रविवार, 26 जून 2016

राग दरबार:- चीन की दीवार या मोदी फोबिया...

मोदी नहीं, कांग्रेस ज्यादा जिम्मेदार 
भारत योग में विश्वगुरु भले बन गया हो, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन की चाल नहीं समझ सके, जिसने भारत को न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप यानि एनएसजी का सदस्य बनने में रोड़ा अटकाकर शायद पाकिस्तान की दोस्ती का फर्ज निभया है? एनएसजी के 48 सदस्य देशो मे चीन एक मात्र ऐसा देश रहा जिसने भारत का विरोध करके साबित कर दिया कि उसने पाक की दोस्ती के फेर में भारत के साथ ही विश्वासघात नहीं किया,बल्कि अमेरिका को भी नीचा दिखाने में कामयाब रहा, जिसने भारत के इस प्रयास में पूरी ताकत झोंकी। चीन से ज्यादा भारत की राजनीति में भी पीएम मोदी का फोबिया साफ नजर आ रहा है, जिसमें देश में सर्वाधिक शासन करने वाली कांग्रेस भारत के इस प्रयास के सफल न होने पर कहीं ज्यादा ही खुशी मनाती दिख रही है, जो इस विफलता की पूरी तरह जिम्मेदार है, जिसने एनएसजी का सदस्य की रुकावट का आधार माने गये एनपीटी पर हस्ताक्षर करने के कभी प्रयास ही नही किये। राजनीतिकारों की माने तो सियोल में भारत के एनएसजी सदस्य न बनने की पृष्ठभूमि में पीएम नरेन्द्र मोदी नहीं, बल्कि कांग्रेस को कहीं ज्यादा जिम्मेदार माना जाना चाहिए, जिसका आधार सबसे बड़ा रोड़ा बना? क्योंकि न तो कांग्रेस चीन से पहले कोई परमाणु परीक्षण कर पायी और न ही उसने कभी एनएसजी का सदस्य बनने का कोई प्रयास किये। देश की राजनीति में पीएम मोदी की विदेश कूटनीति को लेकर राजनीति गलियारो में अब चर्चा यही होरही है कि देश की जनता और राजनीजिक दलों को पीएम मोदी के इन प्रयासों की सराहना करनी चाहिए, ना कि इसे लेकर कोई आलोचनात्मक टिप्पणी की जाए। मसलन इस मुद्दे पर देश में सियासत करने से पाक जैसे भारत विरोधी देशों को ताकत मिलेगी। ये तो दुनिया मान ही रही है कि पीएम मोदी भारत को विश्व गुरु बनाने की राह पर है। ऐसे में विरोधी देशों और स्वदेशी विरोधियों का ये मोदी फाबिया नहीं है तो क्या..।
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे
यह कहावत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केरीवाल पर सटीक बैठती है कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे..। यही कारण है कि सोशल मीडिया के साथ ही राजनीति हल्कों में ऐसी टिप्पणियों की भरमार होती दिख रही है कि केजरीवाल की मानसिकता का इलाज कराना जरूरी है? यहीं तक कि ऐसी टिप्पणियां भी वायरल हो रही है कि यदि उन्हें जल्द प्रधानमंत्री न बनाया गया तो वह आने वाले समय में अंतर्राष्टीय मुखिया बनने के सपने देखने में भी कोई चूक नही करेंगें। भले ही वह अपने घर तक को ना संभाल पा रहे हो। यही नहीं पूरी केजरी सरकार उसके विधायको अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा है और दिल्ली मूलभूत सुविधाओ और अस्तित्व कायम रखने की बाट जोह रही है। दरअसल केजरीवाल आजकल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि संवैधानिक पदों को भी अपने से बौना साबित करने में जुटे हुए हैं। मसलन कोई और गलती करे तो उसे बख्शने को तैयार नही और यदि गलती या अपराध खुद का हो तो उसे फर्जी करार देकर दोष सीधे प्रधानमंत्री पर मढ़ने को तैयार रहते हैं। राजनीतिक हल्कों में चर्चा हो रही है कि अब जब केंद्र सरकार ने केजरीसरकार के जनलोकपाल समेत 14 विधेयक नामंजूर करने से केजरी की बौखलाहट का ऊंट किस करवट बैठने वाला है इसके नौटंकी नतीजे का इंतजार रहेगा?
माया से मोह भंग
यूपी मिशन की जंग जीतकर सत्ता वापसी की रणनीतियों का तानाबाना बुन रही बसपा सुप्रीमो मायावती को उस समय झटका लगना शुरू हो गया। मसलन उसके बेहद विश्वसनीय माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य का बसपा से ऐसा मोह भंग हुआ कि पार्टी के अन्य कद्दावर नेताओ द्वारा नाता तोड़ने के सिलसिले ने बसपा सुप्रीमो की मुश्किलें बढ़ा दी है। ऐसे में अन्य दलों की बांछे खिलने लगी यानि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावी संग्राम को फतेह करने के लिए एक दूसरे दलों में सेंध लगाने की सियासत तेज हो गई है।
26June-2016

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