एक साल में बढ़े 2.5 फीसदी हादसे, 4.6 फीसदी ज्यादा हुई मौतें
सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता के बावजूद सरकार चिंतित
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी
सरकार के दो साल के कार्यकाल में देश में सड़क निर्माण की परियोजनाओं ने
सबसे ज्यादा रμतार पकड़ी, लेकिन सरकार की सड़क सुरक्षा की प्राथमिकता सिरे
नहीं चढ़ सकी। सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बेअसर होने के कारण वर्ष
2015 के दौरान हुए सड़क हादसों और उसमें होने वाली मौतों के आंकड़ो की बढ़ोतरी
ने पिछले एक दशक के सभी रिकार्ड पीछे धकेल दिया है। मसलन हरेक दिन औसतन
1374 दुर्घटनाओं में 400 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।

युद्ध से भी ज्यादा जा रही हैं जाने
मंत्रालय
के परिवहन अनुसंधान विभाग द्वारा सड़क हादसों पर जारी ताजा रिपोर्ट के
अनुसार देश में वर्ष 2015 के दौरान प्रतिघंटा 57 सड़क हादसों के औसत से करीब
5.02 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई, जो 2014 में हुई 4.90 लाख के मुकाबले 2.5
फीसदी अधिक हैं। इन सड़क हादसों में जहां वर्ष 2014 में 1.39,671 लोगों की
मौत हुई थी, जो 4.6 फीसदी बढ़ोतरी के साथ वर्ष 2015 में 1.46 लाख 133 पहुंच
गई है। इसी प्रकार इन दुर्घटनाओं के दौरान पांच लाख से ज्यादा घायलों की
संख्या में भी 1.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इन आंकड़ों पर चिंता
जाहिर करते हुए गडकरी ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर तो मौतें किसी युद्ध
में भी नहीं हो सकती है,जिसके लिए सभी को यातायात नियमों के प्रति
सकारात्मक सोच के साथ जागरूकता को आगे बढ़ाने की जरूरत है। तेरह राज्यों में हुए 86.7 फीसदी हादसे
हरियाणा,
छग व मप्र समेत तेरह राज्यों में ही वर्ष 2015 के दौरान 86.7 फीसदी सड़क
हादसे हुए हैं, जिनमें सर्वाधिक 69,059 हादसोंके साथ तमिलनाडु पहले पायदान
पर है। जबकि सबसे कम हरियाणा में 11,174 सड़क हादसे दर्ज किये गये हैं। जबकि
छत्तीसगढ़ 14,446 सड़क हादसों के साथ 11वें स्थान पर है। महाराष्ट 63,805
तथा मध्य प्रदेश 54,947 हादसों के साथ क्रमश: दूसरे व तीसरे नंबर के राज्य
हैं। इसके इसके अलावा कर्नाटक, करेल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश,
राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना व पश्चिम बंगाल भी सड़क हादसों के सबब बने 13
राज्यों की सूची में शामिल हैं। अनुसंधान के अनुसार 77.1 फीसदी हादसे
चालकों के कारण हुए जिनमें 72.6 फीसदी लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इनमें
भी सबसे ज्यादा 28.8 फीसदी हादसे दो पहिया वाहनों के हैं जिनमें 25.2
फीसदी लोगों खासकर युवाओं की जाने गयी।
युवाओं की हुई ज्यादा मौंते
परिवहन
अनुसंधान विभाग के आंकड़े गवाह हैं कि वर्ष 2015 के दौरान सड़क हादसों में
अपनी जान गंवाने वालों में 15 से 34 साल के बीच युवा वर्ग की संख्या 54.1
फीसदी है। हादसों में 83.6 फीसदी मौतें जिन तेरह राज्यों में हुई हैं,
जिसमें सर्वाधिक 17,666 मौतों के लिए उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर रहा।
9314 मौतों के साथ मध्य प्रदेश छठे स्थान पर रहा, जबकि सबसे कम 4879 मौतें
हरियाणा में हुई हैं। सड़क हादसों का कारण शराब पीकर वाहन चलाने, यातायात
नियमों का उल्लंघन करके गलत दिशा में गाडी चलाने और अन्य मानवीय कारणों को
रिपोर्टे में खुलासा किया गया है।
मौत की शिकार 17.5 फिसदी महिलाएं
आंकड़ों
के मुताबिक वर्ष 2015 के दौरान हुए सड़क हादसों में मौत के मुहं में समाने
वाले लोगों में 1.20 लाख 626 पुरुषों यानि 82.5 फीसदी तथा 25,507 यानि 17.5
फीसदी महिलाएं शामिल हैं। इनमें छह से नौ साल के 509 बच्चे तथा 255
बालिकाएं, 10 से 14 साल के 1240 बच्चे तथा 440 बालिकाएं, 15 से 17 साल के
5143 किशोर तथा 1509 किशोरी, 18 से 20 साल के 13408 युवा और 3091 युवतियां
शामिल हैं। 21 से 24 साल के बीच मरने वालों में 21247 पुरुष तथा 4022
महिलाएं, 25 से 34 साल के बीच 25764 युवाओं तथा 4892 युवतियों ने अपनी जान
से हाथ धोया है। सड़क हादसों में 35 से 44 साल के बीच मरने वालों में 21803
पुरुष तथा 4243 महिलाएं, 45 से 54 साल के बीच 14808 पुरुष और 2878 महिलाएं
शामिल हैं। जबकि बुजुर्गो में 55 से 64 साल के बीच 7296 पुरुष और 1802
महिलाएं और इससे ज्यादा उम्र वाले मौत के शिकार लोगों में 3511 पुरुष तथा
869 महिलाएं शामिल हैं। इन हादसों में 3256 पुरषों और 654 महिलाओं की उम्र
की पहचान ही नहीं हो सकी है।
10June-2016
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