ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।


केंद्र
सरकार ने मानसरोवर यात्रा उत्तराखंड में घाटीअबागढ-लिपुलेख मार्ग के जरिये
कैलाश-मानसरोवर यात्रा के हिस्ससे के रूप में 75.54 किलोमीटर सड़क मार्ग के
निर्माण में तेजी लाने के दिशानिर्देश जारी किये हैं। इस मार्ग बीआरओ के
साथ रक्षा मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित निमार्णाधीन है। इस मार्ग की लंबाई
75.54 किलोमीटर है और यह मानसरोवर यात्रा मार्ग का हिस्सा है। सड़क मंत्रालय
के अनुसार इस मार्ग पर घाटीअबागढ़ से गुंजी तक 45 किमी के निर्माण पर सेना
की निगरानी में निर्माण कार्य चल रहा है और इस सड़क संपर्क मार्ग को
घाटीअबागढ़ की और 29वें किमी से लिपुलेख की ओर 62वें किमी तक विकसित कर लिया
गया है। निर्माण कार्य की प्रगति के बारे में मंत्रालय ने बताया कि
घाटीअबागढ़ की तरफ से कटान का काम शुरू कर दिया गया है और 2.90 किमी तक
पहुंच गए हैं। दस किमी मार्ग गत दिसंबर में पूरा करने के बाद अब दस किमी ओर
यानि 20 किमी तक के कार्य पूरा होने की स्थिति में है।
यहां इसलिए आई अड़चन
मंत्रालय
के अनुसार सैन्य विभाग के निर्देश के तहत लिपुलेख की ओर 62वें किमी से
75.54 किमी तक कटान का काम इसलिए शुरू नहीं किया जा सका है। सैन्य विभाग के
निर्देशानुसार इस टुकड़े पर तब तक काम शुरू नहीं हो सकता, जब तक घाटीअबागढ़
तक संपर्क हासिल न कर लिया जाये। हालांकि इस टुकड़े पर शुरूआती काम मार्च
2016 में करा लिया गया था और डीपीआर पर अब काम शुरू हो गया है। इस मार्ग इस
मार्ग पर काम में तेजी लाने के लिए बुधी यानि जीएल मार्ग पर 20वें किमी पर
25 गुणा 22 मीटर आकार के समतल क्षेत्र की पहचान कर ली गई है।
हेलीकॉप्टर पट्टी की योजना
मंत्रालय
के अनुसार एएलएच हेलिकॉप्टर के उतरने के लिए अप्रैल 2016 के दौरान परीक्षण
कराया गया था। वायुसेना ने इस भूखंड को विकसित करने के लिए अतिरिक्त
स्वीकृति दे दी है, जिस पर काम चल रहा है और एमआई-17 हेलिकॉप्टर के परीक्षण
की भी योजना है। इसके सफल रहने पर एयर लिμट के माध्यम से संसाधन पहुंचाए
जाएंगे।
उत्तराखंड के चारधाम
उत्तराखंड के चार
धाम की यात्रा के सफर की राह आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल
12 हजार करोड़ की सड़क परियोजना को मंजूरी दी थी। जिसके लिए निर्माण कार्य
जारी है। सड़क परिवहन मंत्रालय ने देहरादून से केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री
और यमनोत्री तक एक हजार किमी लंबे नए राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने
की योजना शुरू कराई है। इस परियोजना का मकसद है कि चार धाम यात्रा करने
वालों श्रद्धालुओं के आवागमन की समस्या का स्थायी समाधान करने की दिशा में
सरकार ने इन सभी तीर्थ स्थलों को आपस में नये राष्ट्रीय राजमार्ग जोड़ा
जाएगा। सरकार ने इस परियोजना को पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य तय
किया है।
22June-2016
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें