पाक-चीन को मोदी फोबिया
किसी
शायद ने कहा है-मरना इस जहॉ में कोई हादसा नहीं, इस दौर-ए-नागवार में जीना
कमाल है। यह कहावत ऐसे में सटीक चरितार्थ होती दिख रही है, जब दुनिया में
शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि नरेन्द्र मोदी के रूप में कोई प्रधानमंत्री
दुनिया को देश की ताकत का अहसास करा रहा है। तभी तो दुनिया के ताकतवर माने
जाने वाले अमेरिका की संसद में उन्हें इतना सम्मान मिला, जो अन्य किेसी
भारतीय प्रधानमंत्री को नहीं मिला होगा। मोदी के अमेरिका समेत कई देशों में
सम्मान से पडोसी पाकिस्तान और चीन को ईष्या होना स्वाभाविक है, जो सबसे
ज्यादा दुखी नजर आए। मोदी जैसे प्रधानमंत्री जिसने अमेरिका जैसे
देश की संसद में जैसे पूरी महफिल ही लूट ली हो, पर हर भारतवासी को गर्व का
क्षण महसूस होना लाजिमी है, लेकिन देश में ऐसे भी स्वार्थी लोग है जो
देशभक्ति का चोला पहनकर भारत की मोदी जैसे प्रधानमंत्री की ऐसी ऐतिहासिक
विदेश नीति और कूटनीति को लेकर पूरी तरह से हलकान है और दुश्मन देशों की
तर्ज पर आलोचना के साथ नकारात्मक सियासत करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
अमेरिका की संसद में प्रधानमंत्री मोदी के अंग्रेजी में दिये गये भाषण के
शब्दजाल ने दूसरे देशों को भी भारत के ताकतवर देश के आगे बढ़ने के जो संकेत
दिये है उसकी वजह से ऐसे देशों की नजरें भी भारत पर टिकने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका समेत पांच देशों की यात्रा में देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर
पर सकारात्मक सुर्खियों में आने पर सोशल मीडिया में भी तारीफों के पुल
बंधते देखे गये हैं। देश में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि नरेन्द्र
मोदी के रूप में भारत के ऐसे ऐतिहासिक क्षणों के कारण देश की बढ़ती ताकत को
देख सबसे ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस भी इस कदर दुखी नजर आ रही है कि वह
कोमे में जाने को तैयार है। मलसन कांग्रेस जैसी अपने आपको देशभक्त कहलवाना
पसंद करने वाले दल और उनके नेता आलोचनात्मक बयानबाजी करने से बाज नहीं आ
रहे हैं। विदेश नीतिकार और राजनीतिकार तो ऐसे में देश के बढ़ते कदम को लेकर
यही कहते नजर आ रहे हैं कि राष्ट्रीय संप्रभुता और अखंडता की मजबूती वाले
मोदी सरकार की नीतियों से दुखी और परेशान अथवा आलोचना या नफरत करने के बजाए
उन्हें मोदी जैसे प्रधानमंत्री की विदेश नीति और कूटनीति से यह सबक लेना
चाहिए कि स्वामी विवेकानंद के रूप में प्रधान सेवक बनकर नरेन्द्र मोदी
दुनिया की महफिल लूट कर देश का दुनिया में सम्मान कैसे बढ़ा रहा है?
अपने गिरेवान में झांको सीएम साहब
मोदी
सरकार के दो साल पूरे होने पर अखबारों में प्रकाशित विज्ञापनों को लेकर
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आदतन टिप्पणियां शुरू हुई ओर
मोदी सरकार पर जनता के पैसों की बर्बादी करने का ठींकरा फोड़ने का प्रयास
किया। ऐसी टिप्पणी करते हुए केजरीवाल शायद यह भूल जाते हैं कि जब किसी की
तरफ उंगली उठती है तो पांच में से ज्यादा यानि चार उंगलियां अपनी तरफ
गिरवान में झांकने का संकेत करती हैं। मसलन ऐसी टिप्पणी करने वाले केजरीवाल
यह भी भूल रहे हैं कि आॅड-ईवन फार्मूला दिल्ली में चलाया गया, जिसके
विज्ञापन पूरे भारत में करीब-करीब सभी राज्यों में प्रकाशित किये गये, जबकि
अन्य राज्यों में ऐसे प्रचार का कोई औचित्य नहीं था। ऐसे ही पंजाब में
केजरी के दिल्ली के विज्ञापनों के सहारे जाने का प्रयास किया जा रहा है।
पहले ही केजरी सरकार पर विज्ञापनों के रूप में जनता की उतनी रकम खर्च करने
का आरोप लग रहा है जितनी दिल्ली के विकास कार्यो पर भी खर्च नहीं की गई।
ऐसे में चर्चा यही है कि केजरी का ध्यान दिल्ली पर कम और देश पर ज्यादा है।
मसलन ऐसी कहावत को चरितार्थ करते नजर आ रहे हैं कि अपना घर तो ठीक हो नहीं
रहा और दूसरे के घरों को ठीक करने की जिम्मेदारी का ठींकरा दूसरो पर फोडना
चाहते हैं।
लड़कियां
किसी से कम नहीं हैं। बस उन्हें अपने सपनों को उड़ान देने का मौका मिलना
चाहिए। यह पंक्तियां हम सभी अक्सर सुनते रहते हैं। लेकिन भारत की तीन
प्रतिभावान बालिकाओं के नाम के साथ इससे भी बड़ा एक खिताब जुड़ने जा रहा है,
जिसमें वो जंग के मैदान में दुश्मन को ललकारती हुई नजर आएंगी। वायुसेना
द्वारा दी जा रही शुरूआती ट्रेनिंग मेंं यह तीन महिला पायलट पूरी तरह से
खरी उतरी हैं और अब जून के मध्य में इन्हें बल में कमीशन कर लिया जाएगा।
इसके बाद रणक्षेत्र में यह तीनों वायुसेना के लड़ाकू विमानों के साथ गरजती
हुई नजर आएंगी। इससे जंग के मैदान में भी बज उठेगा
बेटियों का डंका।
--ओ.पी. पाल व कविता जोशी
12June-2016

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