सोमवार, 20 जून 2016

राजदरबार: सियासी कस्तूरी की तलाश

सियासत का पर्यटन बना कैराना
देश की राजनीति में चुनावी वैतरणी पार करने की फिराक में हरेक सियासी दल किसी न किसी ऐसे मुद्दे रूपी तीर अपने तरकश में रखना चाहते हैं जिससे अपने प्रतिद्वंद्वी को पटकनी दे सकें। शायद मिशन यूपी के लिए कैराना में हिंदू पलायन का मामला उठाकर भाजपा ने ऐसी ही सियासी कस्तूरी की तलाशने का प्रयास किया, जिससे अन्य राजनेता ऐसे हलकान हुए कि देश की सियासत गरमा गई। नतीजा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों की बारिश और भाजपा की काट में अन्य राजनीतिक दल भी हिरण की तरह ऐसी ही सियासी कस्तूरी की तलाश में कैराना के इस वन में भटक रहे हैं। यानी यूपी मिशन में कैराना एक सियासत का पर्यटन नजर आ रहा है। इस माहौल में पुराने सियासी चावल हुकुम सिंह की खुशबू ऐसी फैली कि इलाहाबाद में भाजपा के आला नेताओं के जमावड़े में हर तरफ वाह कैराना-वाह कैराना की गूंज सुनी और पूरी भाजपा को कैराना में हुकुम सिंह की साधना में ही यूपी की सत्ता में 14 बरस के वनवास से वापसी नजर आने लगी। ऐसे में राजनीतिकारों का मानना है कि अखिलेश, गुलाम नबी और अजित सिंह के बयान हिंदू मन को आहत करने वाले हैं, मायावती ने बीच का रास्ता अपनाते हुए हिंदू-मुसलमान दोनों के गले उतरने वाली बात करके कैराना ही नहीं, बल्कि प्रदेश में हर जगह लोगों के पलायन की वजह खराब कानून व्यवस्था और समुचित सरकारी मदद न मिलना कारण मानकर हुए हिंदू-मुसलमान दोनों के गले उतरने वाली बात से एक तीर से कई निशाने साधन की रणनीति पर हैं। जबकि राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि कैराना में पलायन का सच कुछ भी हो, लेकिन हफ्ते भर में ही भाजपा सांसद हुकुम सिंह देश की सियासत पर छा गए, जिसने भाजपा को यूपी मिशन में संजीवनी दी है, कि यह मामला दो-चार दिन में ठंडा होने वाला नहीं है और महीनों तक हुकुम सिंह द्वारा लिखी पटकथा पर कैराना लीला का मंचन चलता रहेगा। ऐसे में सपा के अलावा बसपा, रालोद और कांग्रेस को यह सूझ नहीं पा रहा कि हुकुम सिंह के ब्रrास्त्र की काट कैसे करें यानी इन दलों को सियासी कस्तूरी की है तलाश.।
मुसीबत में शीला
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित दो मुसीबतों से एक साथ घिर गईं हैं। उनको ये समझ नहीं आ रहा है कि कौन सा दांव चला जाए। कांग्रेस के भीतर शीला का भला चाहने वाले कम हैं। जब वे 15 साल तक दिल्ली की सत्ता संभाले हुए थी तब उनको बीजेपी ने उतना तंग नहीं किया था जितना कांग्रेस के अपने नेताओं ने उनसे दो-दो हाथ किए थे। दरअसल सोनिया गांधी के कई करीबी नेता शीला को 10 जनपथ के नजदीक नहीं आने देना चाहते। उनको लगता है कि शीला अगर गांधी परिवार के समीप आई तो बरसों से सोनिया-राहुल के सलाहकार बने बैठे वे सभी निपट जाएंगे। यही वजह है कि शीला विरोधियों ने पूरी ताकत लगा दी है कि यूपी विधानसभा चुनाव में उनको कांग्रेस का सीएम फेस बना दिया जाए। बताया जा रहा है कि सोनिया और राहुल को भी ये सुझाव पसंद आया है। चर्चा ये भी है कि शीला दीक्षित का मन यूपी जाने का नहीं है। शीला की दूसरी मुसीबत ये है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने उनके मुख्यमंत्री रहते टैंकर घोटाले की जांच के आदेश दे दिए हैं। अब बीजेपी और आप के निशाने पर शीला हैं। कहा जा रहा है कि शीला के सक्रिय होते ही टैंकर घोटाले का जिन्न बाहर आया है।
केजरी का रोमिंग हमला
आम आदमी पार्टी का यह दावा कि चुनाव आयोग से टीवी चैनल को आप के 21 विधायकों के लाभ के पद के मुद्दे से जुड़े दस्तावेज कथित रूप से लीक किए गए हैं। दरअसल चुनाव आयोग में कार्यवाही, कानून की अदालत में कार्यवाही जैसी है और वह उन लोगों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अवमानना का मुकदमा करने पर विचार कर रही है जिन्होंने ये दस्तावेज कथित रूप से लीक किए। लाभ के पद के मुद्दे पर इन विधायकों का भविष्य अधर में है। कुछ नेता यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने चुनाव आयोग से यह नोट हासिल किया है। इसे टीवी पर दिखाने का मतलब चुनाव आयोग को प्रभावित करना है। यह आपराधिक अवमानना है। हम एक आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने के लिए महाधिवक्ता से अनुमति लेने जा रहे हैं। मसलन केजरीवाल की आप कभी मोदी तो कभी कांग्रेस और कई अन्यों की तरह अब निशाना चुनाव आयोग पर है, तो हुआ न केजरी का रोमिंग निशाना.।
19June-2016

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