सात राज्यों में 27 सीटों पर चुनाव आज
विधान परिषद में क्रास वोटिंग से बढ़ी सियासी हलचल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा
की 16 राज्यों की 58 सीटों के लिए पहले 31 सीटों पर निर्विरोध निर्वाचित
होकर विभिन्न दलों के सदस्य राज्यसभा की दहलीज तक पहुंच चुके हैं। बाकी सात
राज्यों की 27 सीटों के लिए कल शनिवार को चुनाव होना है, जिनमें खासकर
यूपी और कर्नाटक में हुए विधानपरिषद के चुनाव में क्रास वोटिंग ने सियासी
हलचल को तेज कर दिया है।
राज्यसभा की पहले ही निर्विरोध निर्वाचत
सदस्यों में कांग्रेस को नुकसान देकर भाजपा बढ़त हासिल कर सकती है। उच्च
सदन में खासकर भाजपा व कांग्रेस की तरह अन्य राजनीतिक दलों की तमाम जोड़तोड़,
पैंतरेबाजी जैसी रणनीतियों का पटाक्षेप कल शनिवार को सात राज्यों उत्तर
प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक व झारखंड में
27 सीटों के लिए होने वाले मतदान और नतीजों के बाद हो जायेगा। वहीं
शुक्रवार को महाराष्ट व बिहार समेत चार राज्यों में हुए विधान परिषद के
चुनाव में क्रास वोटिंग होने से उत्तर प्रदेश की 11 और कर्नाटक की चार
सीटों पर राज्यसभा के शनिवार को होने वाले चुनाव के बिगड़ते गणित को देख
प्रमुख राजनीतिक दलों में खलबली मची हुई है। इस चुनाव का सामना करने वाले
दलों मे केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, निर्मला सीतारमन, चौधरी
वीरेन्द्र सिंह और मुख्तार अब्बास नकवी की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई
है, जबकि रेल मंत्री सुरेश प्रभु और ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल पहले ही
निर्विरोध चुने जाने से राहत की सांस ले चुके हैं।
यूपी में होगा दिलचस्प मुकाबला
राज्यसभा
की 11 सीटों पर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के कपिल सिब्बल का रास्ता रोकने
के लिए भाजपा ने अपने अधिकृत प्रत्याशी के अलावा एक निर्दलीय प्रत्याशी
प्रीति महापात्रा को चुनाव मैदान में उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया
है। दरअसल आज यूपी में 13 विधान परिषद की सीटों पर हुई क्रास वोटिंग ने
भाजपा व कांग्रेस की ही नहीं, बल्कि सपा और बसपा के साथ अन्य दलों की भी
नींद उड़ा दी है, जिसका असर शनिवार को राज्यसभा के चुनाव पर पड़ने की आशंका
बताई जा रही है। कांग्रेस के कपिल सिब्बल को बसपा के सरप्लस वोटों के अलावा
रालोद का सहारा ही उन्हें बचा सकता है।
हरियाणा
में राज्यसभा की दो सीटों में भाजपा की एक सीट तो तय है, जिसके लिए
केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह हकदार होंगे,लेकिन इनेलो के
उम्मीदवार के रूप में खड़े अधिवक्ता आरके आनंद को रोकने के लिए भाजपा
समर्थित सुभाष चंद्रा की राज्यसभा पहुंचने की डगर को कांग्रेस के समर्थन ने
मुश्किल बना दी है। हालांकि कांग्रेस की स्थिति को लेकर अभी असंमजस बना
हुआ है।
मध्य प्रदेश व राजस्थान सत्ता का वर्चस्व
राज्यसभा
की तीन सीटों पर माना जा रहा है कि भाजपा के दो प्रत्याशी आसानी से जीता
लेगी और तीसरी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी
को जिताने के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है। इसी प्रकार राजस्थान की चार
सीटों पर भाजपा का रास्ता साफ है, लेकिन एक निर्दलीय प्रत्याशी के कारण
पेंच फंसा हुआ है, जिसका असर कम ही पड़ने की उम्मीद है।
झारखंड में फंसा पेंच
इस
राज्य में दो सीटों में भाजपा की एक सीट तय मानी जा रही है, लेकिन दूसरी
सीट पर भी कब्जा करने के लिए भाजपा ने मुख्तार अब्बास नकवी के अलावा महेश
पोद्दार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के बसंत सोरेन का रास्ता रोकने के लिए खड़ा
किया हुआ है, जिसके पास छह वोट की कमी बताई जा रही है।
उत्तराखंड में बसपा पर दारमोदार
उत्तराखंड
में खत्म हुए राजनीतिक संकट के बावजूद कांग्रेस की राह को मुश्किल बनाने
के इरादे से भाजपा ने राज्यसभा की एक मात्र सीट पर कब्जा बरकरार रखने के
लिए दो प्रत्याशियों को कांग्रेस प्रदीप टमटा के मुकाबले चुनाव मैदान में
उतार दिया है। यहां बसपा के समर्थन की उसी तरह दरकार किसी को भी राज्यसभा
पहुंचा सकती है, जिस प्रकार उसकी यूपी और मध्य प्रदेश में भूमिका मानी जा
रही है।
कर्नाटक में दिलचस्प मुकाबला
कर्नाटक
में जनता दल (एस) ने राज्यसभा चुनाव रद्द तो नहीं हो सके, लेकिन
खरीद-फरोख्त में शामिल विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग की सीबीआई जांच की
मांग का कांग्रेस की रणनीति पर कोई असर दिखेगा इसकी संभावना कम हैं। यहां
चार सीटों के लिए केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रतिष्ठा दांव पर है
और उनके लिए भाजपा की एक सीट तय मानी जा रही है।
राज्यसभा की ये हो सकती है तस्वीर
संसद
के 245 सदस्यों वाले ऊपरी सदन में भाजपा के 14 सांसद रिटायर हो रहे हैं।
58 सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद भाजपा को चार से छह सीटों की
बढ़त मिल सकती है और कांग्रेस को लगभग इतनी ही सीटों का नुकसान होने की
संभावना है। ऐसे में 49 सीटों वाली भाजपा अपनी संख्या 55 या 56 तक ले जा
सकती है। माना जा रहा है कि इन चुनावों के बाद राज्यसभा में राजग की संख्या
73 से 75 तक पहुंच सकती है। मसलन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की सीटों
के नुकसान के कारण राज्यसभा में यूपीए पर राजग भारी पड़ सकता है।
फिलहाल उच्च सदन का गणित
उच्च
सदन में फिलहाल राजग के 62 सांसद हैं और यदि सात मनोनीत सदस्यों को भी जोड़
लिया जाए तो यह संख्या 69 हो जाती है। जबकि कांग्रेस के 61 सांसदों के साथ
उनकी सहयोगी दलों के साथ यूपीए के सांसदों की संख्या 80 है। इसमें भी
एआईएडीएमके,बीजद, तृणमूल, सपा और बसपा को मिला दें, तो गैर-एनडीए सांसदों
की संख्या 90 हो जाती है। 30 जून को राज्यसभा के एक तिहाई सदस्य रिटायर
होंगे।
11June-2016
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें