र में आयेगा। इस परियोजना से 70 लाख लोगों को फायदा होगा, जबकि सात हजार लोग प्रभावित होंगे, जो दूसरी जगह जाने को तैयार हैं।
अन्य परियोजनाओं का भी खुलेगा रास्ता
उमा भारती के अनुसार केन बेतवा नदी जोड़ो परियोजना इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो देश की विभिन्न नदियों को आपस में जोड़ने की 30 योजनाओं का सपना आंख खोलने लगेगा। परियोजना को लेकर दो तरह के मत हैं जिसमें एक वर्ग का कहना है कि केन में अक्सर आने वाली बाढ़ से बरबाद होने वाला पानी अब बेतवा में पहुंचकर हजारों एकड़ खेतों में फसलों को लहलहायेगा। लेकिन यहीं सवाल उठता है कि क्या केन में इतना पानी है कि रास्ते में उपयोग के बाद अधिशेष पानी बेतवा को दिया जा सकेगा।
08June-2016



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