शुक्रवार, 3 जून 2016

राज्यसभा चुनाव: भाजपा की रणनीति से मुश्किल में कांग्रेस!


कई राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ उतारे उम्मीदवार
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
सौलह राज्यों की 58 सीटों पर होने वाले चुनाव के बाद राज्यसभा में भाजपा की ताकत बढ़ना तय है, लेकिन भाजपा की रणनीति इन चुनावों में कांग्रेस को रोककर अपनी ज्यादा सीट लाने की है, जिसके लिए खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड में भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने निर्दलीय प्रत्याशियों के रूप में नामांकन दाखिल करके कांग्रेस के सामने मुश्किलें पैदा कर दी हैं।
राज्यसभा में 21 जून से एक अगस्त के बीच 15 राज्यों की 57 सीटें रिक्त हो रही है, जबकि गुजरात के कांग्रेस सांसद के निधन से खाली हुई एक सीट पर भी द्विवार्षिक चुनाव के साथ ही उप चुनाव होना है। मसलन राज्यसभा की इन 58 में से हालांकि भाजपा के खाते में 18 सीटें तय मानी जा रही है, लेकिन भाजपा की रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड में चुनावी घमासान होना तय हो गया है। उत्तर प्रदेश की 11 रिक्त सीटों पर 12, हरियाणा की दो सीटों के तीन, उत्तराखंड की एक सीट पर तीन तथा झारखंड की दो सीटो पर तीन उम्मीदवार अपने नामांकन दाखिल कर चुके हैं। सूत्रों के उत्तर प्रदेश में भाजपा ने शिव प्रकाश शुक्ला को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी कपिल सिब्बल का राज्यसभा जाने का रास्ता रोकने के लिए गुजरात की सामाजिक कार्यकत्री प्रीति महापात्रा का नामांकन दाखिल करा दिया है। इसी प्रकार उत्तराखंड में तरुण विजय की खाली होने वाली सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप टमटा के सामने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाजपा समर्थित गीता ठाकुर और अनिल गोयल ने नामांकन दाखिल कर चुनावी मुकाबला तय कर दिया है। वहीं हरियाणा से भाजपा प्रत्याशी चौधरी बीरेन्द्र सिंह के अलावा इनेलो से प्रसिद्ध अधिवक्ता आर.के. आनंद को रोकने के लिये सामाजिक कार्यकर्ता डा. सुभाष चन्द्रा ने निर्दलीय प्रत्याशी बनकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। इसी प्रकार झारखंड की खाली हो रही दोनों सीटो पर भाजपा ने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और भाजपा कोषाध्यक्ष महेश पोद्यार को प्रत्याशी बनाया है, जबकि दूसरी सीट पर झामुमो अपना दावा पेश करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेने के पुत्र बसंत सोरेने को प्रत्याशी बनाया है। यही नहीं भाजपा की इस रणनीति के तहत मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस प्रत्याशी विवेक तन्खा को रोकने के लिए विनोद गोटिया ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करके चुनाव तय कर दिये हैं। यदि कल तीन जून को अंतिम तारीख पर इन राज्यों के किसी उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस न लिया तो राज्यसभा के लिए चुनाव तय है और उसमें घमासान होने की पूरी संभावना रहेगी।

सरप्लस वोट का उपयोग
भाजपा सूत्रों के अनुसार इन राज्यों में भाजपा अपने सरप्लस वोट अन्य किसी दल के प्रत्याशी के खाते में जाने से रोकना चाहती है। भाजपा की इस रणनीति में यह भी माना जा रहा है कि यूपी में प्रीति महापत्रा को भाजपा के अलावा अन्य छोटे दलों का भी समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे कांग्रेस का मुश्किलों में घिरना तय है। इसी प्रकार हरियाणा, उत्तराखंड, झारखंड और मध्य प्रदेश में भी इस चुनावी घमासान में भाजपा को ऐसा फायदा मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, जहां भाजपा अपने सरप्लस वोटों के साथ अन्य छोटे दलोें के समर्थन के सहारे कम से कम मिलने जा रही 17 सीटों की संख्या बढ़ाने का प्रयास कर रही है, ताकि राज्यसभा में सत्तारूढ़ दल की ताकत में इजाफा हो सके।
03June-2016


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